यह अपराध अक्षम्य है, सजा ऐसी हो जो मिसाल बने

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: October 8, 2025 07:57 IST2025-10-08T07:56:05+5:302025-10-08T07:57:09+5:30

इस देश पर न जाने कितने आक्रमण हुए, हमारी संस्कृति को नष्ट करने की बहुतेरी कोशिश की गई लेकिन सनातन की गहराई देखिए कि सब इसके भीतर समाहित होते चले गए.

This crime is unforgivable punishment should be such that it sets an example | यह अपराध अक्षम्य है, सजा ऐसी हो जो मिसाल बने

यह अपराध अक्षम्य है, सजा ऐसी हो जो मिसाल बने

भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. आर. गवई के सम्मान को एक वकील ने भरी अदालत में ठेस पहुंचाने की जो कोशिश की है, वह न केवल अक्षम्य अपराध है बल्कि भारत की न्यायिक व्यवस्था का भी अपमान है. ऐसे वकील को केवल बार कौंसिल से बाहर किया जाना ही काफी नहीं है बल्कि इसे सामान्य घटना न मान कर ऐसी घटना माना जाना चाहिए जो भारत की न्यायिक व्यवस्था पर अघात है. आरोपी वकील को उसी के अनुरूप सजा होनी चाहिए.

सजा ऐसी हो जो मिसाल बने और भविष्य में कोई सिरफिरा भी इस तरह की हरकत न कर पाए. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने जिस तरह की शालीनता और संयम का परिचय दिया, वह बेमिसाल है और यही व्यवहार उनकी खासियत है, उनकी महानता का परिचायक है. उनकी जितनी भी तारीफ की जाए, वह कम है.

इस विचलित करने वाली घटना के बाद भी वे शांत रहे और न्यायालय की कार्रवाई को जारी रखा. बहरहाल, इस घटना ने यह सवाल खड़ा किया है कि धर्मांधता कितनी खतरनाक होती जा रही है. न्यायालय में बहस के दौरान विभिन्न विषयों की व्याख्या होती है, कई तरह की राय उभरती है. सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करने वाले प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की किसी टिप्पणी को संदर्भ से अलग हटकर देखना और उस पर इस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करना यह दर्शाता है कि कुछ लोग धर्मांध होते जा रहे हैं.

ऐसे लोगों को यही पता नहीं कि सनातन की खासियत ही यही है कि हम हर विषय को विश्लेषण और आलोचनात्मक चिंतन के दायरे में लाते हैं. सनातन की इसी खासियत ने इसे शिखर पर स्थापित किया है. कुछ लोगों को सनातन की इस व्यापकता से परहेज है और वे इसे संकुचित बनाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. ऐसे लोगों को यह समझना चाहिए कि सनातन की सर्वकालिकता का राज उसकी व्यापकता में समाहित है. इस देश पर न जाने कितने आक्रमण हुए, हमारी संस्कृति को नष्ट करने की बहुतेरी कोशिश की गई लेकिन सनातन की गहराई देखिए कि सब इसके भीतर समाहित होते चले गए.

दूसरी बात यह है कि प्रधान न्यायाधीश की गरिमा को ठेस पहुंचाने की कोशिश राकेश किशोर नाम के एक वकील ने की है. यह और भी चिंता की बात है कि एक वकील ऐसा कैसे कर सकता है? बार कौंसिल ने इसकी भर्त्सना की है लेकिन भविष्य में इस तरह की कोई घटना फिर न हो, यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है. हमें यह समझना होगा कि यदि कुछ लोग न्यायिक व्यवस्था को डराने की कोशिश करेंगे तो यह देश के हक में नहीं है.

इतिहास गवाह है कि जिस देश में न्यायिक व्यवस्था दुरुस्त रहती है, लोकतंत्र वहीं फलता-फूलता है और वहीं के समाज में न्याय पलता है. आज पूरा देश प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. आर. गवई के साथ खड़ा है. वे न्याय के प्रतिमान हैं.

Web Title: This crime is unforgivable punishment should be such that it sets an example

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