पेगासस विवाद को कैसे हल करें? वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग

By वेद प्रताप वैदिक | Published: August 2, 2021 01:20 PM2021-08-02T13:20:33+5:302021-08-02T13:21:35+5:30

पेगासस तूल पकड़ेगा तो पता नहीं कितने गड़े मुर्दे उखाड़े जाएंगे. इसके अलावा सबसे बड़ा सवाल यह है कि जासूसी कौन सी सरकार नहीं करती?

Pegasus dispute congress bjp Parliament's work almost came to a standstill Ved pratap Vaidik blog | पेगासस विवाद को कैसे हल करें? वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग

आतंकवादियों और अपराधियों पर निगरानी के लिए बेचा था, कई सरकारें उसका दुरुपयोग कैसे कर रही हैं.

Highlightsसरकार ने यदि गलतियां की हैं तो वह नम्रतापूर्वक क्षमा मांगे.सारा मामला यदि खुलेआम चलता रहा तो बहुत से राष्ट्रीय रहस्य भी अपने आप खुल पड़ेंगे.इस तरह की कार्रवाई के खिलाफ खुद इजराइल में आवाजें उठ रही हैं.

पेगासस जासूसी के मामले में हमारी सरकार ऐसे फंस गई है कि उसे कोई रास्ता ही नहीं सूझ रहा है. संसद का कामकाज लगभग ठप हो चुका है और संसद की तकनीकी सूचना समिति की जो बैठक उसके अध्यक्ष और कांग्रेसी सदस्य शशि थरूर ने बुलाई थी, उसका भाजपा सांसदों और अफसरों ने बहिष्कार कर दिया.

भाजपा सांसद थरूर को हटाने की बातें कर रहे हैं और थरूर भी उन पर गंभीर आक्षेप कर रहे हैं. इस मुद्दे को लेकर संसद के बाहर भी प्रदर्शनों और बयानों का तांता लगा हुआ है. सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि दो बड़े पत्नकारों ने सर्वोच्च न्यायालय में पेगासस के मामले में याचिका लगा दी है, जिसकी सुनवाई होनी है.

हमारे विरोधी दल सोच रहे हैं कि जैसे अमेरिका में वॉटरगेट कांड राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की कुर्सी ले बैठा था, बिल्कुल वैसे ही पेगासस को वे नरेंद्र मोदी के गले का पत्थर बना देंगे. लेकिन शायद यह संभव नहीं होगा, क्योंकि पिछले कांग्रेसी, जनता दल और जनता पार्टी के शासनों के दौरान भी जासूसी के कई गंभीर मामले सामने आते रहे हैं.

यदि पेगासस तूल पकड़ेगा तो पता नहीं कितने गड़े मुर्दे उखाड़े जाएंगे. इसके अलावा सबसे बड़ा सवाल यह है कि जासूसी कौन सी सरकार नहीं करती? राष्ट्रहित की दृष्टि से सबसे अच्छा यह होगा कि सत्ता और विपक्ष के नेता बंद कमरे में गोपनीय बैठक करें. सरकार ने यदि गलतियां की हैं तो वह नम्रतापूर्वक क्षमा मांगे.

यह सारा मामला यदि खुलेआम चलता रहा तो बहुत से राष्ट्रीय रहस्य भी अपने आप खुल पड़ेंगे, जो कि भारत के लिए नुकसानदेह होगा. इसमें शक नहीं कि यदि पेगासस की सूची में पत्नकारों, नेताओं, वकीलों, उद्योगपतियों आदि के नाम हैं तो मानना पड़ेगा कि यह सरकार की आपराधिक कार्रवाई है और असंवैधानिक है. इस तरह की कार्रवाई के खिलाफ खुद इजराइल में आवाजें उठ रही हैं.

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों के घावों पर मरहम लगाने के लिए इजराइली रक्षा मंत्नी बेनी गांट्ज खुद पेरिस पहुंच गए हैं. ब्रिटिश सरकार भी इस मामले पर जांच बिठा रही है. पेगासस ने अपनी खाल बचाने के लिए यह दांव चला है कि कई सरकारों को दी जा रही अपनी सेवाओं पर उसने रोक लगा दी है और वह जांच कर रही है कि जो जासूसी-यंत्न उसने आतंकवादियों और अपराधियों पर निगरानी के लिए बेचा था, कई सरकारें उसका दुरुपयोग कैसे कर रही हैं.

Web Title: Pegasus dispute congress bjp Parliament's work almost came to a standstill Ved pratap Vaidik blog

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