Monsoon update: मानसून की आमद ने जताई अर्थव्यवस्था सुदृढ़ रहने की उम्मीद, मौसम विभाग ने 21 राज्यों में आंधी-बारिश का अलर्ट जारी किया
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: May 27, 2025 05:32 IST2025-05-27T05:32:35+5:302025-05-27T05:32:35+5:30
Monsoon update: केरल में 24 मई को ही इसकी एंट्री हो गई थी और दो दिन के भीतर यह नौ राज्यों में पहुंच चुका है.

file photo
Monsoon update: इस वर्ष ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत से पहले प्रचंड गर्मी पड़ने की आशंका जताई जा रही थी. अप्रैल-मई में कुछ दिनों तक ऐसी गर्मी पड़ी भी, लेकिन सौभाग्य से यह लम्बे समय तक नहीं टिकी और अब नवतपा की शुरुआत में ही मानसून ने महाराष्ट्र में दस्तक दे दी है. उल्लेखनीय है कि नवतपा 25 मई से लगता है, जबकि रविवार अर्थात 25 मई को ही दक्षिण-पश्चिम मानसून की राज्य में आमद हो गई. पिछले 35 वर्षों में राज्य में पहली बार मानसून इतनी जल्दी पहुंचा है. केरल में 24 मई को ही इसकी एंट्री हो गई थी और दो दिन के भीतर यह नौ राज्यों में पहुंच चुका है.
इतना ही नहीं, मौसम विभाग ने 21 राज्यों में आंधी-बारिश का अलर्ट भी जारी कर दिया है. हालांकि कहा जाता है कि नवतपा जितना ज्यादा तपता है, बरसात उतनी ही अच्छी होती है, लेकिन मौसम विभाग का कहना है कि इस साल सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है.
मानसून जल्दी आने से खेतों में बुआई की शुरुआत जल्दी हो सकेगी और मानसून अगर अपने तय समय तक टिका रहा तो फसलों को पर्याप्त पानी मिलता रहेगा तथा उपज अच्छी होगी. ऐसे समय में, जबकि दुनिया के अनेक हिस्सों में उथल-पुथल मची है, युद्ध की आशंका के बादल छाए हुए हैं, फसल अच्छी होना अच्छी अर्थव्यवस्था के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि विदेशों से अनाज का आयात करना आसान नहीं है.
जो यूक्रेन गेहूं का एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक देश हुआ करता था, रूस के साथ युद्ध ने उसकी अर्थव्यवस्था को तहस-नहस करके रख दिया है. रूस भी एक बड़ा अनाज उत्पादक देश है लेकिन पश्चिमी देशों के प्रतिबंध ने उसके निर्यात पर भी भारी असर डाला है. इन दोनों देशों के बीच युद्ध ने दुनियाभर में अनाज की आपूर्ति को प्रभावित किया है, जबकि अच्छे मानसून के दम पर भारत इससे अछूता बना हुआ है. हालांकि मानसूनी और मानसून पूर्व की बारिश कई जगहों पर अपना रौद्र रूप भी दिखा रही है.
केरल में कई नदियां उफान पर हैं और बांध ओवरफ्लो होने के कगार पर हैं. मुंबई में भारी बारिश से लोगों के घरों में पानी घुस गया और सड़कें जलमग्न हो गईं और कहा जा रहा है कि वहां मई महीने का 107 साल पुराना रिकार्ड टूट गया है. लेकिन मौसम की इन चरम स्थितियों के पीछे पर्यावरण को पहुंचने वाले नुकसान और ग्लोबल वॉर्मिंग का बड़ा हाथ है.
शहरों में कांक्रीट के जंगल बारिश के पानी को जमीन में समाने नहीं देते और नदी-नालों के रास्तों पर हमने इतना अतिक्रमण कर रखा है कि बरसाती पानी को निकलने के लिए स्थान ही नहीं मिलता. हमें समझना होगा कि अच्छे मौसम की सौगात हमें लगातार हर साल नहीं मिलने वाली है और जिस साल मौसम बिगड़ेगा उस साल मचने वाले हाहाकार की शायद अभी हम कल्पना भी नहीं कर सकते. इसलिए समय रहते हमें पानी के महत्व को समझना होगा और इसे संजोने के लिए हर संभव उपाय करने होंगे ताकि यह प्रलयंकारी होने के बजाय जीवनदायी हो बना रहे.