शोभना जैन का ब्लॉग: देसी बनाम विदेशी के कुवैती प्रवासी प्रस्ताव पर भारत चिंतित

By शोभना जैन | Published: July 18, 2020 06:27 AM2020-07-18T06:27:33+5:302020-07-18T06:27:33+5:30

भारत पहले से ही कोरोना की मार के साथ-साथ आर्थिक मंदी, रोजगार के अवसर कम होने जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है. कोरोना और नई आर्थिक परिस्थितियों के चलते खाड़ी देशों से पहले ही लगभग दो ढाई लाख भारतीय पलायन कर स्वदेश आ चुके हैं.

Shobhana Jain's blog: India worries over Kuwaiti migrant proposal of desi vs foreigner | शोभना जैन का ब्लॉग: देसी बनाम विदेशी के कुवैती प्रवासी प्रस्ताव पर भारत चिंतित

नए हालात में अभी दो माह पूर्व ही कुवैत सरकार ने स्थानीय निकायों की सभी नौकरियां कुवैती नागरिकों के लिए आरक्षित कर दी थी.

Highlightsकुवैत में 30 प्रतिशत विदेशियों में भारतीय कामगारों की संख्या 15 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार, ‘सरकार ने इस बारे में अपनी अपेक्षाएं कुवैत सरकार के समक्ष रखी हैं

कोविड-19, लगातार तेल की गिरती कीमतों, विश्व व्यापी मंदी और रोजगार पर पड़ रही मार के बीच कुवैत की राष्ट्रीय असेंबली में हाल ही में एक प्रस्ताव पेश किया गया, जिसमें वहां काम करने वाले विदेशियों की संख्या कुल आबादी में तीस प्रतिशत सीमित किए जाने का प्रस्ताव है जबकि फिलहाल यह प्रतिशत इसके ठीक उलट यानि 70 प्रतिशत विदेशी और 30 प्रतिशत कुवैती नागरिक का है.

इस  प्रस्ताव से वहां काम करने वाले भारतीयों में खलबली है और भारत सरकार चिंतित. प्रस्तावित अनुपात के अनुसार वहां काम करने वाले 30 प्रतिशत विदेशियों में भारतीय कामगारों की संख्या 15 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर यह प्रस्ताव विधेयक के रूप में पारित होकर कानून बन जाता है तो वहां रहने और काम करने वाले दस लाख प्रवासी भारतीयों में से 8 लाख  को देश लौटना पड़ सकता है.

नए हालात में अभी दो माह पूर्व ही कुवैत सरकार ने स्थानीय निकायों की सभी नौकरियां कुवैती नागरिकों के लिए आरक्षित कर दी थी. इससे पहले भी दो साल पहले नियमों में बदलाव के चलते सैकड़ों उच्च तकनीकी  शिक्षा प्राप्त भारतीय इंजीनियरों की नौकरियां चली गई थीं. भारत सरकार का इस घटनाक्रम पर चिंतित होना स्वाभाविक है. कुवैत भारत का मित्र देश है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार, ‘सरकार ने इस बारे में अपनी अपेक्षाएं कुवैत सरकार के समक्ष रखी हैं, उम्मीद है कि कुवैत सरकार इस बारे में कोई फैसला लेते समय भारत के पक्ष पर भी गौर करेगी. कुवैत के साथ भारत के बेहद अच्छे संबंध हैं और कुवैत सहित खाड़ी देशों को मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने में वहां भारतीयों के योगदान को बहुत सम्मान की नजरों से देखा जाता है.’

यह हकीकत है कि मुख्यत: रोजगार जैसे मुद्दों को लेकर कुवैत सहित खाड़ी देशों में पिछले कुछ  वर्षों से देशी बनाम विदेशी आबादी के इस असंतुलन के खिलाफ असंतोष के स्वर तेज हुए हैं. इस प्रस्ताव पर भी असेंबली स्पीकर मर्जूक अल-घानिम ने कहा कि आबादी के इस असंतुलन को निश्चित तौर पर सीमित किया जाना चाहिए लेकिन ऐसे  अतिवादी प्रस्ताव को लागू करना असंभव सा है. कुवैत, ओमान, सऊदी अरब जैसे विभिन्न खाड़ी देश पिछले कुछ वर्षों से घरेलू हालात के मद्देनजर विदेशियों की बजाय अपने नागरिकों को रोजगार देने को प्राथमिकता देने के लिए दीर्घकालिक असर वाले अहम फैसले लेते रहे हैं. इस बार कोविड काल और नई प्रतिकूल परिस्थितियों में फिर ऐसा प्रस्ताव  लाया गया है.

भारत पहले से ही कोरोना की मार के साथ-साथ आर्थिक मंदी, रोजगार के अवसर कम होने जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है. कोरोना और नई आर्थिक परिस्थितियों के चलते खाड़ी देशों से पहले ही लगभग दो ढाई लाख भारतीय पलायन कर स्वदेश आ चुके हैं. अब सीमित संसाधनों में इस नई चिंता से कैसे निपटा जा सकेगा यह एक बड़ी चुनौती है.

कुवैत की तकरीबन 45 लाख की कुल आबादी में मूल कुवैतियों की जनसंख्या महज तेरह-साढ़े तेरह लाख ही है. आंकड़ों के अनुसार भारतीयों की संख्या कुवैती नागरिकों से भी ज्यादा है. यहां रहने वाले मिस्र, फिलिपीन्स, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और दूसरे मुल्कों के प्रवासियों में सबसे अधिक भारतीय हैं. दरअसल इस विधेयक के जरिये सिर्फ भारत ही नहीं अपितु दूसरे मुल्कों से आकर कुवैत में रहने वाले लोगों की तादाद को भी कम करने की बात कही गई है.

 पिछले माह कुवैत की सरकारी पेट्रोलियम कार्पोरेशन ने 2020-21 तक विदेशियों को नौकरियों से दूर रखने का आदेश दिया. दरअसल पिछले दस बारह वर्षों से आर्थिक मंदी के बाद से प्रवासियों के लिए इन देशों में रोजगार के अवसर सीमित किए जाने की शुरुआत सी हो गई. वर्ष 2016 के सऊदी अरब में निताकत कानून यही था. निताकत कानून के अनुसार सऊदी अरब के सरकारी विभागों और कंपनियों में स्थानीय लोगों की नौकरी दर को ऊपर ले जाना है.

 भारत के कुवैत सहित खाड़ी देशों के साथ परंपरागत मैत्री पूर्ण संबंध रहे हैं. इन सभी देशों में बड़ी तादाद में भारतीय कामगार, उच्च प्रशिक्षित कर्मी काम करते हैं. वहां के लोग, सरकारें विशेष तौर पर भारतीयों का अपने देश की अर्थव्यवस्था मजबूत करने में दिए गए योगदान का सम्मान करती हैं.
 
भारत सरकार के समक्ष चुनौती है, एक तरफ देश में वापस आने वाले भारतीयों के रोजगार के अवसर बनाए जाएं, साथ ही कुवैत सहित खाड़ी देशों के साथ मंत्रणा के बाद ऐसा रास्ता बने जिससे वे देश अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए ऐसे कदम उठाएं जिससे वहां काम करने वाले कम से कम भारतीय कामगार प्रभावित हों. देखना होगा कि क्या यह प्रस्ताव कानून का रूप ले

Web Title: Shobhana Jain's blog: India worries over Kuwaiti migrant proposal of desi vs foreigner

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे