मानसून समय पूर्व आना भी ठीक नहीं?, केरल में 8 दिन पहले, आखिर क्या है वजह

By पंकज चतुर्वेदी | Updated: June 9, 2025 05:25 IST2025-06-09T05:24:27+5:302025-06-09T05:25:13+5:30

Monsoon update: बरसात ने भले ही ताप के प्रभाव को कम कर दिया हो लेकिन यदि जलवायु परिवर्तन के कारण इस तरह मानसून अनियमित होता रहा तो देश के कई समीकरण गड़बड़ा जाएंगे.

Monsoon update live also not good monsoon arrives before time monsoon arrived in Kerala 24 May 2025, 8 days earlier normal arrival date 1 June blog Pankaj Chaturvedi | मानसून समय पूर्व आना भी ठीक नहीं?, केरल में 8 दिन पहले, आखिर क्या है वजह

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Highlightsकर्नाटक, महाराष्ट्र और  केरल में मानसून की बदलियां जल्दी ही धमक गईं.देश का अर्थ-तंत्र और सामाजिक तानाबाना मानसून पर निर्भर है. केरल में मानसून 24 मई, 2025 को आ गया, जबकि सामान्य आगमन तिथि 1 जून है, 8 दिन पहले.

Monsoon update: कहते हैं जब जेठ तपता है तो आषाढ़ बरसता है और सावन-भादों में झड़ी लगती है. इस साल जब नौतपा में भारत वर्ष को खूब गरम होना था, बरसात की ऐसी झड़ी लगी जैसे सावन हो. मौसम वैज्ञानिक विचार करते रहे कि यह मानसून-पूर्व बरसात है लेकिन चुपके से कर्नाटक, महाराष्ट्र और  केरल में मानसून की बदलियां जल्दी ही धमक गईं.

हमारे देश का अर्थ-तंत्र और सामाजिक तानाबाना मानसून पर निर्भर है. इस तरह जल्दी बरसात ने भले ही ताप के प्रभाव को कम कर दिया हो लेकिन यदि जलवायु परिवर्तन के कारण इस तरह मानसून अनियमित होता रहा तो देश के कई समीकरण गड़बड़ा जाएंगे. इस साल केरल में मानसून 24 मई, 2025 को आ गया, जबकि सामान्य आगमन तिथि 1 जून है, उससे  8 दिन पहले.

मुंबई और कर्नाटक में भी मानसून समय से काफी पहले आ गया है. मुंबई में मानसून की सामान्य आगमन तिथि 11 जून है जबकि आ गया 26 मई को. इस साल बहुत पहले और भारी बरसात का प्रमुख कारण समुद्री सतह के  तापमान (एसएसटी) में वृद्धि माना जा रहा है. अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से अधिक हो जाने से मानसून जल्दी शुरू हो सकता है.

ग्लोबल वार्मिंग के कारण महासागरों का तापमान बढ़ रहा है, जिससे वायुमंडल में नमी बढ़ती है और बादल जल्दी बनते हैं. जैसे-जैसे पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ता है, वातावरण में नमी भी बढ़ती है. यह बढ़ी हुई नमी मानसून की हवाओं को तेजी से सक्रिय कर सकती है. वैश्विक तापमान बढ़ने के चलते यूरेशिया और हिमालय में बर्फ के कम होने और तेजी से पिघलने ने भी जल्दी बरसात को बुलावा दिया है.

बर्फ की कमी से जमीन जल्दी गर्म हो जाती है, जिससे कम दबाव का क्षेत्र मजबूत होता है, जो मानसूनी हवाओं को अपनी ओर खींचता है. जल्दी बरसात आने से  महानगरों की तैयारी अधूरी रही और चेन्नई, मुंबई, बेंगलुरु और दिल्ली जैसे शहर डूब गए. लेकिन सबसे बड़ा संकट तो किसान का है.

किसानों को अक्सर मानसून के एक निश्चित समय पर आने की उम्मीद होती है. यदि यह जल्दी आ जाता है, तो वे खेत तैयार करने, बुवाई करने या सही फसल का चुनाव करने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं. यदि बुवाई के बाद अचानक भारी बारिश हो तो कोमल पौधे (अंकुरित फसल) नष्ट हो सकते हैं या मिट्टी की ऊपरी परत कठोर हो सकती है, जिससे पौधों के बढ़ने में बाधा आती है. कुछ फसलों को एक निश्चित शुष्क अवधि की आवश्यकता होती है, और जल्दी मानसून से उनका सामान्य फसल चक्र बाधित हो सकता है.

Web Title: Monsoon update live also not good monsoon arrives before time monsoon arrived in Kerala 24 May 2025, 8 days earlier normal arrival date 1 June blog Pankaj Chaturvedi

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