एनजीओ को नव दक्षिणपंथी बुरे लालची कार्यकर्ता कहते हैं। ये संगठन स्वच्छ पर्यावरण की वकालत करने, आर्थिक और लैंगिक असमानता दूर करने, हाशिये पर मौजूद लोगों को सशक्त बनाने का दावा करते हैं। ...
गरीबी, स्वास्थ्य, बाल मृत्यु दर, मलेरिया, टीबी आदि से संबंधित कोई भी लक्ष्य सदस्य देशों द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सका। संयुक्त राष्ट्र को रणनीति में संशोधन करना पड़ा और वैश्विक सामाजिक कल्याण के दायरे को व्यापक बनाते हुए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) ...
रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग गरीब हैं और खाना पकाने के ईंधन से वंचित हैं, उनकी संख्या 52.9 प्रतिशत से घटकर 13.9 प्रतिशत रह गई है। वहीं स्वच्छता से वंचित लोग 2005-06 के 50.4 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 11.3 प्रतिशत रह गए हैं। ...
दरअसल, सभी राजनीतिक व्यवस्थाओं के तहत पिछले 50 वर्षों में भारत में गरीबी कई गुना बढ़ी है। अफसोस, सरकार या समाज में इस पर विचार करने वाले ज्यादा लोग नहीं हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी इस पर मंथन किया हो, याद नहीं पड़ता। ...
संयुक्त राष्ट्र ने अपने रिपोर्ट में कहा कि 2005-06 से लेकर 2015-16 तक गरीबी में सबसे बड़ी कमी भारत में आयी, जहां 27.3 करोड़ लोग गरीबी से ऊपर उठने में कामयाब रहे। ...