लाइव न्यूज़ :

वेदप्रताप वैदिक का कॉलमः गरीबी का मजाक है यह रिपोर्ट

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: July 15, 2019 04:58 IST

संयुक्त राष्ट्र की एक ताजा रपट के मुताबिक दुनिया में गरीबी को सबसे ज्यादा खत्म करनेवाला कोई देश है तो भारत ही है. भारत में सन् 2006 से 2016 तक यानी 10 साल में 27 करोड़ 10 लाख लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ गए.

Open in App

संयुक्त राष्ट्र की एक ताजा रपट के मुताबिक दुनिया में गरीबी को सबसे ज्यादा खत्म करनेवाला कोई देश है तो भारत ही है. भारत में सन् 2006 से 2016 तक यानी 10 साल में 27 करोड़ 10 लाख लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ गए. यह रपट 103 देशों के सवा अरब लोगों का अध्ययन करके बनाई गई है. इस रपट के मुताबिक द. एशिया के देशों की हालत में सबसे ज्यादा सुधार हुआ है. इस अध्ययन में सिर्फ यही नहीं देखा गया है कि किसी गरीब या उसके परिवार की दैनिक आय कितनी है बल्कि यह भी जानने की कोशिश की गई है कि उसके खान-पान, आवास, बच्चों की शिक्षा, स्वच्छता, स्कूलों में उपस्थिति, खाना पकाने के लिए ईंधन की उपलब्धता, हिंसा के खतरों से निपटना, संपत्ति आदि का भी इंतजाम यथोचित है या नहीं. इन सब मुद्दों पर जांच कर संयुक्त राष्ट्र की यह कमेटी इस नतीजे पर पहुंची है कि भारत ने कमाल कर दिया है.

भारत ने कमाल किया या नहीं, इस कमेटी ने जरूर कमाल कर दिया है. इस कमेटी को सबसे पहले यह समझ होनी चाहिए कि गरीबी का अर्थ क्या है? कौन है, जिसे हम गरीब मानें? भारत में अब से 10-15 साल पहले तक उसे गरीब कहा जाता था, जो गांव में 28 रु. और शहर में 32 रुपए रोज कमाए. उन्हीं दिनों कुछ अर्थशास्त्रियों ने इसे 40 रु. और 42 रु. रोज कर दिया. आजकल एक डॉलर से डेढ़ डॉलर को गरीबी का आंकड़ा माना जाता है.

मैं पूछता हूं कि आज भारत के किस शहर में कौन आदमी 100 रु. रोज में भी गुजारा कर सकता है? पति-पत्नी और दो बच्चे 200 रु. रोज में क्या रोटी, कपड़ा, मकान, इलाज, शिक्षा और मनोरंजन की न्यूनतम सुविधा पा सकते हैं? क्या वे एक इंसान की जिंदगी जी सकते हैं? भारत के लाखों गरीब इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं. करोड़ों बच्चे अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं. देश के करोड़ों लोग आज भी ऐसे झोपड़ों में दिन काटते हैं, जिनकी छत टपकती रहती है और फर्श कीचड़ में सना रहता है. ठंड और गर्मी की मार ङोलने के लिए भी करोड़ों ग्रामीण, आदिवासी, किसान और मजदूर आज भी मजबूर हैं. गांवों के घर-घर में बिजली और शौचालय सिर्फ कागज पर आंकड़ों का खेल है. इसी खेल में उलझकर संयुक्त राष्ट्र की यह रपट भी बह गई है. 

टॅग्स :गरीब बच्चेंसंयुक्त राष्ट्र
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वसीमापार आतंकवाद से पीड़ित भारत, संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा-तस्करी और अवैध हथियार से निशाना

विश्वपाकिस्तान के सैन्य कब्जे, दमन, क्रूरता और संसाधनों के अवैध दोहन के खिलाफ खुला विद्रोह कर रही जनता, यूएन में पर्वतनेनी हरीश ने कहा-जम्मू-कश्मीर का सपना छोड़ दे

भारतअंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवसः मानवता के माथे पर बड़ा कलंक है गरीबी

विश्वपेरू संसदः रातोंरात महाभियोग चलाकर पहली महिला राष्ट्रपति डीना बोलुआर्टे को पद से हटाया, 7वें राष्ट्रपति 38 वर्षीय जोस जेरी, 124 सांसदों ने डाला वोट

भारतअंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवसः विचार, भावनाओं, संस्कृति का सेतु है अनुवाद 

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई