शशिधर खान का ब्लॉग: चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता का सवाल

By शशिधर खान | Published: December 16, 2022 12:48 PM2022-12-16T12:48:32+5:302022-12-16T12:50:17+5:30

सीपीएम सांसद ने सुझाव में चयन समिति में प्रधानमंत्री को शामिल करने का जिक्र नहीं किया। लेकिन अगले दिन 11 दिसंबर को कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य मनीष तिवारी ने भी चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और स्वायत्तता के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय चयन समिति गठित करने की मांग उठाई।

The question of independence and impartiality of the Election Commission | शशिधर खान का ब्लॉग: चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता का सवाल

शशिधर खान का ब्लॉग: चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता का सवाल

Highlightsमनीष तिवारी के सुझाव में लोकसभा स्पीकर नहीं हैं और जॉन ब्रिटास के द्वारा पेश बिल में प्रधानमंत्री नहीं हैं।जो भी हो, दोनों ही सांसदों ने जो राय दी है वो चुनाव आयोग को स्वतंत्र, निष्पक्ष बनाने का रास्ता सुझाता है और इस पर तो विचार होना ही चाहिए।ये दोनों ही प्राइवेट मेम्बर बिल संसद में ऐसे समय में पेश किए गए हैं, जब सुप्रीम कोर्ट में चुनाव सुधार के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है।

संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही राज्यसभा में दो सदस्यों ने प्राइवेट मेम्बर बिल पेश करके मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति के लिए स्वतंत्र चयन समिति गठन की मांग रखी। दोनों ही सांसदों ने इस बात पर बल दिया कि चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था का सरकारी प्रभाव से मुक्त पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष होना लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए बहुत आवश्यक है।

केरल से राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में सीईसी तथा ईसी की नियुक्ति के लिए चयन समिति गठित की जाए। इस समिति में लोकसभा अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता हों। उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पारदर्शिता, निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए संविधान में संशोधन किया जाए, ताकि चुनाव आयोग का अपना स्थायी स्वतंत्र सचिवालय हो।

सीपीएम सांसद ने सुझाव में चयन समिति में प्रधानमंत्री को शामिल करने का जिक्र नहीं किया। लेकिन अगले दिन 11 दिसंबर को कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य मनीष तिवारी ने भी चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और स्वायत्तता के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय चयन समिति गठित करने की मांग उठाई। मनीष तिवारी ने सीईसी और ईसी की नियुक्ति वाली चयन समिति में सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस तथा विपक्ष के नेता को शामिल करने की बात कही। मनीष तिवारी के सुझाव में लोकसभा स्पीकर नहीं हैं और जॉन ब्रिटास के द्वारा पेश बिल में प्रधानमंत्री नहीं हैं। 

जो भी हो, दोनों ही सांसदों ने जो राय दी है वो चुनाव आयोग को स्वतंत्र, निष्पक्ष बनाने का रास्ता सुझाता है और इस पर तो विचार होना ही चाहिए। ये दोनों ही प्राइवेट मेम्बर बिल संसद में ऐसे समय में पेश किए गए हैं, जब सुप्रीम कोर्ट में चुनाव सुधार के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट जज के. एम. जोसेफ ने 22 नवंबर को सुनवाई के दौरान सरकार को कहा कि ‘निष्पक्षता’ और ‘तटस्थता’ सुनिश्चित करने के लिए सीईसी तथा ईसी की नियुक्ति कमेटी भारत के प्रधान न्यायाधीश को शामिल करके गठित की जा सकती है। 

सुनवाई कर रही इस सुप्रीम कोर्ट पीठ के दूसरे जज हैं, अजय रस्तोगी। दोनों जजों ने सरकार से जानना चाहा कि सीएजी, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी), केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआईसी) की तरह से सीईसी के लिए कोई चयन समिति (काॅलेजियम) क्यों नहीं बना है और अभी तक सरकार इस पर चुप क्यों है।

Web Title: The question of independence and impartiality of the Election Commission

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