Kuwait fire tragedy: केरल, तमिलनाडु और उत्तर भारतीय लोगों की मौत, हादसे से अनेक सपने स्वाहा हुए, कई उम्मीदें रह गईं अधूरी...
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: June 14, 2024 12:18 IST2024-06-14T12:17:44+5:302024-06-14T12:18:36+5:30
Kuwait fire tragedy: भयानक अग्निकांड में स्वाहा हुई जिंदगियों को लेकर तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं.

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Kuwait fire tragedy: कुवैत के मंगाफ शहर में एक बहुमंजिला इमारत में आग लगने से 45 भारतीयों की मौत हो गई है. इस भीषण अग्निकांड में कुल मिलाकर 49 विदेशी कामगार मारे गए हैं. मृतकों में से अधिकांश केरल, तमिलनाडु और उत्तर भारतीय राज्यों के भारतीय नागरिक थे. उनकी उम्र 20 साल से 50 साल के बीच थी. कहना गलत न होगा कि इस हादसे से अनेक सपने आग के हवाले हो गए, कई उम्मीदें अधूरी रह गईं. यहां रहने वाले लोग अपने परिवार को खुशहाल जिंदगी देने के लिए तरह-तरह के काम कर रहे थे.
किसी को लौटकर शादी करनी थी, तो कोई अपनी बेटी की अच्छी पढ़ाई के लिए पैसे जमा कर रहा था. बताया जा रहा है कि यह घटनाक्रम बिल्डिंग के मालिक के लालच की वजह से हुआ है. कंपनी ने अपने फायदे के लिए बड़ी संख्या में एक ही भवन में बहुत ज्यादा श्रमिकों को भर दिया था. इस भयानक अग्निकांड में स्वाहा हुई जिंदगियों को लेकर तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं.
अरब देशों में रोजी-रोटी के लिए जाने वाले श्रमिकों का जीवन कितना नारकीय है, इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि चारमंजिला इस बिल्डिंग को कुवैत में कैंप कहा जाता है. इस कैंप में एक-एक कमरे में दर्जनों श्रमिक एकसाथ रहते हैं. इन कैंप में लोगों के भोजन के लिए एक बड़ी रसोई होती है. बताया जा रहा है कि कुवैत अग्निकांड में आग उसके किचन से ही भड़की थी.
भरपूर तेल भंडार वाले कुवैत में तकरीबन 10 लाख भारतीय रहते हैं, जो वहां की आबादी का 21 प्रतिशत है. इनमें से नौ लाख भारतीय बतौर श्रमिक अपना योगदान देते हैं. कुवैत काफी हद तक भारतीय मजदूरों और स्टाफ पर निर्भर है. पूर्व में कई बार कुवैत व दूसरे खाड़ी देशों में रहने वाले भारतीय श्रमिकों की खराब स्थिति का मामला सामने आता रहा है.
पेशेवर भारतीयों की हालत तो फिर भी ठीक है लेकिन मजदूरों के रहने की स्थितियां बहुत खराब हैं. वैसे कुवैत को खाड़ी देशों में काम करने के लिहाज सबसे खराब देश माना जाता है. क्योंकि श्रमिक न तो यहां ज्यादा पैसा खर्च करने की स्थिति में रहते हैं और न रहने की बेहतर जगहों को पाने की स्थिति में हैं. इसलिए हर बिल्डिंग के कमरे मजदूरों से अटे रहते हैं.
अच्छे वेतन और नौकरी का लालच देकर दलाल कई भारतीयों को खाड़ी देश ले जाते हैं. लेकिन कई लोगों के साथ वहां पहुंचते ही शोषण का सिलसिला शुरू हो जाता है. अक्सर कामगार वेतन न मिलने, छुट्टी न मिलने, मेडिकल बीमा और एक्जिट या रि-एंट्री वीजा देने से इनकार करने से जुड़ी समस्याओं से जूझते रहते हैं. ऐसा भी सामने आया है कि मजदूर भारतीय दूतावास से संपर्क करने की कोशिश करते हैं.
लेकिन सरकार की कार्यप्रणाली की वजह से उन्हें आसानी से न्याय नहीं मिल पाता है. इस भीषण घटना से न केवल कुवैत प्रशासन को, बल्कि भारत की सरकार को भी सचेत होना होगा, क्योंकि ताजा हादसा नई बात नहीं है, खाड़ी देशों में रोजाना 10 भारतीयों की मौत हो जाती है. यह आंकड़ा वहां रहने वाले कामगारों की स्थिति को बयां करता है.