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ब्लॉग: नया खतरा : अंतरिक्षीय जंग की छिड़ती आशंका

By अभिषेक कुमार सिंह | Updated: February 19, 2024 10:18 IST

मानव सभ्यता का इतिहास युद्धों के विवरणों से अटा पड़ा है। हमेशा शांति की कामना करने वाली सभ्यता के लिए युद्ध कितना बड़ा विरोधाभास है, रूस-यूक्रेन और इजराइल-फलस्तीन की जंगें इसका सबूत हैं।

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ठळक मुद्देअमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत के पास भी ऐसी तकनीकी क्षमता है कि वे उपग्रहों पर हमला कर सकेंअब से पहले किसी देश के पास अंतरिक्ष में परमाणु हथियारों से हमला करने की क्षमता होने का दावा नहीं किया गया थायदि कोई देश किसी मुल्क को ठप करना चाहे तो उसके उपग्रहों को निशाना बनाकर कर सकता है

मानव सभ्यता का इतिहास युद्धों के विवरणों से अटा पड़ा है। हमेशा शांति की कामना करने वाली सभ्यता के लिए युद्ध कितना बड़ा विरोधाभास है, रूस-यूक्रेन और इजराइल-फलस्तीन की जंगें इसका सबूत हैं। युद्ध जमीनों तक सीमित रहते, तो फिर भी राहत होती लेकिन बीते कई दशकों से की जा रही अंतरिक्ष को जंग का मैदान बनाने की बातों ने ऐसा परेशान करने वाला परिदृश्य उपस्थित किया है, जिससे लगता है कि इंसान की पहुंच वाला हर दायरा आखिरकार विध्वंस की ही रचना करेगा।

इधर इस आशंका ने एक बार फिर तब जोर पकड़ा है, जब एक अमेरिकी दावे में रूस द्वारा अंतरिक्ष में इस्तेमाल किए जाने वाले नए विध्वंसक हथियार की बात कही गई है। यूं तो रूस ने इस अमेरिकी दावे का यह कहकर खंडन किया है कि इस आरोप की आड़ में अमेरिका युद्धरत यूक्रेन को भारी सैन्य मदद पहुंचाने के लिए भारी-भरकम फंड जुटाने की साजिश रच सकता है।

लेकिन इन दावों से जुड़ी आशंकाएं आज की तारीख में बेमानी नहीं हैं। सैन्य विशेषज्ञ तो लंबे अरसे से चेतावनी देते रहे हैं कि दुनिया में टेक्नोलॉजी की तेज तरक्की के बलबूते कई देश इस हैसियत में आ चुके हैं कि वे अंतरिक्ष को अगला जंगे-मैदान में बना सकें। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत के पास भी ऐसी तकनीकी क्षमता है कि वे उपग्रहों पर हमला कर सकें। हालांकि अब से पहले किसी देश के पास अंतरिक्ष में परमाणु हथियारों से हमला करने की क्षमता होने का दावा नहीं किया गया था।

वैसे तो अभी तक इस तकनीक से लैस सभी देश यह दावा कर रहे हैं कि स्पेस में हथियारों के परीक्षण का उनका उद्देश्य अपनी सुरक्षा को पुख्ता करना है. इसकी वजह यह है कि ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था अब अंतरिक्ष में तैनात कामकाजी उपग्रहों पर टिकी है। ये उपग्रह मौसम पर नजर रखते हैं, इंटरनेट से लेकर दूरसंचार के तमाम कार्यों को संपन्न कराते हैं, दुश्मन देशों की गतिविधियों की निगहबानी करते हैं और पृथ्वी के अन्वेषण का वह जरूरी काम करते हैं जिनसे जरूरी डाटा मिलता है और देश के विकास में मदद मिलती है।

ऐसे में यदि कोई देश किसी मुल्क को ठप करना चाहे तो उसके उपग्रहों को निशाना बनाकर कर सकता है और धरती पर वास्तविक जंग किए बगैर भारी नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में यदि उपग्रहों पर निर्भर देश अंतरिक्ष में तैनात अपने सैटेलाइट्स की सुरक्षा के उपाय के तौर पर भी एंटी-सैटेलाइट मिसाइलों का परीक्षण करता है, तो उससे भी अंतरिक्ष की जंग का खतरा पैदा होता है।

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