महाराष्ट्र विधानमंडलः किसानों को आसानी से मिला कर्ज लौटाएगा कौन?, 18.81 करोड़ किसान पर 3235747 करोड़ रुपए का कर्ज

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: July 21, 2025 05:16 IST2025-07-21T05:16:27+5:302025-07-21T05:16:27+5:30

Maharashtra Legislature: वर्ष 2019 में उद्धव ठाकरे सरकार ने किसानों के दो लाख रुपए तक कर्ज माफ करने की घोषणा की थी, जो अमल में नहीं आ पाई.

Maharashtra Legislature Who return loans given easily farmers Financial crisis 31 district cooperative banks 18-81 crore farmers debt Rs 3235747 crore | महाराष्ट्र विधानमंडलः किसानों को आसानी से मिला कर्ज लौटाएगा कौन?, 18.81 करोड़ किसान पर 3235747 करोड़ रुपए का कर्ज

सांकेतिक फोटो

Highlightsप्रस्ताव को केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल के आग्रह पर शिखर बैंक ने सशर्त स्वीकृति प्रदान की है.यूं देखा जाए तो देश में किसानों को कर्ज देने और माफ करने पर हमेशा राजनीति हुई है.वर्तमान में देश के करीब 18.81 करोड़ किसानों पर करीब 3235747 करोड़ रुपए का कर्ज है.

महाराष्ट्र विधानमंडल के शनिवार को हुए मानसून सत्रावसान अवसर पर किसानों से जुड़ी दो बातें सामने आईं. पहली, राज्य सरकार ने कहा कि वह कर्जमाफी को लेकर प्रतिबद्ध है और दीर्घकालिक समाधान की ओर बढ़ रही है. दूसरी, राज्य के 31 जिला सहकारी बैंकों में से आर्थिक संकट झेल रहे अथवा बंद हो चुके 20 बैंकों के स्थानों पर विभिन्न कार्यकारी सोसाइटी के माध्यम से राज्य शिखर बैंक ऋण उपलब्ध कराएगा. इस प्रस्ताव को केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल के आग्रह पर शिखर बैंक ने सशर्त स्वीकृति प्रदान की है.

इससे पहले, वर्ष 2019 में उद्धव ठाकरे सरकार ने किसानों के दो लाख रुपए तक कर्ज माफ करने की घोषणा की थी, जो अमल में नहीं आ पाई. यूं देखा जाए तो देश में किसानों को कर्ज देने और माफ करने पर हमेशा राजनीति हुई है. फिर भी किसानों पर कर्ज साल-दर-साल बढ़ रहा है. वर्तमान में देश के करीब 18.81 करोड़ किसानों पर करीब 3235747 करोड़ रुपए का कर्ज है,

जो वर्ष 2025-26 के 171437 करोड़ रुपए के कृषि बजट का करीब 20 गुना है. इसमें महाराष्ट्र सबसे आगे है, जिसका आंकड़ा 12.19 लाख करोड़ रुपए तक बताया जाता है. इस स्थिति में ऋण लेने के रास्ते बदल देने से किसानों की मुश्किलें कम होने का अनुमान लगाया नहीं जा सकता है. विदर्भ के नेता बच्चू कड़ू इन दिनों किसानों के ऋण माफ करने की मांग को लेकर जमकर आवाज उठा रहे हैं,

लेकिन सरकार उन्हें कोई प्रस्ताव नहीं दे रही है. उधर, राज्य के विदर्भ और मराठवाड़ा में किसान सर्वाधिक संख्या में आत्महत्या कर रहे हैं, जिनकी मूल समस्या ऋण को न चुका पाना ही है. कृषि उत्पादों के दामों पर उतार-चढ़ाव हमेशा नियंत्रण के बाहर रहता है. जिसका शिकार हमेशा छोटा किसान होता है. बैंक भी उसकी बार-बार सहायता नहीं कर पाते हैं.

इसी के बीच कृषि उत्पादों के बड़े खरीददार व्यापारी और साहूकार किसानों के हितचिंतक बनकर उभरते हैं. वे पीढ़ियों के संबंध बताकर अपनी मनमानी कर लेते हैं, जिससे किसान को तात्कालिक स्तर पर तो लाभ हो जाता है, लेकिन आगे चलकर उसे नुकसान का सामना ही करना पड़ता है. वहीं, सरकारें किसानों की समस्याओं का एक ही समाधान ऋण देना और उसे माफ करा देना ही मानती हैं.

जो कुछ सीमा तक लोकलुभावन निर्णय हो जाता है. चुनाव से लेकर आगे की राजनीति में यह काम आ जाता है. मगर मर्ज को असली दवा मिलना रह जाती है, जो राज्य में सालों-साल से हो रहा है. यह एक कटु सत्य ही है कि कर्ज पाने के सरल रास्ते और माफी की मांग किसानों को दीर्घकाल तक लाभ नहीं पहुंचा सकते हैं.

इसके लिए कृषि उपज के उत्पादन और विपणन में आने वाली समस्याओं से राज्य सरकार को समझना और निपटना होगा. स्थायी समाधान सामने लाने होंगे. केवल कर्ज राहत की एक वजह हो सकता है, लेकिन कृषि क्षेत्र में सम्पन्नता लाने के लिए पानी, बीज, बिजली आदि से लेकर समूचे उत्पादन को सुचारु बनाना होगा. तभी किसान को समृद्ध और खुशहाल देखा जा सकता है. अन्यथा एक समस्या का हल दूसरी परेशानी ही बना रहेगा.

Web Title: Maharashtra Legislature Who return loans given easily farmers Financial crisis 31 district cooperative banks 18-81 crore farmers debt Rs 3235747 crore

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