Shanghai Cooperation Organisation 2025: भारत के लिए यह सुकून की बात हो सकती है कि शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के बाद राष्ट्राध्यक्षों की ओर से जो घोषणा पत्र जारी किया गया है, उसमें पहलगाम हमले की निंदा सर्वसम्मति से की गई है. पाकिस्तान भी इस बैठक में शामिल था, वह भी शंघाई सहयोग संगठन का सदस्य है इसलिए घोषणा पत्र में निंदा की बात को पाकिस्तान की फजीहत के रूप में भी देखा जा रहा है. इसमें महत्वपूर्ण पंक्ति यह है कि ऐसे आतंकी हमले के दोषियों की मदद करने वालों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए.
साथ ही भारत की इस पंक्ति को भी घोषणापत्र में जगह दी गई है कि आतंकवाद के मामले में दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए. निश्चित रूप से भारत की यह बड़ी जीत है कि जिस संगठन में पाकिस्तान भी एक सदस्य हो, वह संगठन कहे कि इस तरह के हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए. इससे पहले अंतरराष्ट्रीय संगठन क्वाड, ब्रिक्स और संयुक्त राष्ट्र भी पहलगाम हमले की निंदा कर चुके हैं.
निंदा करने वालों में शंघाई सहयोग संगठन का शामिल होना महत्वपूर्ण तो है लेकिन एक सवाल भी पैदा हो रहा है कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान जो आतंकवाद फैला रहा है, उसे रोकने की कोशिश क्या चीन करेगा? यह सवाल इसलिए पैदा हुआ है कि चीन को यह पता था कि पहलगाम के आतंकवादी हमले को पाकिस्तान के गुर्गों ने अंजाम दिया था.
धर्म पूछकर गोली इसलिए मारी गई थी ताकि पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो और पाकिस्तान विश्व मंच पर चिल्ला सके कि ये देखो, भारत में मुसलमानों के साथ क्या हो रहा है? लेकिन भारतीय जनमानस परिपक्व है और हर किसी की समझ में आ गया कि यह पाकिस्तान की कैसी चाल है. इसलिए सांप्रदायिकता का एक पत्ता तक नहीं खड़का.
ये बातें चीन को भी पता थीं. इसके बावजूद भारत ने जब पाकिस्तान के आतंकवादी शिविरों को तहस-नहस करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया तो चीन ने पाकिस्तान की मदद करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. उपग्रह से लेकर खुफिया सूचना तक पाकिस्तान को दी. इसे आतंकवाद की मदद नहीं तो और क्या कहेंगे?
सवाल यह है कि शंघाई शिखर सम्मेलन के दौरान जब शी जिनपिंग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुई तो उन्होंने इस संबंध में उनसे कोई सवाल पूछा या कोई चर्चा की? हमें उम्मीद करनी चाहिए कि हमारे प्रधानमंत्री ने यह सवाल जरूर उठाया होगा. सवाल यह भी है कि केवल हमले की निंदा करने से क्या होगा?
भारत लगातार दुनिया को इस बात का प्रमाण देता रहा है कि भारत में जो भी आतंकवादी हमले होते रहे हैं, उनमें स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और वहां की सेना का हाथ है तो फिर विश्व समुदाय कार्रवाई क्यों नहीं करता है? जिन आतंकवादियों पर अमेरिका ने बड़े-बड़े इनाम रख रखे हैं, वे भी पाकिस्तान में गुलछर्रे उड़ा रहे हैं.
क्या विश्व समुदाय को यह सब नहीं दिखता है? दरअसल परेशानी यह है कि पूरी दुनिया में आतंकवाद के दो चेहरे हैं, इनका आतंकवाद और उनका आतंकवाद. अपनी-अपनी कूटनीति के अनुरूप दुनिया के बहुत सारे देश आतंकवादियों का उपयोग करते रहते हैं. यदि ऐसा नहीं होता तो किसी भी आतंकवादी संगठन को इफरात पैसा और इफरात हथियार कहां से मिलते?
इसलिए यह बहुत जरूरी है कि अब दुनिया के सारे देश एकजुट हों और आतंकवाद पर करारा प्रहार करें. यदि सारे देश वाकई आतंकवाद के विरोधी हो जाएं तो सच मानिए, इस दुनिया से केवल कुछ हफ्तों में ही आतंकवाद का सफाया हो सकता है लेकिन इसकी फिलहाल कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. निंदा का यह सिलसिला चलता रहेगा. इससे ज्यादा कुछ नहीं होने वाला है.