लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: देश को चाहिए एक जन-घोषणा पत्र

By गिरीश्वर मिश्र | Updated: April 8, 2024 09:47 IST

अगली लोकसभा के गठन के लिए आगामी चुनाव की बढ़ती सरगर्मियों के बीच सभी राजनैतिक दल जनता को लुभाने के लिए किस्म-किस्म के उपाय करने में जुट रहे हैं।

Open in App
ठळक मुद्देराजनैतिक दल जनता को लुभाने के लिए किस्म-किस्म के उपाय करने में जुट रहे हैंसबका एक ही तात्कालिक लक्ष्य है जन-समर्थन हासिल करनाअपनी पार्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा वोट इकट्ठा किया जा सके

अगली लोकसभा के गठन के लिए आगामी चुनाव की बढ़ती सरगर्मियों के बीच सभी राजनैतिक दल जनता को लुभाने के लिए किस्म-किस्म के उपाय करने में जुट रहे हैं। सबका एक ही तात्कालिक लक्ष्य है जन-समर्थन हासिल करना, ताकि अपनी पार्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा वोट इकट्ठा किया जा सके।

आज जाति, क्षेत्र और धर्म जैसे समाज-विभाजक आधारों का आसरा लेकर चुनाव की तैयारी खास-खास समुदाय के फायदे लिए सोचे जा रहे हैं। इस तरह के तुष्टिकरण की परियोजना खतरनाक है। हर नेता प्रलोभनों की इस तरह से बौछार करता है मानो वह देवताओं का खजांची कुबेर है और उनके खजाने पर उसी का कब्जा है। मतदाता को बहकावे में लाने की हर कोशिश चल रही है। चुनावी सफलता पाने के बाद नेतागण अक्सर सत्ता संभालने और उसका सुख भोगने में लग जाते हैं। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो आम जनता के सुख-दुःख पर उनका ध्यान कम ही जा पाता है। 

कटु सत्य यह भी है कि सत्तासीन सरकार के नुमाइंदे और जनता के बीच बड़ा अंतराल आता गया है। आम जन और उनके नेताओं के बीच का संवाद क्रमश: घटता गया है। संचार में आने वाले इन व्यवधानों ने राजनैतिक प्रतिनिधियों और उनके दलों के प्रभाव-क्षेत्र को प्रभावित किया है और उसी के अनुसार नेताओं की साख भी घटती-बढ़ती है।

महंगाई, बेरोजगारी और सरकारी कामकाज की धीमी गति और उबाने वाली नौकरशाही पूरी व्यवस्था की प्रामाणिकता पर प्रश्न खड़ा कर देती है। आमजन अक्सर इनसे उद्धार पाने के लिए तड़फड़ाता रहता है। नारे और वायदों से उकता चुकी जनता को जमीनी हकीकत में बदलाव की चाहत है।

आगामी चुनाव की भी यही कसौटी रहेगी। देश की जनता के मन में भी एजेंडा है। उसके जन-घोषणा पत्र में किसी एक की संतुष्टि नहीं बल्कि लोक-कल्याण सर्वोपरि है। इसके उपाय के रूप में लुंज-पुंज हो रही संस्थाओं का पुनर्जीवन, भ्रष्टाचार का उन्मूलन और सदाचार का पोषण, आत्मनिर्भर भारत का निर्माण, वंचितों की मौलिक सामर्थ्य को बढ़ाना न कि उनको परोपजीवी बनाए रखना, पारदर्शिता के साथ सुशासन की व्यवस्था हो और  शिक्षा का महत्व समझ कर उसकी गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जाए। 

युवा भारत के कर्णधार सरीखे लोगों- जैसे महिलाएं,  किसान, मजदूर और युवा वर्ग को सार्थक जीवन का अवसर उपलब्ध कराया जाए। भविष्य का भारत इन्हीं पर टिका है। फौरी प्रलोभन देकर वोट बटोरने की कुप्रथा अंतत: नुकसान ही करती है और इससे बचने की जरूरत है। देश एक ऐसे सशक्त भारत का स्वप्न देख रहा है जिसमें ऐसी पारदर्शी व्यवस्था हो जो लोक-कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हो और सबकी सहभागिता हो।

टॅग्स :लोकसभा चुनाव 2024BJPकांग्रेससमाजवादी पार्टीSamajwadi PartyNCP
Open in App

संबंधित खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतकौन थे स्वराज कौशल? दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज के पति का 73 साल की उम्र में हुआ निधन

भारतझारखंड में संभावित सियासी उलटफेर की खबरों पर कोई भी नेता खुलकर बोलने को नहीं है तैयार, सियासी गलियारे में अटकलों का बाजार है गरम

भारतSanchar Saathi App: विपक्ष के आरोपों के बीच संचार साथी ऐप डाउनलोड में भारी वृद्धि, संचार मंत्रालय का दावा

भारत अधिक खबरें

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतIndiGo Flight Cancel: इंडिगो संकट के बीच DGCA का बड़ा फैसला, पायलटों के लिए उड़ान ड्यूटी मानदंडों में दी ढील