माकपा 24वीं कांग्रेसः घटते जनाधार के बीच वाम के लिए फांस बना कांग्रेस के साथ गठजोड़
By शशिधर खान | Updated: April 19, 2025 05:22 IST2025-04-19T05:22:39+5:302025-04-19T05:22:39+5:30
पूर्व सीपीएम महासचिव प्रकाश करात ने इस बात पर बल दिया कि पार्टी इंडिया गठजोड़ घटकों को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की स्वतंत्र पहचान खत्म करने की इजाजत नहीं देगी.

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हाशिए पर जाते वाम दलों में अन्य के मुकाबले बेहतर स्थिति वाली माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) उन कारणों की तलाश में जुट गई है कि अवाम के बीच उसकी पहुंच क्यों कम हो गई और जनाधार क्यों घटता जा रहा है. माकपा की हाल ही में मदुरई में संपन्न 24वीं कांग्रेस में निर्वाचित नए महासचिव एम. ए. बेबी ने दायित्व ग्रहण करते ही कहा कि पार्टी इस बात का आत्मनिरीक्षण करेगी कि अवाम से कटती क्यों जा रही है और आम लोगों से जुड़ने की कोशिश में जुटेगी. पार्टी सम्मेलन शुरू होने से पहले पूर्व सीपीएम महासचिव प्रकाश करात ने इस बात पर बल दिया कि पार्टी इंडिया गठजोड़ घटकों को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की स्वतंत्र पहचान खत्म करने की इजाजत नहीं देगी. उनका सीधा प्रहार कांग्रेस और तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन पर था.
कांग्रेस की पहल पर भाजपा के खिलाफ एकजुटता के लिए बने विपक्षी गठजोड़ ‘इंडिया’ में शामिल क्षेत्रीय दलों में मजबूत घटक है-द्रमुक (डीएमके). माकपा के अखबार पीपुल्स डेमोक्रेसी में प्रकाश करात ने कहा था कि 2 से 6 अप्रैल के बीच आयोजित सम्मेलन में इसी बात पर विचार होगा कि पार्टी की स्वतंत्र शक्ति और पहचान बढ़ाने के लिए क्या-क्या किया जाए.
इंडिया गठजोड़ में सीपीएम की लगभग कांग्रेस की पिछलग्गू वाली पहचान से क्षुब्ध प्रकाश करात ने अपनी नाराजगी मुख्य रूप से कांग्रेस पर सीधा निशाना लगाकर उतारी. लेकिन साथ में डीएमके को भी लपेटा.
वाममोर्चा में सिर्फ माकपा ही बची है, जिसकी हैसियत बची है और वो भी केरल को लेकर.
केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा का नेतृत्व सीपीएम के हाथ में है और पिनाराई विजयन दूसरी बार लगातार मुख्यमंत्री बने हैं. 2026 में उन्हें पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के साथ विधानसभा चुनाव का सामना करना है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) वाम मोर्चा का नंबर 2 दल है, जिसका सिर्फ कहने भर के लिए अस्तित्व बचा है.
केरल में वाम मोर्चा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से है, जो वहां मुख्य विपक्षी दल है. पश्चिम बंगाल में 37 वर्ष राज कर चुकी माकपा के नेतृत्ववाले वाम मोर्चा और कांग्रेस दोनों को दुहरे मुकाबले से जूझना है. केरल के मामले में कांग्रेस की रणनीति वामदलों से अन्य राज्यों के लिए इंडिया गठजोड़ धर्म निभाने वाली नहीं है.
कांग्रेस का पहला लक्ष्य है, 2026 के विधानसभा चुनाव में वाम मोर्चा को लगातार तीसरी बार सत्ता में न आने देना. 2021 से पहले दोनों मोर्चा में से कोई भी लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं आती थी. अभी नवंबर, 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव है. विपक्षी महागठजोड़ का चुनावी तालमेल बैठकों का सिलसिला जारी है. अगर कांग्रेस ने तौरतरीका नहीं बदला तो ज्यादा नुकसान उसी को उठाना होगा. वामदलों की निचले तबके के बीच कांग्रेस से बेहतर पकड़ है.