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रंगनाथ सिंह का ब्लॉग: उदय प्रकाश होने का अर्थ समझने में एक उम्र लगती है...

By रंगनाथ सिंह | Published: October 05, 2022 2:38 PM

उदय प्रकाश हिन्दी के सर्वाधिक सम्मानित लेखकों में शुमार किए जाते हैं। पीली छतरी वाल लड़की, मोहनदास, तिरिछ इत्यादि उनकी प्रमुख कृतिया हैं।

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प्रिय रचनाकार उदय प्रकाश की यह परसों की तस्वीर है। उनसे परसों देर शाम पटकथा लेखक संजीव कुमार झा के साथ मिलना हुआ। उदय जी की उम्र 71 साल से ऊपर हो चुकी है। उनसे मिलकर शर्मींदगी सी होने लगती है क्योंकि वो आज भी हमसे ज्यादा पढ़ते हैं, लिखने को लेकर उनके पास हमसे ज्यादा योजनाएँ हैं जबकि पहले ही उनकी कई किताबें सबसे लोकप्रिय हिन्दी पुस्तकों में शुमार हो चुकी हैं। सम्पादकों, प्रोफेसरों और अफसरों से भरे हिन्दी जगत में उदय प्रकाश होना कितना कठिन है, यह समझना आसान नहीं है, इसमें उम्र लगती है।

विद्वत समाज में ऐसे लोग आसानी से मिल जाते हैं, जो सूचनाओं से लोडेड रहते हैं। जिन्दगी हो या किताब, उदय जी के पास भी ढेरों बातें होती हैं जिनसे हमारे जैसे लोग पूर्वपरिचित नहीं होते लेकिन जो चीज उससे ज्यादा अहम है वह यह है कि उदय जी से मिलकर बार-बार लगता है कि इस विषय पर इस नजरिए से तो सोचा ही नहीं था, इस तरह भी सोचना चाहिए।

अब मुझे लगता है कि हिन्दी समाज ने उदय जी को इस बात के लिए सजा दी कि उनके साल या उसके बाद पैदा हुआ कोई अन्य हिन्दी साहित्यकार उनकी लोकप्रियता और स्वीकार्यता की बराबरी नहीं कर सका। नतीजा यह हुआ है कि उदय जी से सौतिया डाह रखने वालों ने उनपर ढेला चलाया, फिर अपने चेलों से ढेला चलवाया और चेलों ने अपने चेलों से उनपर ढेला चलवाया और यह सिलसिला आज तक जारी है लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा। उदय प्रकाश के साहित्य के समक्ष बड़े-बड़े सम्पादक-अफसर-प्रोफेसर आचार्यों की कराह निकल जाती है। नई जन्मी हिन्दी के लेखकों की जानकारी के लिए बता दें कि उदय जी का जन्म 1952 में हुआ था।

उन्होंने बताया कि इन दिनों वह एक पटकथा लिख रहे हैं, दो उपन्यासों पर भी काम कर रहे हैं और हजार कहानियाँ उनके सीने में दफन हैं जिनमें से कुछ बातचीत में वो आगुंतकों को सुनाते हैं। मेरे जैसे ग्रामीण इंटीरियर वाले व्यक्ति का ध्यान उदय जी के घर की सजावट पर जरूर जाता है। चूँकि मैंने ज्यादा लेखकों के घर देखे नहीं हैं इसलिए मुझे लगता है कि उदय जी का घर लेखक का नहीं किसी चित्रकार का घर है। उदय जी, लेखक के साथ-साथ मूर्तिकार, छायाकार और फिल्मकार भी हैं। यह अलग बात है कि परिस्थितिवश लेखन उनकी अभिव्यक्ति का प्राथमिक माध्यम बन गया।

जो नौजवान पूछते हैं कि कौन सी किताब पढ़ें, किसका साहित्य पढ़ें उन्हें उदय प्रकाश का साहित्य पहली फुरसत में पढ़ना चाहिए।

आज इतना ही। शेष, फिर कभी।

टॅग्स :हिंदी साहित्यहिन्दीरंगनाथ सिंह
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