चुनावः एकता में शक्ति के मंत्र को क्या भूल रहा है विपक्ष? 

By राजकुमार सिंह | Updated: December 5, 2024 05:24 IST2024-12-05T05:24:32+5:302024-12-05T05:24:32+5:30

‘इंडिया’ बनने के बाद भी कांग्रेस ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में सहयोगी दलों को भाव नहीं दिया था.

Lok Sabha Elections bjp vs congress opposition forgetting mantra strength in unity blog raj kumar singh | चुनावः एकता में शक्ति के मंत्र को क्या भूल रहा है विपक्ष? 

file photo

Highlightsसफलता के छह महीने के अंदर ही ‘इंडिया’ में असंतोष के स्वर मुखर होने लगे हैं?बेशक ‘इंडिया’ में उजागर होनेवाली ये गांठें नई नहीं हैं. मित्र दलों द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों ने भाजपा विरोधी मतों में ही सेंध लगाई.

विपक्षी दल भूल गए लगते हैं कि पिछले साल 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में नरेंद्र मोदी सरकार और भाजपा के विरुद्ध विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ बनाते समय मंच पर लगे बैनर पर लिखा था: यूनाइटेड वी स्टैंड. यह अंग्रेजी का सूत्र वाक्य है, जिसका भावात्मक संदेश है कि एकता में ही शक्ति है. सूत्र वाक्य का दूसरा हिस्सा है: डिवाइडेड वी फॉल यानी आपस में बंटते ही हम बिखर जाते हैं. बेशक चंद महीने बाद ही ‘इंडिया’ से उसके ‘सूत्रधार’ नीतीश कुमार का जनता दल यूनाइटेड और जयंत चौधरी का राष्ट्रीय लोकदल पाला बदल गए. फिर भी इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि लोकसभा चुनाव में एकता के बल पर ही विपक्ष मोदी की भाजपा को अकेले दम बहुमत से वंचित कर पाया. फिर ऐसा क्यों कि उस सफलता के छह महीने के अंदर ही ‘इंडिया’ में असंतोष के स्वर मुखर होने लगे हैं?

बेशक ‘इंडिया’ में उजागर होनेवाली ये गांठें नई नहीं हैं. परस्पर राजनीतिक हितों के टकराव से बनीं ये ‘गांठें’ पुरानी हैं, जिन्हें बड़ी राजनीतिक मजबूरी के ‘बंधन’ से छिपाने की कोशिश की जाती है. पिछले साल ‘इंडिया’ बनने के बाद भी कांग्रेस ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में सहयोगी दलों को भाव नहीं दिया था.

तीनों राज्यों में कांग्रेस की हार के कारण कई रहे होंगे, लेकिन मित्र दलों द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों ने भाजपा विरोधी मतों में ही सेंध लगाई. इस बार पहला प्रहार ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की ओर से हुआ, जिन्होंने खुद लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस से गठबंधन करने से इनकार कर दिया था. तब कांग्रेस और वाम दल मिल कर लड़े थे.

प्रहार भी कांग्रेस से ज्यादा राहुल गांधी पर है, जो लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने टिप्पणी की कि ममता बनर्जी को ‘इंडिया’ का नेता बनाया जाना चाहिए. अब अगला चुनाव दिल्ली विधानसभा के लिए होना है. हरियाणा से शुरू कांग्रेस-आप की तल्खी दिल्ली चुनाव के लिए भी मुखर हो रही है.

‘इंडिया’ के ही घटक दल आप की सरकार के विरुद्ध कांग्रेस दिल्ली में न्याय यात्रा निकाल रही है. ऐसे में गठबंधन की तो कल्पना भी फिजूल है. आप और सपा के प्रवक्ता भी इशारों-इशारों में ‘इंडिया’ के नेतृत्व के लिए अपने-अपने नेता की पैरवी करने लगे हैं. महाराष्ट्र-झारखंड के साथ हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा के नौ उपचुनावों में सपा ने कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी.

अतीत के मद्देनजर भले ही दिल्ली में आप की जीत मुश्किल न लगे, पर ‘इंडिया’ के घटक दलों को नहीं भूलना चाहिए कि अंतर्कलह से वे अपनी विश्वसनीयता ही गंवा रहे हैं.  चुनावी राजनीति से प्रेरित ‘इंडिया’ की तल्खी अब संसद में भी असर दिखा रही है. उद्योगपति गौतम अदानी के विरुद्ध अमेरिका में मुकदमे की खबर का असर संसद के शीतकालीन सत्र पर पड़ना ही था. राहुल गांधी अरसे से अदानी से जुड़े विवादों पर मुखर रहे हैं, पर तृणमूल कांग्रेस और सपा ने एक ही मुद्दे पर संसद ठप हो जाने पर चिंता जताई है.

निश्चय ही ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर राहुल गांधी और कांग्रेस को सभी सहयोगियों को साथ ले कर चलना चाहिए, लेकिन उचित मंच पर विचार-विमर्श के बजाय अगर मतभिन्नता सार्वजनिक रूप से मुखर होगी तो जन साधारण की नजर में ‘इंडिया’ की एकता और विश्वसनीयता बढ़ेगी नहीं, बल्कि घटेगी ही.

Web Title: Lok Sabha Elections bjp vs congress opposition forgetting mantra strength in unity blog raj kumar singh

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे