वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: बांग्लादेश से संबंधों की ऊंचाइयां
By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 2, 2019 05:37 AM2019-01-02T05:37:09+5:302019-01-02T05:37:09+5:30
इस चुनाव में वे तीसरी बार लगातार जीती हैं और सबसे मजेदार बात यह हुई कि विरोधी दलों के गठबंधन ने कोई भी भारत-विरोधी मुहिम नहीं चलाई, जैसा कि पिछले चुनावों में होता रहा है.
बांग्लादेश में शेख हसीना वाजिद की अपूर्व विजय भारत-बांग्ला संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी. यदि हसीना हार जातीं और खालिदा जिया जीत जातीं तो वह पाकिस्तान के लिए बड़ी खुशखबरी होती. खालिदा ने सत्ता में रहते हुए और उसके बाद बांग्लादेश के उन तत्वों से हाथ मिलाए रखा, जो कट्टरपंथी थे, जो पाकिस्तान के अंध-समर्थक थे और जिन्होंने बांग्लादेश की आजादी के संग्राम का भी विरोध किया था. उनके विपरीत हसीना ने भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने की पूरी कोशिश की है.
इस चुनाव में वे तीसरी बार लगातार जीती हैं और सबसे मजेदार बात यह हुई कि विरोधी दलों के गठबंधन ने कोई भी भारत-विरोधी मुहिम नहीं चलाई, जैसा कि पिछले चुनावों में होता रहा है. हसीना ने बांग्लादेश में बन रहे आतंकवादी अड्डों को नष्ट किया, जिससे भारत को राहत मिली. उन्होंने पूर्वी सीमांत पर आतंक फैलाने वाले अनूप चेतिया को पकड़ कर भारत के हवाले किया. वे चीन के साथ अपने संबंध घनिष्ठ जरूर बना रही हैं.
उन्होंने म्यांमार के लाखों रोहिंग्या मुसलमानों को चीन की पहल पर शरण देकर चीन-बांग्ला संबंधों में घनिष्ठता उत्पन्न की, लेकिन वे भारत और बांग्लादेश के बीच नए-नए थल और रेल मार्ग खोलने पर भी उत्साहपूर्वक कार्य कर रही हैं. दोनों देशों के बीच गैस की पाइप लाइन भी डाली जा रही है. भारत के पूर्वी पड़ोसियों में हर प्रकार का सहयोग ‘बिम्सटेक’ संगठन के माध्यम से बढ़ाने में बांग्लादेश अग्रणी भूमिका निभा रहा है. दक्षेस की बैठकों में भी लगभग सभी प्रमुख मुद्दों पर भारत और बांग्लादेश का रवैया एक जैसा ही होता है. फरक्का बांध और सीमा के विवाद भी सुलझ चुके हैं. उम्मीद है कि तीस्ता-जल विवाद भी शीघ्र ही सुलझ जाएगा.
बांग्लादेश की आर्थिक प्रगति की रफ्तार भारत और पाकिस्तान से भी ज्यादा रही है. शेख हसीना अपने पिता शेख मुजीब के चरण-चिह्नें पर चलती हुईं बांग्लादेश को एक धर्मनिरपेक्ष, समृद्ध और विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कटिबद्ध हैं.