शोभना जैन का ब्लॉग: विदेशी राजनयिकों के कश्मीर दौरे के कूटनीतिक मायने

By शोभना जैन | Updated: January 12, 2020 14:57 IST2020-01-12T14:57:49+5:302020-01-12T14:57:49+5:30

कश्मीर के हालात को लेकर पाक दुष्प्रचार बेनकाब हुआ और शिष्टमंडल ने भी देखा कि हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. निश्चित तौर पर इस दौरे में भारत इन विदेशी राजनयिकों के समक्ष इस पहलू को रख सका है और उम्मीद की जानी चाहिए कि ये राजनयिक अपने देशों में दौरे को लेकर जो रिपोर्ट भेजेंगे उससे कुछ हद तक तो भारत के पक्ष को समझेंगे. 

Shobhana Jain blog: diplomatic meaning of foreign diplomats visiting Kashmir | शोभना जैन का ब्लॉग: विदेशी राजनयिकों के कश्मीर दौरे के कूटनीतिक मायने

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

अब जबकि अमेरिका सहित 15 देशों के राजदूत और राजनयिक भारत सरकार के न्यौते पर कश्मीर के ‘जमीनी हालात’ देख कर लौट आए हैं, दौरे के ‘औचित्य और समय’ को लेकर पक्ष-विपक्ष दोनों की ही तरफ से तर्को का सिलसिला जारी है. अंतर्राष्ट्रीय जगत के साथ-साथ जहां इस दौरे का देश के अंदर, कश्मीर की राजनीति पर भी प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है, वहीं यह तय है कि कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने यानी उसका विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद कश्मीर के हालात को लेकर अंतर्राष्ट्रीय जगत में जो कुछ कहा जा रहा है या यूं कहें कुछ ज्यादा ही भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं, खास तौर पर पाकिस्तान की तर्ज पर मलेशिया और तुर्की जिस तरह का दुष्प्रचार कर रहे हैं, उसके मद्देनजर अमेरिका जैसे देश में जहां कश्मीर के हालात को लेकर वहां के कुछ राजनेताओं सहित अनेक वर्गो से चिंताएं जताई जा रही हैं, उस सब पर भारत ने इस दौरे के जरिए अपना पक्ष रखने, हकीकत बताने की कोशिश की है. 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार खास तौर पर गत पांच अगस्त के बाद उत्पन्न नई परिस्थितियों में पाकिस्तान द्वारा वहां प्रायोजित आतंकवाद पर एक हद तक लगाम लगी है. कश्मीर के हालात को लेकर पाक दुष्प्रचार बेनकाब हुआ और शिष्टमंडल ने भी देखा कि हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. निश्चित तौर पर इस दौरे में भारत इन विदेशी राजनयिकों के समक्ष इस पहलू को रख सका है और उम्मीद की जानी चाहिए कि ये राजनयिक अपने देशों में दौरे को लेकर जो रिपोर्ट भेजेंगे उससे कुछ हद तक तो भारत के पक्ष को समझेंगे. 

सूत्नों के अनुसार राजनयिक के साथ भारतीय सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों ने पाक प्रायोजित आतंकवाद की चुनौतियों से निबटने के बारे में उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया. साथ ही सिविल सोसायटी, नागरिक, राजनीतिक दलों और मीडिया के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत में भी पाकिस्तान का दुष्प्रचार बेनकाब हुआ और यह बताया जा सका कि किस तरह से वहां आतंकवाद पर लगाम लगी है. 

खबरों के अनुसार घाटी के लोगों ने विदेशी राजनयिकों से गुजारिश भी की कि वे पाकिस्तान पर दबाव बनाएं ताकि वह जम्मू-कश्मीर में दखल न दे. अलबत्ता स्थानीय प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि वहां लागू प्रतिबंधों से उन्हें कुछ दिक्कतें भी हैं लेकिन उन्हें उम्मीद है कि हालात जल्द ही सामान्य हो सकेंगे.

दरअसल इस दौरे के ‘समय’ और इस  दौरे के ‘औचित्य’ को लेकर जो सवाल उठाए जा रहे हैं, उस दृष्टि से अगर मौजूदा हालात देखें तो दौरे के समय को भी सही ठहराया जा सकता है. आगामी  24 फरवरी से 20 मार्च तक संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक होने वाली है, जहां पाकिस्तान ने पिछली बार गत सितंबर में हुई बैठक की ही तरह कश्मीर में मानवाधिकार का दुखड़ा रोते हुए एक प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी, ऐसे में इस आगामी बैठक में इस शिष्टमंडल में शामिल अनेक सदस्य जो कि परिषद के सदस्य भी हैं, उनसे उम्मीद की जानी चाहिए कि कश्मीर के हालात के बारे में भारत के पक्ष को समझते हुए प्रस्ताव पर विवेकपूर्ण ढंग से मतदान कर सकेंगे.

हालांकि दौरे के बारे में कहा जा रहा है कि यूरोपीय यूनियन के अनेक देशों ने भारत सरकार के इस तथाकथित ‘गाइडेड टूर’ में शामिल होने से यह कहते हुए हाथ खींच लिए थे कि वह अपनी मर्जी से लोगों से मिलना चाहेंगे और जेल में बंद तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से भी मिलना चाहेंगे. विदेश मंत्नालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने हालांकि इस दौरे को ‘गाइडेड टूर’ करार दिए जाने से असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि दरअसल ईयू के सभी सदस्य देश एक ग्रुप में जाना चाहते थे लेकिन इतने बड़े ग्रुप को एक साथ ले जाना संभव नहीं हो पाता है. दौरे का मकसद था कि वे खुद देखें कि वहां हालात सामान्य बनाने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए.

Web Title: Shobhana Jain blog: diplomatic meaning of foreign diplomats visiting Kashmir

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