‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर तुच्छ राजनीति अब बंद होनी चाहिए, सैनिकों की वीरता पर सवाल खड़े करने पर विपक्ष को आड़े
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: July 31, 2025 03:36 IST2025-07-31T03:35:11+5:302025-07-31T03:36:18+5:30
operation sindoor: विपक्ष बार-बार संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री से जवाब चाह रहा था और जनता के बीच यह भ्रम पैदा कर रहा था कि प्रधानमंत्री सवालों से बच रहे हैं तथा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दबाव में आकर उन्होंने सैन्य अभियान स्थगित किया.

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operation sindoor: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के विरुद्ध ‘आपरेशन सिंदूर’ पर विपक्ष के एक-एक आरोप का संसद में जवाब देकर राष्ट्र के गौरव से जुड़े इस महत्वपूर्ण मसले पर चल रही अनर्गल, तुच्छ तथा संकीर्ण राजनीति को खत्म करने का प्रयास किया है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जरूरत, उसमें हासिल किए गए लक्ष्यों, भारतीय सेना के पराक्रम तथा अमेरिका के कथित हस्तक्षेप से लेकर विपक्ष द्वारा उठाए गए हर सवाल का उन्होंने सटीक जवाब दिया और सैनिकों की वीरता पर सवाल खड़े करने पर विपक्ष को आड़े हाथों भी लिया.
विपक्ष बार-बार संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री से जवाब चाह रहा था और जनता के बीच यह भ्रम पैदा कर रहा था कि प्रधानमंत्री सवालों से बच रहे हैं तथा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दबाव में आकर उन्होंने सैन्य अभियान स्थगित किया. मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए जनता को साफ संदेश दिया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान को करारा सबक सिखाते हुए निर्धारित लक्ष्य हासिल कर लिए गए. मोदी ने यह भी बताया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस को उन्होंने फोन पर दो-टूक कह दिया था कि पाकिस्तान की गोली का जवाब तोप से दिया जाएगा.
प्रधानमंत्री के जवाब में यह बात साफ हो गई है कि उड़ी और पुलवामा हमलों के बाद भारत ने आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को महज सर्जिकल स्ट्राइक तक सीमित नहीं रखा है. उड़ी तथा पुलवामा के बाद की गई सजिर्कल स्ट्राइक पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर एक चेतावनी थी कि अगर वह आतंकवादियों को शरण, समर्थन तथा प्रोत्साहन देना बंद नहीं करेगा,
भारत के विरुद्ध आतंकियों को उकसाने की हरकतों से बाज नहीं आएगा तो भविष्य में उसे और गंभीर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं. सर्जिकल स्ट्राइक के माध्यम से दी गई इस चेतावनी के बावजूद पाकिस्तान बाज नहीं आया. 22 अप्रैल को उसके द्वारा पाले जा रहे आतंकवादियों ने पहलगाम में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान ले ली.
यह भारत की एकता, अखंडता तथा संप्रभुता के साथ-साथ आतंकवाद के विरुद्ध भारत के मजबूत इरादों को भी खुली चुनौती थी. पाकिस्तान ने भारत के संकल्प और क्षमता को हल्के में ले लिया और इसका खामियाजा भुगता. प्रधानमंत्री के लोकसभा में दिए गए बयान से पाकिस्तान को यह संदेश भी गया कि परमाणु हथियारों के बल पर भारत को आंख दिखाने की कायराना हरकत न करे.
भारत हर नाकाम हरकत की सजा पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर देगा. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पाकिस्तान के लिए कड़ा सबक था कि भारत आतंकी हमलों को अब किसी आतंकी संगठन की जिम्मेदारी नहीं समझेगा, बल्कि ऐसे संगठनों को पनाह देनेवाले देश को इसके लिए जिम्मेदार ठहराकर जवाबी कार्यवाई करेगा.
भारत ने आतंकवाद को बहुत सहा लेकिन अब पानी सिर के ऊपर चला गया है. पहलगाम हमला कोई सामान्य आतंकी वारदात नहीं थी और जनता चाहती थी कि पाकिस्तान को ऐसा करारा सबक सिखाया जाए कि उसे सिंदूर की पवित्रता एवं महत्व समझ में आ जाए तथा उसकी ओर से दोबारा ऐसी हिमाकत न हो. पहलगाम त्रासदी ने देश की संवेदनाओं को झकझोर दिया था.
ऐसे में पीड़ित परिवारों, सरकार तथा सेना के साथ विपक्ष को एकजुटता दिखानी चाहिए थी. ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अमेरिका या कोई अन्य देश अथवा विदेशी मीडिया अनर्गल दावे कर रहा था तो उसे मजबूती के साथ खारिज करने की आवश्यकता थी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प युद्ध विराम का श्रेय ले रहे थे,
विदेशी मीडिया का एक वर्ग भारत के लड़ाकू विमानों के क्षतिग्रस्त होने का दावा कर रहा था और हमारा विपक्ष उनके हाथों में खेलने लग गया था. होना यह चाहिए था कि जब हमारी सरकार इन दावों को गलत बता रही थी तो विपक्ष को उसके सुर में सुर मिलाना था. दुनिया को यह दिखाना था कि भारत में सत्ता पक्ष और विपक्ष में विभिन्न मसलों पर वैचारिक मतभेद हो सकते हैं.
लेकिन राष्ट्र हित से जुड़े हर विषय पर वह एकजुट हैं. प्रधानमंत्री के पहले संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा गृह मंत्री अमित शाह ने भी ‘आपरेशन सिंदूर’ पर सारे तथ्य रखे लेकिन विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ. अब जब प्रधानमंत्री मोदी ने सारी चीजें स्पष्ट कर दी हैं और पहलगाम त्रासदी के गुनहगार आतंकवादी भी ढेर कर दिए गए हैं, विपक्ष को ऑपरेशन सिंदूर पर राजनीति बंद कर देनी चाहिए.