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नरेंद्र कौर छाबड़ा का ब्लॉग: गणेशजी से सीख सकते हैं अनेक गुण

By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Updated: September 2, 2019 10:52 IST

क्या ऐसा संभव है कि मनुष्य के धड़ पर हाथी का सिर हो. मेडिकल साइंस के पास इसका कोई जवाब नहीं है. असल में गणोशजी के इस स्वरूप के पीछे गहरा आध्यात्मिक रहस्य समाया हुआ है

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हर वर्ष हम गणोशोत्सव पर गणोशजी की मूर्ति स्थापित करते हैं. सुबह-शाम पूजा-अर्चना, आरती करते हैं. दस दिनों के पश्चात बड़ी श्रद्धा, धूमधाम से मूर्ति को विसजिर्त करते हैं. वर्षो से यही परंपरा चली आ रही है. गणोशजी का विचित्र स्वरूप कइयों को आश्चर्य में डाल देता है. क्या ऐसा संभव है कि मनुष्य के धड़ पर हाथी का सिर हो. मेडिकल साइंस के पास इसका कोई जवाब नहीं है. असल में गणोशजी के इस स्वरूप के पीछे गहरा आध्यात्मिक रहस्य समाया हुआ है. मनुष्य जब भी गणोशजी के चित्र के सामने जाता है तो दर्शन सबसे पहले हाथी का ही करता है. इस स्वरूप का रहस्य इस प्रकार है -

हाथी जहां बहुत समझदार होता है, वहीं शक्तिशाली व सतर्क भी होता है. अपनी लंबी सूंड़ से वह हर चीज को पहले फूंक कर परखता है, यह सतर्कता का प्रतीक है. उसके बड़े-बड़े कान सूप के समान होते हैं. सूप सार को रखकर कचरा बाहर फेंकता है. ऐसे ही हमें व्यर्थ बातों को बाहर ही रहने देना है, भीतर नहीं जाने देना है. हाथी का बड़ा सिर बुद्धिमत्ता, विवेकशीलता का प्रतीक है. उसका बड़ा पेट सबकी बातों को समा लेने का, स्वीकार कर लेने का प्रतीक है. उन्हें इधर-उधर प्रचारित नहीं करना है. छोटी आंखें एकाग्रता, दूरदर्शिता की प्रतीक हैं, साथ ही सबको बड़ा व महान देखना है यह दर्शाती हैं, क्योंकि हाथी सभी को वास्तविक से दोगुने आकार का देखता है. हमें भी सभी को बड़ा व महान देखना है.

गणोशजी के चार हाथ दिखाए जाते हैं, जिनमें मोदक, कमल पुष्प, फरसा तथा आशीर्वाद की मुद्रा होती है. मोदक का अर्थ है सदा सबके प्रति बोलने में मधुरता, मिठास हो. कमल पुष्प पवित्रता का प्रतीक है. कीचड़ में रहकर भी उससे अलग ऊपर उठा रहता है, ऐसे ही मनुष्यों को संसार में रहते निर्लेप रहना है. अपने भीतर के अवगुणों, विकारों को काटते रहने का प्रतीक फरसा है. आशीर्वाद की मुद्रा संदेश देती है - सदा सबके प्रति शुभकामनाएं, शुभ भावनाएं रखें. चूहे को गणोशजी की सवारी बनाने के पीछे अर्थ है हमारा मन चूहे के समान चंचल है.  

चूहा जब काटता है उससे पहले फूंक मारकर उस स्थान को सुन्न कर देता है, जिससे दर्द नहीं होता. इसी प्रकार मन भी बुद्धि को सुन्न कर देता है, जिससे नकारात्मक व्यर्थ विचार, विकार सब मन में प्रवेश कर जाते हैं. चूहे पर सवार होना अर्थात मन पर नियंत्रण करना. आज आवश्यकता इस बात की है कि गणोशजी के स्वरूप को सही अर्थो में जानकर उनके गुणों का अनुसरण किया जाए. इससे जीवन खुशहाल हो जाएगा तथा पर्व को मनाने का असली मकसद सिद्ध होगा. 

टॅग्स :गणेश चतुर्थी
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