एन. के. सिंह का ब्लॉग: भोगे हुए यथार्थ के बावजूद शीर्ष नेतृत्व पर विश्वास
By एनके सिंह | Published: November 29, 2019 03:10 PM2019-11-29T15:10:27+5:302019-11-29T15:10:27+5:30
यहां तक जिन लोगों को आधार से कोई भी सुविधा या सरकारी इमदाद नहीं मिला है उनमें से दो-तिहाई यह मानते हैं कि आधार सरकार की एक अच्छी कोशिश है
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में जब जिला मजिस्ट्रेट ने एक माध्यमिक विद्यालय के निरीक्षण के दौरान छात्नों से पूछा कि 78, 77 और 69 में कौन सी संख्या बड़ी है, तो जवाब न मिलने पर हेडमास्टर की ओर देखा और लगा कि वह भी असहज हैं.
अधिकारी ने यही सवाल जब उनसे पूछा तो उनका जवाब था ‘सर हम गणित नहीं पढ़ाते.’ फिर अधिकारी ने अचरजभरी उत्सुकता से एक और जीके का सवाल पूछा तो हेडमास्टर का जवाब था ‘सर, पंजाब की राजधानी चंदौली है, तमिलनाडु की पंजाब और नगालैंड की कश्मीर.’ इसके बाद गणित के सहायक शिक्षक की बारी थी जिसने जवाब दिया ‘सर 17 का पहाड़ा नहीं आता.’ स्कूल में 106 छात्नों में केवल 20 ही उपस्थित थे.
उत्तर प्रदेश में पिछले दो वर्षो से भाजपा का शासन है और बिहार में दो साल का अंतराल छोड़ कर 17 साल से भाजपा-जनता दल (यू) का. दुनिया के 180 देशों में भ्रष्टाचार में भारत 78वें स्थान पर है और हर दूसरे भारतीय ने 2019 में अपना काम कराने के लिए घूस दिया है. जहां राजस्थान में हर दस में से सात लोगों ने घूस दिया वहीं केरल में केवल एक व्यक्ति ने.
सकारात्मक भाव से देखें तो पिछले एक साल में विश्व पटल पर तीन स्थान ऊपर आना एक उपलब्धि मानी जा सकती है कुछ उसी तरह जैसे 2.83 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के साथ हम छठे स्थान पर हैं और प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी के दावों पर भरोसा करें तो अगले चार साल में पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ हम शायद तीसरे स्थान पर होंगे.
लेकिन यह सकारात्मक भाव उस समय तिरोहित हो जाता है जब यह रिपोर्ट आती है कि विश्व भूख सूचकांक में 117 देशों में भारत 102 पर है. और ये तीनों रिपोर्टे मकबूल अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की हैं.
लेकिन तथ्यों के बावजूद प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी की जन-स्वीकार्यता घटी नहीं बढ़ी है. इस बात की तस्दीक एक ताजा सर्वेक्षण के परिणामों से भी मिलती है. दुनिया में एक जानी-मानी संस्था के एक ताजा अध्ययन के अनुसार 97 प्रतिशत भारतीयों का यह मानना है कि आधार की वजह से सरकार से दी जाने वाली मदद–जैसे गरीबों को राशन, किसानों को विभिन्न मदों में आर्थिक सहायता, मनरेगा का भुगतान काफी हद तक तेज और भ्रष्टाचार-शून्य हो गया है और वे इससे संतुष्ट हैं.
यहां तक जिन लोगों को आधार से कोई भी सुविधा या सरकारी इमदाद नहीं मिला है उनमें से दो-तिहाई यह मानते हैं कि आधार सरकार की एक अच्छी कोशिश है. यहां तक हर दस में से नौ व्यक्ति इससे डाटा चोरी का खतरा नहीं मानते. जाहिर है अध्ययन से प्राप्त ये निष्कर्ष हाल के दिनों में सरकार के प्रति लोगों के बढ़ते विश्वास का सूचक है. अर्थात लोग मोदी को तो पसंद करते हैं लेकिन भाजपा -शासित राज्यों के नेतृत्व के प्रति उनकी नाराजगी चुनाव-दर-चुनाव जाहिर हो रही है.