देश में महिलाओं की दयनीय हालत
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 14, 2018 10:47 AM2018-07-14T10:47:27+5:302018-07-14T10:47:27+5:30
प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने ‘एप’ के जरिए भारत की स्त्रियों से सीधा संवाद कायम किया और बताया कि उनकी सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए क्या-क्या किया है।
लेखक- वेदप्रताप वैदिक
प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने ‘एप’ के जरिए भारत की स्त्रियों से सीधा संवाद कायम किया और बताया कि उनकी सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए क्या-क्या किया है। थोड़ा-बहुत उन्होंने किया जरूर है लेकिन ऐसा लगता है कि भारत की महिलाओं की रोजगार की स्थिति के बारे में उन्हें सच्चाई का पता नहीं है। भारत में महिलाओं को इतना कम रोजगार मिला हुआ है कि दुनिया के 131 देशों में उसका स्थान 121 वां है। यानी हम पायदान पर बैठे हुए हैं, लेकिन मानकर चल रहे हैं कि हम सिंहासन पर बैठे हैं।
भारत की आर्थिक स्थिति में महिलाओं का योगदान सिर्फ 16 प्रतिशत है जबकि चीन में इससे दुगुना है और पश्चिमी देशों में इससे भी ज्यादा है। 2005 में महिला रोजगार 35 प्रतिशत था। वह घटकर 26 प्रतिशत रह गया है। यह तब हुआ है जबकि रोजगार के लायक महिलाओं की संख्या 25 करोड़ से बढ़कर अब लगभग 50 करोड़ हो गई है। यदि ये महिलाएं रोजगार करने लगें तो भारत की समृद्धि सवाई-डय़ोढ़ी हो जाए।
लेकिन हमारे देश में होता यह है कि जितने नए रोजगार निकलते हैं, उनमें से 90 प्रतिशत पुरुषों के पास चले जाते हैं। इसके अलावा मध्य और संपन्न वर्ग के लोग अपनी महिलाओं से काम नहीं करवाना चाहते। इतना ही नहीं, हमारे यहां लड़कियों को शिक्षित करना भी जरूरी नहीं माना जाता। उनके जीवन का सबसे मुख्य लक्ष्य उनकी शादी ही होता है। शादी के लिए जितना जरूरी हो, उतना पढ़ा देना काफी माना जाता है।
बांग्लादेश हमसे कहीं आगे है। वहां का वस्त्न-उद्योग महिलाओं के भरोसे ही चल रहा है। उसके कपड़ा कारखानों में महिला कामगारों की संख्या आधे से भी ज्यादा है। चीन की इतनी आर्थिक उन्नति का एक रहस्य महिला रोजगार में भी छिपा हुआ है। लेकिन भारतीय महिलाओं का न तो राज-काज में, न समाज में, न रोजगार में और न शिक्षा में ही रुतबा बढ़ सका है।