रक्षा क्षेत्र में क्षमता की उड़ान को दुनिया ने देखा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: September 27, 2025 07:30 IST2025-09-27T07:30:01+5:302025-09-27T07:30:07+5:30

भारत में रक्षा उत्पादन 2014 में 40,000 करोड़ रुपए से बढ़कर आज 1.27 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है और इस साल के अंत तक यह 1.60 लाख करोड़ पार कर जाने की उम्मीद सरकार ने जता रखी है.

The world witnessed the flight of capability in the defense sector | रक्षा क्षेत्र में क्षमता की उड़ान को दुनिया ने देखा

रक्षा क्षेत्र में क्षमता की उड़ान को दुनिया ने देखा

रेल आधारित मिसाइल लॉन्चर ने भारत को रक्षा क्षेत्र में एक नया मुकाम दे दिया है. इस तरह की क्षमता दुनिया के गिने-चुने देशों के पास ही है. रूस, अमेरिका और उत्तर कोरिया ने इस तरह के प्रयोग किए हैं लेकिन मौजूदा समय में किसके पास कितनी शक्ति है, इसकी विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है. चीन भी रेल आधारित मिसाइल लॉन्चर पर काम कर रहा है लेकिन उसने ट्रक आधारित मिसाइल लॉन्चर पर निर्भरता बना रखी है. भारत ने जो परीक्षण किया है, उसमें अग्नि प्राइम मिसाइल को 2000 किलोमीटर तक टारगेट किया जा सकता है.

रेल आधारित यह सिस्टम कई मायनों में बहुत महत्व रखता है. सबसे पहली बात कि यह ट्रेन एक सामान्य मालगाड़ी जैसी दिखती है तो किसी भी दुश्मन के लिए यह अंदाजा लगा पाना मुश्किल होगा कि पटरी पर दौड़ रही ट्रेन मालगाड़ी या फिर मिसाइल दागने वाली ट्रेन है. रफ्तार के कारण इसे ट्रैक कर पाना भी आसान नहीं होगा. एक ट्रेन में कई मिसाइलें होंगी और ट्रेन की जो रफ्तार होगी, उस रफ्तार से इसे जरूरी जगह पर पहुंचाया जा सकेगा. यूं समझिए कि ट्रेन रुकी और बस कुछ ही पलों में दुश्मन की छाती चीरने के लिए मिसाइल रवाना हो सकती है. जरूरत पड़ने पर चलती  ट्रेन से भी इसे दागा जा सकता है.

भारत ने इस क्षमता को हासिल करके एक नई शक्ति के रूप में खुद को स्थापित कर लिया है. दुनिया जानती है कि भारत ये सारी शक्तियों अपनी रक्षा के लिए हासिल कर रहा है. हम किसी पर हमला नहीं करते लेकिन अपनी रक्षा के लिए जाहिर है कि किसी भी सीमा तक जा सकते हैं. इस रेल आधारित मिसाइल लॉन्चर से भारत के तमाम दुश्मन जद में आ गए हैं. दुश्मन इस मिसाइल से जरूर थर्राएंगे. बहुत अच्छी बात यह है कि भारत बड़ी तेजी से अपनी सीमाओं को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित बनाने की कोशिश कर रहा है.

1962 में अरुणाचल प्रदेश के जिस इलाके से चीन असम के तेजपुर तक आ पहुंचा था, उस इलाके के चप्पे-चप्पे पर हमारी ताकत अब इतनी मजबूत है कि चीन सपने में भी हमला करने की नहीं सोच सकता है. गुवाहाटी से चीन की सरहद बुमला पास तक पहुंचने में पहले दो से तीन दिन लग जाते थे लेकिन अब केवल एक दिन में पहुंचा जा सकता है.

पहले सर्दी के दिनों में सेला पास पर इतनी बर्फ होती थी कि वाहनों के लिए गुजरना मुश्किल था लेकिन अब टनल बन चुके हैं. पूरे अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर चीन की सरहद से लगती हुई सड़क का काम चल रहा है. एक तरफ सरहद पर इन्फ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास हो रहा है तो दूसरी ओर भारत नए रक्षा उत्पादों का तेजी से विकास कर रहा है. भारत तेजी से आयात कम कर रहा है और देसी तकनीक पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के बहुत से फायदे दिखने लगे हैं.

हमारा पैसा बच रहा है और नए उत्पाद दूसरे देशों को बेचने भी लगे हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया भी था कि रक्षा बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा घरेलू कंपनियों से खरीदा जा रहा है. भारत में रक्षा उत्पादन 2014 में 40,000 करोड़ रुपए से बढ़कर आज 1.27 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है और इस साल के अंत तक यह 1.60 लाख करोड़ पार कर जाने की उम्मीद सरकार ने जता रखी है. भारत सरकार का लक्ष्य यह भी है कि वर्ष 2029 तक 3 लाख करोड़ रु. के रक्षा उपकरण भारत में बनने लगें. जहां तक रक्षा निर्यात का सवाल है तो 2013-14 में यह आंकड़ा 686 करोड़ रुपए था, जो 2024-25 में बढ़कर 23,622 करोड़ रु. हो गया. भारत अभी 100 देशों को करीब  30,000 करोड़ रु. का रक्षा निर्यात कर रहा है.

2029 तक 50,000 करोड़ के रक्षा निर्यात का लक्ष्य है. रक्षा क्षेत्र में नवाचार के लिए नए स्टार्ट-अप को सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत डेढ़ करोड़ रुपए से लेकर 25 करोड़ रुपए तक की सहायता दे रही है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की इस बात में वाकई दम है कि  हमारा देश अब मिसाइल प्रौद्योगिकी (अग्नि, ब्रह्मोस), पनडुब्बी (आईएनएस अरिहंत), विमानवाहक पोत (आईएनएस विक्रांत), कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ड्रोन, साइबर डिफेंस और हाइपरसोनिक प्रणाली जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विकसित देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है.

भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के 97 प्रतिशत से अधिक युद्धपोत अब भारतीय शिपयार्ड में बनाए जाते हैं. भारत द्वारा निर्मित पोतों को मॉरीशस, श्रीलंका, वियतनाम और मालदीव जैसे मित्र देशों को भी निर्यात किया जा रहा है. वाकई हमने बड़ी दूरी तय की है.

Web Title: The world witnessed the flight of capability in the defense sector

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