वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भाजपा के गले की हड्डी?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 21, 2018 06:46 PM2018-11-21T18:46:20+5:302018-11-21T18:46:20+5:30
चौधरी, विधि सचिव सुरेशचंद्र और रॉ के विशेष सचिव सामंत गोयल ने भी पूरा जोर लगाया है। मनीष सिन्हा ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लगाकर कहा है कि उनका तबादला रातोंरात नागपुर इसलिए किया गया कि वे राकेश आस्थाना की जांच कर रहे थे।
पहले देश के लोगों को यही बड़ा धक्का लगा था कि सीबीआई के दो सबसे बड़े अधिकारी एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं। ऐसे वाकये पहले कभी नहीं हुए। लेकिन अब तो खुद सरकार ही फंसती नजर आ रही है। प्रधानमंत्नी कार्यालय पर ही कीचड़ उछलने लगा है। सीबीआई के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल मनीष सिन्हा जो कि भ्रष्टाचार-विरोधी विभाग की देखरेख करते हैं, ने आरोप लगाया है कि इस भ्रष्टाचार के मामले को दबाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, केंद्रीय मंत्नी हरिभाई चौधरी, सतर्कता आयोग के कमिश्नर के।बी।
चौधरी, विधि सचिव सुरेशचंद्र और रॉ के विशेष सचिव सामंत गोयल ने भी पूरा जोर लगाया है। मनीष सिन्हा ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लगाकर कहा है कि उनका तबादला रातोंरात नागपुर इसलिए किया गया कि वे राकेश आस्थाना की जांच कर रहे थे। राकेश अस्थाना पर सीबीआई के निदेशक वर्मा रिश्वतखोरी के मामले की जांच करवा रहे थे।
देश के नागरिकों को यह बात समझ में नहीं आ रही है कि जिस अफसर पर रिश्वतखोरी की जांच चल रही थी, उस पर तो कोई मुकदमा नहीं चल रहा है लेकिन जो अफसर जांच करवा रहा था, उस पर सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा चला रखा है। दूसरी बात यह कि जांच करनेवाले अफसरों को एक झटके में दिल्ली से दूर अंडमान-निकोबार तक फेंक दिया गया है। ऐसे ही अफसर हैं- मनीष सिन्हा। सिन्हा वही अफसर हैं, जो नीरव मोदी और मेहुल चोकसी द्वारा की गई अरबों रु। की लूटपाट की जांच कर रहे थे।
सिन्हा ने उक्त घोटालों के बारे में इन अफसरों की टेलीफोन पर चलने वाली गुप्त बातों के टेपों का हवाला देते हुए जांच की मांग की है। यह पता नहीं कि सिन्हा अदालत के सामने अपने आरोपों को सिद्ध कर पाएंगे या नहीं, लेकिन किसी सरकार पर उसके अफसरों द्वारा ऐसे आरोपों को लगाना ही क्या सिद्ध करता है? क्या यह नहीं कि उस सरकार का नैतिक बल समाप्त हो चुका है? यह मामला कहीं भाजपा के गले की हड्डी न बन जाए?