चुनाव प्रक्रिया में भागीदारी की जिम्मेदारी

By योगेश कुमार गोयल | Updated: January 25, 2025 06:50 IST2025-01-25T06:49:47+5:302025-01-25T06:50:20+5:30

भारत के निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी

Responsibility to participate in the election process | चुनाव प्रक्रिया में भागीदारी की जिम्मेदारी

चुनाव प्रक्रिया में भागीदारी की जिम्मेदारी

भारत में लोकतंत्र की ताकत उसकी जनता है और मताधिकार वह ताकत है, जो जनता को अपनी आवाज सुनाने और देश के भविष्य को आकार देने का अवसर प्रदान करती है. 25 जनवरी को प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ इसी शक्ति का उत्सव है. इस वर्ष 15वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जा रहा है.

यह दिवस न केवल भारत के निर्वाचन आयोग की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है बल्कि इसका उद्देश्य नागरिकों को मतदान के महत्व के प्रति जागरूक करना और अधिक से अधिक लोगों को चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित करना है. इस वर्ष राष्ट्रीय मतदाता दिवस की थीम है ‘वोट जैसा कुछ नहीं, वोट जरूर डालेंगे हम’. यह विषय इस बात पर जोर देता है कि हर नागरिक का योगदान लोकतंत्र को मजबूत बनाता है.

भारत के निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी और देश में घटते मतदान प्रतिशत तथा नागरिकों की चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 2011 में ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ मनाने की शुरुआत की गई.

2025 में भारत में कुल मतदाताओं की संख्या 100 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है. निर्वाचन आयोग के अनुसार, चुनावी डेटाबेस में अभी 99.1 करोड़ मतदाता हैं और यह आंकड़ा निरंतर बढ़ रहा है. देश में कुल मतदाताओं की संख्या 2004 में 67.14 करोड़, 2014 में 83.4 करोड़ और 2024 में 96.88 करोड़ थी.

भारत में पहले मतदाता की पात्रता आयु 21 वर्ष थी, जिसे 61वें संशोधन विधेयक के जरिये 1988 में घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया था. उस संशोधन का परिणाम यह हुआ था कि वर्ष 1989 में हुए आम चुनाव में 18 से 21 वर्ष आयु वर्ग के लगभग साढ़े तीन करोड़ मतदाताओं ने पहली बार मतदान में हिस्सा लिया था.

हालांकि उसके बावजूद योग्य युवा मतदाताओं द्वारा मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की रफ्तार धीमी रहने के कारण उत्साहजनक परिणाम प्राप्त नहीं हुए. इसीलिए 2011 में युवा मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय मतदाता दिवस की शुरुआत की गई थी. इस समय भारत में 18 से 29 वर्ष के आयु वर्ग में 21.7 करोड़ युवा मतदाता शामिल हैं.

2024 में चुनावी लिंग अनुपात 948 था, जो 2025 में बढ़कर 954 हो गया है. यह एक सकारात्मक संकेत है कि महिला मतदाताओं की भागीदारी भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लगातार बढ़ रही है. हालांकि देश में मतदान प्रतिशत अब भी चिंता का बड़ा विषय बना हुआ है.

कुछ शहरी क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत अभी भी 50 प्रतिशत से कम रहता है. ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में यह आंकड़ा थोड़ा बेहतर है. मतदाता जागरूकता अभियान, डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग और ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाकर स्थिति में सुधार लाया जा सकता है.

Web Title: Responsibility to participate in the election process

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