लाइव न्यूज़ :

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः दुनिया में बढ़ रहा शाकाहार का प्रभाव

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: January 20, 2022 13:34 IST

दुनिया के सभी देशों में लोग प्राय: मांसाहार और शाकाहार दोनों ही करते हैं। लेकिन एक ताजा खबर के अनुसार ब्रिटेन में इस साल 80 लाख लोग शुद्ध शाकाहारी बननेवाले हैं।

Open in App

क्या आपको यह जानकर आनंद नहीं होगा कि दुनिया के सबसे ज्यादा शुद्ध शाकाहारी लोग भारत में ही रहते हैं। ऐसे लोगों की संख्या 40 करोड़ से ज्यादा है। ये लोग मांस, मछली और अंडा वगैरह बिल्कुल नहीं खाते। यूरोप, अमेरिका, चीन, जापान और मुस्लिम देशों में मुझे कई बार यह वाक्य सुनने को मिला कि ‘हमने ऐसा आदमी जीवन में पहली बार देखा, जिसने कभी मांस खाया ही नहीं।’

दुनिया के सभी देशों में लोग प्राय: मांसाहार और शाकाहार दोनों ही करते हैं। लेकिन एक ताजा खबर के अनुसार ब्रिटेन में इस साल 80 लाख लोग शुद्ध शाकाहारी बननेवाले हैं। वे अपने आप को ‘वीगन’ कहते हैं। अर्थात वे मांस, मछली, अंडे के अलावा दूध, दही, मक्खन, घी आदि का भी सेवन नहीं करते। वे सिर्फ अनाज, सब्जी और फल खाते हैं। इसका कारण यह नहीं है कि वे पशु-पक्षी की हिंसा में विश्वास नहीं करते। वे भारत के जैन, अग्रवाल, वैष्णव और ब्राह्मणों की तरह इसे अपना धार्मिक कर्तव्य मानकर नहीं अपनाए हुए हैं। इसे वे अपने स्वास्थ्य के खातिर मानने लगे हैं। न तो उनका परिवार और न ही उनका मजहब उन्हें मांसाहार से रोकता है लेकिन वे इसलिए शाकाहारी हो रहे हैं कि वे स्वस्थ और चुस्त-दुरु स्त दिखना चाहते हैं। 

मुंबई के कई ऐसे फिल्म अभिनेता मेरे परिचित हैं, जिन्होंने ‘वीगन’ बनकर अपना वजन 40-40 किलो तक कम किया है। वे अधिक स्वस्थ और अधिक युवा दिखाई पड़ते हैं। सच्चाई तो यह है कि शुद्ध शाकाहारी भोजन आपको मोटापे से ही नहीं, डायबिटीज, ब्लडप्रेशर और हृदय रोगों से भी बचाता है। इसे किसी धर्म-विशेष के आधार पर विधि-निषेध की श्रेणी में रखना भी जरा कठिन है, क्योंकि सब धर्मो के कई महानायक आपको मांसाहारी मिल सकते हैं। वैसे किसी भी मजहबी ग्रंथ में यह नहीं लिखा है कि जो मांस नहीं खाएगा, वह घटिया मनुष्य माना जाएगा।

 वास्तव में दुनिया में मांसाहार बंद हो जाए तो प्राकृतिक संसाधनों की भारी बचत हो जाएगी और प्रदूषण भी बहुत हद तक घट जाएगा। इन विषयों पर पश्चिमी देशों में कई नए शोध-कार्य हो रहे हैं और भारत में भी शाकाहार के विविध लाभों पर कई ग्रंथ लिखे गए हैं। दूध, दही, मक्खन और घी आदि के त्याग पर कई लोगों का मतभेद हो सकता है। यदि वे ‘वीगन’ न होना चाहें तो भी खुद शाकाहारी होकर और लाखों-करोड़ों लोगों को प्रेरित करके एक उच्चतर मानवीय जीवन-पद्धति का शुभारंभ कर सकते हैं। अब शाकाहार पर सिर्फ भारत का एकाधिकार नहीं है। यह विश्वव्यापी हो रहा है।

टॅग्स :हेल्थ टिप्सभोजनब्रिटेन
Open in App

संबंधित खबरें

स्वास्थ्यगर्भवती महिलाओं के पीने के पानी में पीएफएएस की मौजूदगी उनके शिशुओं के लिए घातक: अध्ययन

विश्वडोनाल्ड ट्रंप भारतीय चावल पर लगा सकते हैं टैरिफ, अमेरिकी किसानों की 'डंपिग' शिकायत पर भड़के

भारतइंडियन शेफ के हाथ का खाना नहीं खाएंगे पुतिन, विदेश दौरे पर साथ ले जाते हैं अपने शेफ; जानें वजह

विश्वजमीन घोटाला केसः शेख हसीना को 5, बहन शेख रेहाना को 7 और भांजी ब्रिटिश सांसद ट्यूलिप सिद्दीक को 2 साल की सजा, बांग्लादेश अदालत फैसला

भारतटमाटर की कीमत ने लोगों की जेब की खाली, दिल्ली-NCR में राहत के लिए सरकार चला रही सब्सिडी वैन; जानें कैसे मिलेगा फायदा

भारत अधिक खबरें

भारतकिल्लत से बचने के लिए जरूरी है ऊर्जा संरक्षण

भारतसंसदीय सुधारों के लिए याद रहेंगे शिवराज पाटिल

भारतमहाराष्ट्र निकाय चुनावः थोड़ा थका-थका सा दिख रहा है विपक्ष

भारतHoliday Calendar 2026: नए साल 2026 में कितने दिन मिलेगी छुट्टी, जानें कब रहेगा लॉन्ग वीकेंड, पूरी लिस्ट यहां

भारतस्टार पहलवान विनेश फोगट ने संन्यास का फैसला पलटा, 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक्स में मेडल जीतने का लक्ष्य