प्रवासी जीवों की यात्राओं पर मंडरा रहा खतरा
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: October 4, 2025 07:16 IST2025-10-04T07:14:37+5:302025-10-04T07:16:23+5:30
भारत और श्रीलंका में हाथियों का प्राकृतिक इलाका बदल रहा है, लेकिन जंगलों की कनेक्टिविटी टूटी हुई है

प्रवासी जीवों की यात्राओं पर मंडरा रहा खतरा
निशांत सक्सेना
हर साल जब साइबेरिया से हजारों किलोमीटर उड़कर पक्षी भारत की नदियों और तालाबों पर उतरते हैं, जब हाथियों के झुंड जंगलों से गुजरते हुए नए चरागाह तलाशते हैं, या जब व्हेलें समुद्रों के रास्ते लंबी यात्रा करती हैं- ये सब हमें बताते हैं कि प्रकृति में कितना गहरा संतुलन है. लेकिन अब यही संतुलन जलवायु परिवर्तन की मार से बिगड़ रहा है.
संयुक्त राष्ट्र की कन्वेंशन ऑन द कंजर्वेशन ऑफ माइग्रेटरी स्पीशीज (सीएमएस) ने एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु संकट प्रवासी प्रजातियों की जिंदगी और उनकी यात्राओं को खतरे में डाल रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक असर हर जगह दिख रहा है. अलास्का और आर्कटिक के पक्षियों की बात करें तो जलवायु परिवर्तन से कीड़ों का उभरने का समय बदल रहा है. नतीजा ये कि पक्षियों के अंडे और चूजे सही समय पर खाना नहीं पा रहे. एक डिग्री तापमान बदलने से घोंसले बनाने का समय 1-2 दिन खिसक जाता है.
भारत और श्रीलंका में हाथियों का प्राकृतिक इलाका बदल रहा है, लेकिन जंगलों की कनेक्टिविटी टूटी हुई है. हाथी आगे नहीं बढ़ पा रहे और इंसानों से टकराव बढ़ रहा है. समुद्र गर्म हो रहे हैं, शिकार की संख्या घट रही है. नॉर्थ अटलांटिक की राइट व्हेल को अब लंबा और खतरनाक चक्कर लगाना पड़ रहा है. हिमालय के जानवरों में मस्क डियर, हिमालयी तीतर और स्नो ट्राउट जैसी प्रजातियां ऊंचाई पर धकेली जा रही हैं. जगह सिकुड़ रही है और कई छोटे स्तनधारी अपनी आधी से ज्यादा रेंज खो देंगे.
वर्ष 2023 में अमेजन नदी का पानी 41 डिग्री तक पहुंच गया था, जिससे डॉल्फिन मर गईं. वहीं मेडिटेरेनियन में समुद्री हीटवेव्स व्हेल और डॉल्फिन की रेंज 70% तक घटा सकती हैं.
सीएमएस की कार्यकारी सचिव एमी फ्रैंकल कहती हैं, ‘प्रवासी जानवर धरती का अर्ली-वार्निंग सिस्टम हैं. अगर तितलियां, व्हेल और हाथी संकट में हैं तो ये हमारे लिए भी चेतावनी है.’ असल में ये जानवर सिर्फ अपने लिए नहीं चलते. जंगल के हाथी कार्बन स्टोरेज क्षमता बढ़ाते हैं. व्हेल समुद्र में पोषक तत्व इधर-उधर ले जाती हैं. ये प्रजातियां धरती की सेहत का आधार हैं.
विभिन्न प्रजातियों की इन यात्राओं पर हमारी धरती का भविष्य टिका है. अगर जलवायु परिवर्तन ने इन रास्तों को काट दिया तो हमारा पूरा पारिस्थितिकी तंत्र डगमगा जाएगा.