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किरण चोपड़ा का ब्लॉग: अमित शाह को इस बहन का सलाम...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 17, 2023 10:08 IST

अगर यह कानून लागू होगा तो बेटियां बिना किसी भय के अकेली किसी भी समय कहीं भी आ-जा सकेंगी. इसके बाद मामूली अपराध करने वालों को सामुदायिक सेवा जैसे पौधारोपण, धार्मिक स्थलों एवं आश्रय स्थलों पर सेवा आदि प्रावधान शामिल किया गया है

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अमित शाह जी को इस बहन का तहेदिल से सलाम या यूं कह लो देश की सभी बहनों की तरफ से सलाम, जो नाबालिग बच्चियों के रेप को सुनकर तड़पती हैं और उन सबका दिल करता है कि बलात्कारियों को बीच चौराहे पर फांसी होनी चाहिए या वो पीड़ित महिलाएं जो सामूहिक दुष्कर्म का शिकार होती हैं. 

जब गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में भारतीय दंड संहिता को बदलने के लिए भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 पेश किया तो दिल को राहत मिली. वैसे भी शाह के अनुसार 2019 में देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों, विधि विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर नए कानूनों के संबंध में सुझाव मांगे गए थे. 

इसके मंथन पर 158 बैठकें हुईं और सभी सांसदों, विधायकों, मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों को भी पत्र लिखे गए यानी काफी काम हुआ. न्याय संहिता विधेयक 2023 में बहुत से विषय हैं परंतु जो विषय मेरे दिल के करीब हैं या जिन्हें मैं दिल से चाहती थी वो हैं, किसी भी नाबालिग से रेप पर फांसी की सजा होनी चाहिए, सामूहिक दुष्कर्म करने वालों को कड़ी सजा या उन्हें भी आजीवन कारावास या फांसी होनी चाहिए और जो लोग धर्म परिवर्तन कर शादियां या अपराध करते हैं उन पर रोक लगनी चाहिए.

कहते हैं-भय बिन होय न प्रीत...यानी किसी भी काम को ठीक करने के लिए भय होना जरूरी है. ऐसे दुष्कर्म करने वालों को फांसी होगी तो मुुझे पूरा यकीन है कि यह दुष्कर्म रुक जाएंगे. हम बहुत से ऐसे देशों को जानते हैं जहां ऐसे पाप करने वालों के हाथ-पैर काट दिए जाते हैं, तो वहां जीरो प्रतिशत अपराध है. ऐसा ही भय दुनिया के हर कोने में होना चाहिए, तभी हम बेटियों को बेटों के समान दर्जा दे सकेंगे. क्योंकि आज बेटियां हर क्षेत्र में पुरुषों के समान हैं या आगे हैं परंतु कुदरत की देन अपनी शारीरिक संरचना के कारण ऐसे अपराधों का शिकार होती हैं. 

अगर यह कानून लागू होगा तो बेटियां बिना किसी भय के अकेली किसी भी समय कहीं भी आ-जा सकेंगी. इसके बाद मामूली अपराध करने वालों को सामुदायिक सेवा जैसे पौधारोपण, धार्मिक स्थलों एवं आश्रय स्थलों पर सेवा आदि प्रावधान शामिल किया गया है. यह बहुत ही अच्छा है, क्योंकि जैसे-जैसे मैं सामाजिक काम करती हूं, मुझे जेलों से बहुत से युवकों के पत्र आते हैं, कहीं वो छोटे अपराध में बंद हैं या उनकी सुनवाई नहीं हो रही. 

एक युवा के पत्र ने तो मुझे रुला दिया था कि उसने पाॅकेटमारी की थी, क्योंकि उसको अपनी मां की दवाई के लिए पैसे चाहिए थे, वो पकड़ा गया उसे पुलिस ने बहुत पीटा, जेल में बंद रखा और वह अपनी मां को नहीं बचा सका. अगर ऐसा कानून बना होता तो उसे कहीं गुरुद्वारे, मंदिर में सेवा दी जाती या बुजुर्गों की सेवा देकर उसका छोटा अपराध (वैैसे अपराध तो अपराध है) माफ हो जाता तो वह अपनी मां को बचा सकता था. 

ऐसे छोटे अपराध करने वालों को हमारे वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब में बुजुर्गों की सेवा के लिए भेजा जा सकता है या देश में असहाय बुजुर्गों की कमी नहीं, उनकी सेवा करने का काम देकर उनको सजा दी जा सकती है. यह सही मायने में उनको अपनी गलती सुधारने और गलती का एहसास करने का अवसर होगा. 

अंत में मैं यही कहूंगी कि 2023 के विधेयक में बहुत से कानूनों को बदलने और सख्त करने के लिए कहा गया परंतु इन विषयों को जिस पर मैंने विचार-विमर्श किया है उसके लिए मैं अमित शाह जी को तहेदिल से साधुवाद देती हूं कि उन्होंने बेटियों, यानी पीड़ित बेटियों के दर्द को महसूस किया, समझा और यह विधेयक पेश किया. 

मुझे पूरी उम्मीद है कि हर इंसान इस विधेयक का समर्थन करेगा और यह जल्दी लागू होंगे ताकि हमारे देश में नाबालिग बच्चियां और युवतियां सुरक्षित हो सकें.

टॅग्स :अमित शाहभारत
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