जलसंरक्षण के लिए हो रहा अनोखा प्रयास, जागरूकता पर आकाशवाणी चला रहा 100 दिन की श्रृंखला
By पंकज चतुर्वेदी | Published: October 30, 2023 09:55 AM2023-10-30T09:55:05+5:302023-10-30T11:15:37+5:30
स्वच्छता को जनांदोलन के रूप में अपनाना होगा। सभी को शिक्षा के साथ स्वच्छता एवं पेयजल संरक्षित करने में अपना सहयोग प्रदान करना होगा। खासकर गर्मी के मौसम में पानी का दुरुपयोग न करें।
कैथन पुरवा, अमेठीउत्तर प्रदेश के अमेठी जिले का एक गुमनाम सा गांव। यहां से खबर आई कि गांव वालों ने रेडियो जल क्लब का गठन किया है। इस संस्था के लोग अपने छोटे से गांव के हर घर में जाकर बता रहे हैं कि सभी को बूंद-बूंद पानी बचाना होगा, तभी भविष्य के लिए पेयजल संरक्षित रह पाएगा।
गांव की महिलाएं समझ रही हैं कि पेयजल के साथ स्वच्छता सभी के लिए जरूरी है। बच्चे भोजन करने के पूर्व तथा शौच के बाद साबुन से हाथ धो लें। स्वच्छता को जनांदोलन के रूप में अपनाना होगा। सभी को शिक्षा के साथ स्वच्छता एवं पेयजल संरक्षित करने में अपना सहयोग प्रदान करना होगा। खासकर गर्मी के मौसम में पानी का दुरुपयोग न करें।
लखीमपुर जिले के ग्राम डकिया जोगी। पोस्ट अज्हरा, ब्लाक मोहम्मदी की कई महिलाओं ने 'जल क्लब' बना लिया। इससे जुड़ी महिलाएं शपथ ले चुकी हैं कि अब जल की हर बूंद को सहेजने के लिए तन-मन-धन से काम करेंगे। उत्तर प्रदेश के कई गांव कस्बों से अब लोग पानी सहेजने के लिए खुद ब खुद आगे आ रहे हैं। यह असर है संचार के एकतरफा संवाद का माध्यम कहे जाने वाले रेडियो पर प्रसारित एक कार्यक्रम 'बूंदों की न टूटे लड़ी' का।
पानी बचाना जरूरी है। बेपानी हो गए तो देश के प्रगति चक्र की गति मंथर हो जाएगी। यह बात समाज भी समझता है और सरकार भी। बड़े स्तर पर प्रयास भी हो रहे हैं लेकिन यह भी कड़वा सच है कि आम लोगों तक इस मसले की जागरूकता की किरणें पहुंची नहीं है। कई बार लोग जानते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि शुरुआत कैसे की जाए।
भले ही सूचना और मनोरंजन के कई चटकीले, सुलभ साधन हमारे यहां उपलब्ध हैं लेकिन आज भी निर्विवाद रूप से आम आदमी का, दूरदराज आंचलिक आबादी का भरोसेमंद और सहज-सुलभ साधन रेडियो ही है। खासकर जब से मोबाइल में इंटरनेट के जरिये रेडियो मिलने लगा है, लोगों की इसमें दिलचस्पी बढ़ गई है।
आकाशवाणी की स्थापना ही जनसरोकार के विषयों के प्रचार-प्रसार के लिए हुई थी। इन दिनों आकाशवाणी लखनऊ में पानी की हर बूंद को बचाने के लिए 100 दिन की श्रृंखला चलाए हुए है। इसके अंतर्गत हर दिन किसी ऐसे जल योद्धा से बातचीत की जाती है जिसने जल संरक्षण में क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया हो। इसमें समाज के हर वर्ग के लोग- पद्म अलंकारों से विभूषित जल योद्धा, ब्यूरोक्रेट्स, वैज्ञानिक, एकेडमिशियंस, गीतकार, गायक, अभिनेता, कम्युनिटी लीडर्स, पत्रकार युवा आदि शामिल हैं।
आकाशवाणी की यह मुहिम और इसे मिल रहा सकारात्मक कार्य अन्य एफएम रेडियो और टीवी चैनलों के लिए प्रेरणा है कि यदि सकारात्मक जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं तो आम लोग उनसे सीधे तौर पर जुड़ते हैं।