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ब्लॉग: मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में होना अच्छी शुरुआत, कई फायदें नजर आएंगे अगले कुछ सालों में

By वेद प्रताप वैदिक | Published: July 27, 2022 1:43 PM

डॉक्टरी की पढ़ाई हिंदी माध्यम से होने के कई फायदे हैं। फेल होनेवालों की संख्या एकदम घटेगी। छात्रों की दक्षता बढ़ेगी। छात्रों को चिकित्सा-पद्धति को समझने में आसानी होगी।

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आजादी के 75वें साल में मैकाले की क्लर्क बनाने वाली शिक्षा पद्धति बदलने की शुरुआत अब मध्यप्रदेश से हो रही है. इसका श्रेय मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को है. मैंने पिछले साठ साल में म.प्र. के हर मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि मेडिकल और कानून की पढ़ाई वे हिंदी में शुरू करवाएं लेकिन म.प्र. की वर्तमान सरकार भारत की ऐसी पहली सरकार है, जिसका नाम भारत की शिक्षा के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा.

विश्व की जितनी भी महाशक्तियां हैं, उनमें उच्चतम अध्ययन और अध्यापन स्वभाषा में होता है. डॉक्टरी की पढ़ाई म.प्र. में हिंदी माध्यम से होने के कई फायदे हैं. पहला तो यही कि फेल होनेवालों की संख्या एकदम घटेगी. दूसरा, छात्रों की दक्षता बढ़ेगी. 70-80 प्रतिशत छात्र हिंदी माध्यम से पढ़कर ही मेडिकल कॉलेजों में भर्ती होते हैं. इन्हें चिकित्सा-पद्धति को समझने में आसानी होगी. 

तीसरा, मरीजों की ठगाई कम होगी. चिकित्सा जादू-टोना नहीं बनी रहेगी. चौथा, मरीजों और डॉक्टरों के बीच संवाद आसान हो जाएगा. पांचवां, सबसे ज्यादा फायदा उन गरीबों, पिछड़ों के बच्चों को होगा, जो अंग्रेजी के चलते डॉक्टर नहीं बन पाते. म.प्र. सरकार के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास नारंग ने मेडिकल शिक्षा की किताबें हिंदी में तैयार करवाने के लिए जो कमेटी बनाई है, उससे मेरा सतत संपर्क बना रहता है. 

कुछ पुस्तकें मूल रूप से हिंदी में तैयार हो गई हैं और कुछ के अनुवाद भी हो गए हैं. सितंबर के आखिर में शुरू होनेवाले नए सत्र से छात्रों को हिंदी माध्यम की छूट मिल जाएगी. हिंदी की पुस्तकों में अंग्रेजी के मूल तकनीकी शब्दों से परहेज नहीं किया जाएगा. जो छात्र अंग्रेजी माध्यम से पढ़ना चाहेंगे, उन्हें छूट रहेगी. 

म.प्र. के चार हजार मेडिकल छात्रों में से अब लगभग सभी स्वभाषा के माध्यम से पढ़ना चाहेंगे. यदि ऐसा होगा तो हिंदी में कई नए-नए मौलिक ग्रंथ भी हर साल प्रकाशित होते रहेंगे. यदि इस मेडिकल की पढ़ाई को और भी अधिक उपयोगी बनाना हो तो मेरा सुझाव यह भी है कि एक ऐसी नई चिकित्सा-उपाधि तैयार की जाए, जिसमें एलोपैथी, आयुर्वेद, हकीमी, होमियोपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा के पाठ्यक्रम मिले-जुले हों ताकि मरीजों का यदि एक दवा से इलाज न हो तो दूसरी दवा से होने लगे. 

यदि हमारी चिकित्सा में ऐसा कोई क्रांतिकारी परिवर्तन मध्य प्रदेश की सरकार करवा सके तो अन्य प्रदेशों की सरकारें और केंद्र सरकार भी पीछे नहीं रहेगी. यह विश्व को भारत की अनुपम देन होगी. यह चिकित्सा पद्धति इतनी सुलभ और सस्ती होगी कि भारत और पड़ोसी देशों के गरीब से गरीब लोग इसका लाभ उठा सकेंगे. एक बार फिर दुनिया भर के छात्र डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए भारत आने लगेंगे, जैसे कि वे सदियों पहले विदेशों से आया करते थे.

टॅग्स :Madhya PradeshMedical College
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