Independence Day: भारत को 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिलने के बाद, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले से पहली बार ध्वजारोहण कर देश को संबोधित किया था और देश में अमन, चैन, शांति बनाए रखने एवं इसके अभूतपूर्व विकास का संकल्प लिया था. तभी से हर साल 15 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हैं.
पीएम मोदी ने लाल किले से दिए 94 मिनट तक भाषण
1947 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 72 मिनट तक देशवासियों को संबोधित किया था. इसके बाद साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 94 मिनट तक लाल किले की प्राचीर से भाषण दिया, जो किसी भी प्रधानमंत्री द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर दिया जाने वाला सबसे लंबा भाषण माना जाता है.
इस बार 10वीं बार पीएम फहराएंगे झंडा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से लगातार दसवीं बार तिरंगा ध्वज फहराएंगे और फिर देश को संबोधित करेंगे. देश के प्रधानमंत्री के तौर पर लाल किले से सबसे ज्यादा 17 बार तिरंगा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने फहराया है.
उनके बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का स्थान आता है. उन्होंने 16 बार तिरंगा फहराया. अब इस सूची में तीसरे स्थान पर डॉ. मनमोहन सिंह के साथ मोदी जी शामिल हो जाएंगे.
लाल किले पर पहली बार इस दिन फहराया गया था झंडा
लाल किले की प्राचीर पर 15 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री द्वारा तिरंगा फहराना आज भले ही स्वतंत्रता दिवस का पर्याय है, लेकिन कम लोगों को यह बात मालूम होगी कि आजादी हासिल करने के बाद लाल किले पर पहली बार 15 अगस्त को नहीं, बल्कि 16 अगस्त 1947 को सुबह साढ़े आठ बजे राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था.
16 अगस्त 1947 को झंडा फहराने से पहले उस्ताद बिस्मिल्ला खां ने बजाई थी बांसुरी
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार 16 अगस्त 1947 को सुबह साढ़े आठ बजे लाल किले की प्राचीर पर ध्वजारोहण किया था. उनके ध्वजारोहण से पहले उस्ताद बिस्मिल्ला खां ने बांसुरी बजाकर पूरे माहौल को खुशगवार बना दिया था. इससे पहले 14 अगस्त 1947 की शाम को ही वायसराय हाउस (अब राष्ट्रपति भवन) के ऊपर से यूनियन जैक उतार लिया गया था.
लाल किले से जुड़ी कुछ जानकारियां
बात स्वाधीनता दिवस और लाल किले की हो रही है तो बता दें इसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर एवं सफेद संगमरमर के पत्थरों से किया गया था. आप करीब डेढ़ किमी की परिधि में फैले इस भव्य ऐतिहासिक स्मारक को करीब से देखिए. तब समझ आता है कि ये कितना बुलंद है.
इसके चारों तरफ करीब 30 मीटर ऊंची पत्थर की दीवार बनी हुई है, जिसमें मुगलकालीन वास्तुकला का इस्तेमाल कर बेहद सुंदर नक्काशी की गई है. लाल किले के अंदर दो गेट खास हैं. इनमें लाहौर गेट प्रमुख है. इस लाहौर गेट को सैलानियों एवं आम लोगों के लिए खोला गया है, जबकि दिल्ली गेट से सिर्फ वीवीआईपी और कुछ खास लोग ही प्रवेश पा सकते हैं.