ब्लॉग: एकनाथ शिंदे सरकार के अस्थिर होने का खतरा नहीं

By हरीश गुप्ता | Published: July 13, 2023 10:51 AM2023-07-13T10:51:48+5:302023-07-13T10:54:10+5:30

Maharashtra There is no danger of Eknath Shinde government becoming unstable | ब्लॉग: एकनाथ शिंदे सरकार के अस्थिर होने का खतरा नहीं

ब्लॉग: एकनाथ शिंदे सरकार के अस्थिर होने का खतरा नहीं

ऐसी अटकलें लगाने वालों की कमी नहीं है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को उम्मीद से जल्दी अयोग्य ठहराया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को सौंपने का फैसला किया था क्योंकि दल-बदल विरोधी कानून के तहत पहले निर्णय लेना विधानसभा अध्यक्ष का कर्तव्य है. स्पीकर द्वारा निर्णय सुनाए जाने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट कोई कदम उठाएगा. शिंदे और उनके गुट को अयोग्य घोषित किए जाने की स्थिति में, देवेंद्र फडणवीस की मुख्यमंत्री के रूप में वापसी के अवसर खुल सकते हैं, जो एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद 2019 में बस चूक गए थे. 

राकांपा नेता अजित पवार का यह पद संभालने का सपना भी सच हो सकता है. राकांपा नेता अतीत में चार बार उपमुख्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं और अपने मुख्यमंत्रियों के लिए भाग्यशाली साबित नहीं हुए हैं; चाहे वह अशोक चव्हाण हों, पृथ्वीराज चव्हाण हों, देवेंद्र फडणवीस या फिर उद्धव ठाकरे. 

अगर अजित पवार के पिछले रिकॉर्ड के संकेतों को मानें तो शिंदे का भी वही हश्र होने का डर है. लेकिन दिल्ली में भाजपा आलाकमान स्पष्ट है कि वह महाराष्ट्र में क्या करना चाहता है. यदि भाजपा आलाकमान से आने वाली रिपोर्टों की मानें तो वह एकनाथ शिंदे जैसे सहयोगी को छोड़ने के बजाय नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बाद ही कोई फैसला करना पसंद करेगा. 

आलाकमान की सोच का एक सुराग तब सामने आया जब स्पीकर नार्वेकर ने उम्मीद जताई कि ‘सर्वोच्च न्यायालय उनसे एक निश्चित समय सीमा के भीतर शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए नहीं कहेगा क्योंकि यह विधायिका के काम में न्यायिक हस्तक्षेप होगा.’ 

यह एक स्पष्ट संकेत है कि नार्वेकर एक जटिल मुद्दे पर निर्णय लेने में अपना समय लेंगे क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने खुद एकनाथ शिंदे को पद पर बने रहने की अनुमति दी थी, इसलिए कि विधानसभा में शक्ति परीक्षण का सामना करने से पहले ही उद्धव ठाकरे ने पद छोड़ दिया था.

भाजपा की नजर 42-44 लोकसभा सीटों पर है और वह शिंदे सरकार को गिरने से रोकने और इस धारणा को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी कि भगवा पार्टी अपने सहयोगियों को कमजोर करती है. 

कानून के जानकारों का कहना है कि मामला किसी न किसी बहाने दिसंबर तक खिंच जाएगा. शायद भाजपा बीएमसी चुनावों के दौरान एमवीए और एनडीए के बीच शक्ति परीक्षण करना चाहती है. भाजपा नेतृत्व शरद पवार को और कमजोर करने के लिए नए सहयोगियों को खुश रखेगा.

प्रियंका को उपाध्यक्ष पद नहीं

एआईसीसी उन खबरों से अस्थिर है कि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल के साथ उपाध्यक्ष पद पर पदोन्नत किया जा सकता है. हालांकि, राहुल गांधी ने यह कहकर इस योजना पर पानी फेर दिया है कि गांधी परिवार का कोई भी सदस्य कोई प्रमुख पद नहीं संभालेगा. राहुल गांधी का यह भी दृढ़ विचार है कि एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपनी सांगठनिक टीम गठित करने दी जाए. 

यह अलग बात है कि स्टार प्रचारक के तौर पर प्रियंका गांधी की बढ़ती अपील को देखते हुए उनकी भूमिका बढ़ाई जा सकती है. उन्होंने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में भी पार्टी की जीत में छाप छोड़ी थी.

भाजपा चाहती है ‘मोदी बनाम राहुल’ चुनाव ?

राहुल गांधी ने बहुत पहले ही पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था और लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य ठहराए जाने के बाद, वह अब ‘लोक सेवक’ भी नहीं रहे. उन्होंने बार-बार कहा था कि वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं. उन्होंने राकांपा के शरद पवार और जनता दल (यू) नेता नीतीश कुमार जैसे सहयोगियों से स्पष्ट रूप से कहा है कि वह पीएम पद के दावेदार नहीं हैं. उनका एकमात्र उद्देश्य मोदी को सत्ता से हटाने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करना है. 

फिर भी भाजपा नेतृत्व 2024 की लड़ाई को पीएम मोदी बनाम राहुल गांधी में बदलने के लिए बेताब है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपनी सार्वजनिक रैलियों में 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ राहुल गांधी की बात की. भाजपा नेता गांधी परिवार का उपहास करते रहते हैं. 

भाजपा के निशाने पर राहुल गांधी सबसे ऊपर रहते हैं. गौरतलब है कि भाजपा का कोई भी वरिष्ठ नेता सार्वजनिक चर्चा में मल्लिकार्जुन खड़गे या सोनिया गांधी पर आरोप नहीं लगाता है. वे प्रियंका वाड्रा गांधी की आलोचना करने से भी बचते हैं. 
शायद, भाजपा नेतृत्व का मानना है कि राहुल गांधी आसान लक्ष्य हैं, इस तथ्य के बावजूद कि वह विशेष रूप से अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद एक लंबा सफर तय कर चुके हैं. राहुल गांधी के बारे में जनता की धारणा में भी बदलाव आया है. उनके इमेज मेकओवर ने कई लोगों को चकित कर दिया है.

जावड़ेकर का ग्राफ फिर बढ़ रहा

जुलाई 2021 में केंद्रीय मंत्रिपरिषद से हटाए गए 12 मंत्रियों में से केवल दो ही महत्वपूर्ण भूमिका पाने के लिए भाग्यशाली साबित हुए हैं. अरुण जेटली के निधन के बाद राज्यसभा के नेता रहे थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किया गया तो प्रकाश जावड़ेकर पार्टी में अहम भूमिका निभा रहे हैं. उन्हें केरल का प्रभारी बनाया गया जहां पार्टी कम से कम 4-5 लोकसभा सीटें जीतने के लिए प्रतिबद्ध है. 

वह ईसाइयों को भाजपा के पाले में लाने में काफी हद तक सफल रहे हैं. अब उन्हें तेलंगाना का प्रभारी बनाया गया है जहां इस साल नवंबर-दिसंबर में चुनाव होने हैं. वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, जिन्होंने जुलाई 2021 में मंत्री पद खो दिया था, महत्वपूर्ण मुद्दों पर कभी-कभार प्रेस कॉन्फ्रेंस करते रहे हैं. अन्य नौ पूर्व मंत्री  कोई महत्वपूर्ण काम मिलने की उम्मीद पाले हुए हैं.

Web Title: Maharashtra There is no danger of Eknath Shinde government becoming unstable

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