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योगेश कुमार गोयल का ब्लॉग: भारतीय सैनिकों की जांबाजी का प्रतीक है कारगिल विजय दिवस

By योगेश कुमार गोयल | Updated: July 26, 2024 11:09 IST

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद पहली बार कारगिल युद्ध हुआ था, जब दोनों देश सीधे तौर पर सैन्य संघर्ष में शामिल हुए थे. युद्ध की खास बात यह थी कि वह युद्ध काफी ऊंचाई पर लड़ा गया था, जिसमें कुछ सैन्य चौकियां तो 18 हजार फुट से भी ज्यादा ऊंचाई पर स्थित थीं. 

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ठळक मुद्देभारतीय सेना ने युद्ध के दौरान तोलोलिंग, टाइगर हिल, प्वाइंट 4875 सहित अन्य रणनीतिक चोटियों पर फिर से कब्जा कर लिया था.कारगिल युद्ध में न केवल भारतीय सेना के 527 सैनिक शहीद हुए थे बल्कि दो महीने तक चले उस युद्ध के दौरान 453 आम नागरिक भी मारे गए थे.पाकिस्तान पर भारत की इस जीत को याद करते हुए 26 जुलाई को 'कारगिल विजय दिवस' के रूप में मनाया जाता है.

26 जुलाई को पूरा देश कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती मना रहा है. दरअसल भारतीय सेना ने 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी फौज को बुरी तरह धूल चटा दी थी. भारत-पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में हुआ वह युद्ध 60 दिनों तक चला था और पाकिस्तान फौज की करारी शिकस्त के बाद 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ था. 

पाकिस्तान पर भारत की इस जीत को याद करते हुए 26 जुलाई को 'कारगिल विजय दिवस' के रूप में मनाया जाता है. पाकिस्तानी सैनिकों और भाड़े के आतंकवादियों को मारकर या खदेड़कर कारगिल की चोटियों पर कब्जा करने के लिए चलाए गए 'ऑपरेशन विजय' के तहत तमाम बाधाओं को पार करते हुए हमारे वीर जांबाजों ने दुर्गम चोटियों पर जीत का परचम लहराया था लेकिन देश को इसकी बहुत भारी कीमत भी चुकानी पड़ी थी. 

कारगिल युद्ध में न केवल भारतीय सेना के 527 सैनिक शहीद हुए थे बल्कि दो महीने तक चले उस युद्ध के दौरान 453 आम नागरिक भी मारे गए थे. इसीलिए भारतीय सेना की उस विजय के बाद सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 26 जुलाई को भारतीय सेना के शौर्य दिवस के रूप में कारगिल विजय दिवस मनाए जाने का फैसला लिया गया. 

कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती के अवसर पर कारगिल जिले के द्रास में 24 से 26 जुलाई तक कई समारोहों का आयोजन किया गया है और 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर द्रास में आयोजित भव्य कार्यक्रम में शामिल होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेना के जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए उनसे मुलाकात भी करेंगे. 

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद पहली बार कारगिल युद्ध हुआ था, जब दोनों देश सीधे तौर पर सैन्य संघर्ष में शामिल हुए थे. युद्ध की खास बात यह थी कि वह युद्ध काफी ऊंचाई पर लड़ा गया था, जिसमें कुछ सैन्य चौकियां तो 18 हजार फुट से भी ज्यादा ऊंचाई पर स्थित थीं. 

ऐसे में भारतीय सैनिकों के लिए वह लड़ाई बेहद चुनौतीपूर्ण थी लेकिन हमारे जांबाजों ने देश की आन-बान और शान के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर न केवल पाकिस्तान को उसकी असली औकात दिखाई बल्कि 700 से भी ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट भी उतारा. 

दुश्मन को रणनीतिक स्थानों से हटाने के लिए महत्वपूर्ण हवाई हमले करते हुए भारतीय वायुसेना ने उस युद्ध के दौरान बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. भारतीय सेना ने युद्ध के दौरान तोलोलिंग, टाइगर हिल, प्वाइंट 4875 सहित अन्य रणनीतिक चोटियों पर फिर से कब्जा कर लिया था.

टॅग्स :कारगिल विजय दिवसKargil
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