Operation Sindoor: खौलते खून को अभी थोड़ी ठंडक मिली है...!, भारतीय सेना को सलाम, पिक्चर अभी बाकी...
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 8, 2025 06:59 IST2025-05-08T06:58:33+5:302025-05-08T06:59:46+5:30
Operation Sindoor: आतंवादियों से रिश्तेदारी बनाने से पहले सौ बार सोचे, तब तक हम भारतीय राहत की सांस कैसे ले सकते हैं?

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Operation Sindoor: पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर के 9 आतंकी ठिकानों को तबाह करने की खबर ने पहलगाम में आतंकी हमले के बाद खौलते खून को थोड़ी ठंडक पहुंचाई है लेकिन पूरा सुकून अभी नहीं मिला है. मजहब के नाम पर बेगुनाहों का खून बहाने वाले बर्बर और कमीने आतंकवादी हाफिज सईद के परिवार के 10 लोगों की मौत से मन को थोड़ी सी शांति मिली है लेकिन जब तक हाफिज सईद खुद नहीं मारा जाता, तब तक भारतीय खून का उबाल कम होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है. जब तक आतंकवाद के आका पाकिस्तान की इतनी दुर्गति न कर दी जाए कि वह आतंवादियों से रिश्तेदारी बनाने से पहले सौ बार सोचे, तब तक हम भारतीय राहत की सांस कैसे ले सकते हैं?
पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर हमले के बाद भारत के पूर्व सेना अध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा है कि पिक्चर अभी बाकी है. हर भारतीय चाहता है कि इस बार पूरी पिक्चर दिखाए जाने की जरूरत है. पाकिस्तान ऐसा देश है जिसमें मानवीयता नाम की कोई चीज नहीं है इसलिए उसके बारे में भले दिमाग से सोचने की जरूरत भी नहीं है.
बस ठोंकने की जरूरत है. यह तो हम भारतीयों की भलमनसाहत है कि हमने हमला भी किया तो इस बात का पूरा ध्यान रखा कि न किसी नागरिक ठिकाने को निशाना बनाएं और न ही पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठानों को तबाह किया. भारत चाहता तो यह भी कर सकता था! लेकिन पाकिस्तान क्या कर रहा है? पाकिस्तानी सेना पिछले कई दिनों से सीमा पर नागरिक इलाकों में गोलियों की बरसात कर रही है,
मोर्टार फेंक रही है. हमारे निर्दोष नागरिक मारे जा रहे हैं और जख्मी हो रहे हैं. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि एक बार पूरी तरह से हिसाब किताब हो ही जाए. इस वक्त पाकिस्तान की वास्तविक कमान शहबाज शरीफ के पास नहीं है बल्कि कमान जनरल मुनीर के पास है और वह व्यक्ति मदरसे की उपज है, उसे जिहाद के अलावा कुछ समझ में नहीं आता है.
वह गजबा-ए-हिंद की बात करता है तो उसे उसी की भाषा में समझाना होगा. वह जानता है कि भारत के साथ पाकिस्तान सीधे युद्ध में तीन दिन भी नहीं टिक सकता, इसलिए आतंकवाद का सहारा लेता रहा है. अब भारत ने जरा सा अपना जलवा दिखाया है तो उसकी पैंट ढीली हो रही है और वह इस्लामिक देशों के आगे मजहब की दुहाई देकर मदद मांग रहा है.
ज्यादातर इस्लामिक देश उससे कन्नी काट रहे हैं लेकिन तुर्की, मलेशिया और अजरबैजान लगातार पाकिस्तान के सुर में सुर मिला रहे हैं. खबर तो यह भी है कि तुर्की ने अपने युद्धपोत कराची भेज रखे हैं और मलेशिया वह देश है जो जाकिर नाईक जैसे जहरीले सांप को पाल रहा है. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि इस बार पाकिस्तान के साथ ही मजहब के नाम पर उसका साथ देने वाले देशों की भी नकेल कसी जाए.
राष्ट्रहित के मामले में जो रवैया इजराइल अपनाता है, उसी तरह का सख्त रवैया भारत को भी अपनाना पड़ेगा. इस बात का खयाल रखना होगा कि कौन सा देश हमारे साथ है और कौन सा नहीं है. दुनिया के सामने यह स्पष्ट होना चाहिए कि जब तक पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद खत्म नहीं होता और हर गुनहगार को सजा नहीं मिलती, तब तक भारत का खून खौलता रहेगा! सुकून की बात है कि हमारे देश के नेतृत्वकर्ता इस बात को समझ रहे हैं. इसलिए उम्मीद यही है कि पिक्चर के और दृश्य हमारे सामने आने वाले हैं.