Parliament Budget Session: बजट सत्र में संसद के दोनों सदनों में हुए ऐतिहासिक कामकाज और चर्चाओं ने आलोचकों को करारा जवाब देने के साथ सत्ता पक्ष को भी यह संकेत दे दिया है कि विपक्षी एकजुटता के कारण विधायी मामलों में सरकार को बहुत चौकस रहना होगा. उच्च सदन ने 159 घंटे काम किया और उसकी इस सत्र में उत्पादकता 119% रही. वहीं लोकसभा में उत्पादकता करीब 118% रही. बीते कई सत्रों में दोनों सदन काम न करने के लिए आलोचना का शिकार बने थे लेकिन इस बार कामकाज में ये यादगार रहेंगे. राज्यसभा में 3 अप्रैल, 2025 को नया रिकाॅर्ड बना जब विधायी इतिहास में सुबह 11 बजे से अगले दिन सुबह 4 बजकर 2 मिनट तक बैठक चली, जो राज्यसभा के इतिहास की सबसे लंबी बैठक थी. इसी मैराथन बैठक में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पारित हुआ.
लोकसभा ने भी 3 अप्रैल को एक नया रिकाॅर्ड बनाया क्योंकि इसी दिन लोक महत्व के 202 मामले सदन में उठे. दोनों सदनों में चर्चा का स्तर काफी ऊंचा था. दोनों पक्ष के सांसद पूरी तैयारी से आए और खास तौर पर वक्फ विधेयक पर तो दोनों पक्षों की तैयारी देखते बनी. राष्ट्रपति के अभिभाषण, बजट और दूसरे मामलों में भी कामकाज बेहतरीन रहा.
सत्र के दौरान विभागों से संबद्ध स्थायी समितियों द्वारा 61 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए गए. ये विभिन्न विभागों की अनुदान मांगों से संबंधित थे. सरकार ने दोनों सदनों में बेहतर प्रबंधन किया लेकिन विपक्षी एकजुटता कायम रही. सरकार के पक्ष में अब तक खड़े रहे कुछ दलों का विपक्ष के साथ सुर मिलाना भविष्य के लिए चुनौती भरा हो सकता है.
बीजेडी, बीआरएस और वाईएसआरसीपी ने यही संकेत दिया है. हालांकि इस बीच में सरकार ने विपक्ष के साथ बेहतर तालमेल और संवाद के साथ विधेयकों को जांच-पड़ताल के लिए संसदीय समितियों में भेजना आरंभ किया है, संयुक्त समितियों में भी भेजना आरंभ किया है. विपक्षी तेवर और संख्याबल को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है.
कई और मसलों में पीठासीन अधिकारियों ने उदारता दिखाई. हालांकि संसद की बैठकें कम होने के साथ संसदीय समितियों के प्रभावी न होने से नौकरशाही के हावी होने की बात सांसद स्वीकारते हैं, जिसका निदान निकालने की जरूरत है. यह 18वीं लोकसभा का चौथा सत्र था जिसमें उत्पादकता करीब 118 % रही. इस सत्र में 26 बैठकों में 160 घंटे 48 मिनट काम हुआ.
राज्यसभा की बात करें तो यह उसका 267वां सत्र था जिसमें हाल के महीनों के अन्य सत्रों से इतर विविधता देखने को मिली. काफी लंबे समय बाद सभापति राज्यसभा जगदीप धनखड़ ने संतोष के साथ चर्चाओं और विचार-विमर्श में सक्रिय भागीदारी और बहुमूल्य योगदान के लिए सभी सांसदों का आभार जताया.
उन्होंने कहा कि लंबे अंतराल के बाद संसदीय शिष्टाचार, विभिन्न दलों का सहयोग, बौद्धिकता और बहुत कुछ देखने को मिला. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर तीन दिनों तक चली बहस में 73 सांसदों ने भाग लिया जबकि केंद्रीय बजट 2025-26 पर हुई चर्चा में 89 सांसदों ने काफी तैयारी के साथ विचार रखा.
यही नहीं सदन में चार केंद्रीय मंत्रालयों के कामकाज पर भी गंभीर चर्चा हुई. आखिर में सभापति राज्यसभा जगदीप धनखड़ ने टिप्पणी की कि इस सत्र को ऐतिहासिक विधायी उपलब्धियों और एकता की भावना के लिए याद किया जाएगा. राज्यसभा ने एक बार फिर लोकतांत्रिक मानकों को अनुकरण लायक बनाया है.