लाइव न्यूज़ :

जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया आगे बढ़ी, प्रमोद भार्गव का ब्लॉग

By प्रमोद भार्गव | Updated: July 13, 2021 13:32 IST

परिसीमन आयोग की प्रमुख न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी.

Open in App
ठळक मुद्देआयोग ने कहा कि 2011 की जनगणना के आधार पर ही परिसीमनका काम होगा.पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पड़ने वाली 24 विधानसभा सीटें खाली रहेंगी.यह प्रक्रिया पारदर्शी होगी और इसमें कोई भय और संदेह नहीं होना चाहिए.

जम्मू-कश्मीर में धारा-370 और 35-ए समाप्त होने के बाद ठिठकी हुई राजनीतिक प्रक्रिया शुरू होने के बाद परिसीमन आयोग ने भी चार दिन का दौरा करके परिसीमन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का काम कर दिया है.

मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने जम्मू-कश्मीर के 290 प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात करने के बाद कहा कि  परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर होगा. 1995 में जेके में 12 जिले थे, जबकि अब 20 हैं. तहसीलें भी 58 से बढ़कर 270 हो गई हैं. 12 जिले ऐसे हैं, जिनके विधानसभा क्षेत्रों की सीमा जिले से बाहर हैं. कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जिनकी सीमा 1 से ज्यादा तहसीलों में है.

इस आधार पर विधानसभा की सात सीटें बढ़ जाएंगी. अगले वर्ष मार्च तक परिसीमन पूरा होने के पश्चात अंतिम प्रारूप रायशुमारी के लिए रखा जाएगा.  जेके में पहला पूर्ण परिसीमन आयोग 1981 में बना था.  जम्मू-कश्मीर के विभाजन और विधानसभा सीटों के विभाजन संबंधी पुनर्गठन विधेयक-2019, 31 अक्तूबर 2019 को लागू कर दिया गया था.

इसके लागू होने के बाद इस राज्य की भूमि का ही नहीं राजनीति का भी भूगोल बदलेगा. इसके साथ ही विधानसभा सीटों के परिसीमन के जरिए राजनीतिक भूगोल बदलेगा. नए सिरे से परिसीमन व आबादी के अनुपात में जम्मू-कश्मीर की नई विधानसभा का जो आकार सामने आएगा, उसमें फिलहाल विधानसभा की सात सीटें बढ़ने का संकेत मिल गया है.

बंटवारे के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित राज्य हो गए हैं. दोनों जगह दिल्ली व चंडीगढ़ की तरह मजबूत उप राज्यपाल सत्ता-शक्ति के प्रमुख केंद्र के रूप में अस्तित्व में आ गए हैं. लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. आयोग राजनीतिक भूगोल का अध्ययन कर रिपोर्ट देगा. आयोग राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूदा आबादी और उसका लोकसभा एवं विधानसभा क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व का आकलन करेगा.

साथ ही राज्य में अनुसूचित व अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों को सुरक्षित करने का भी अहम निर्णय लेगा. फिलहाल रंजना देसाई की अध्यक्षता वाले परिसीमन आयोग ने कहा है कि 11 सीटें अनुसूचित जाति व जनजातियों के लिए आरक्षित की जाएंगी. बढ़ी सात सीटें जम्मू क्षेत्र में जाएंगी. साफ है, जम्मू-कश्मीर में भौगोलिक, सांप्रदायिक और जातिगत असमानताएं दूर होंगी.

नतीजतन इस पूरे क्षेत्र में नए राष्ट्रवादी उज्ज्वल चेहरे देखने में आएंगे, जो देश की अखंडता व संप्रभुता को सुरक्षित बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध होंगे. जम्मू-कश्मीर में अंतिम बार 1995 में परिसीमन हुआ था. राज्य का विलोपित संविधान कहता था कि हर 10 साल में परिसीमन जारी रखते हुए जनसंख्या के घनत्व के आधार पर विधान व लोकसभा क्षेत्रों का निर्धारण होना चाहिए.

परिसीमन का यही समावेशी नजरिया है. जिससे बीते 10 साल में यदि जनसंख्यात्मक घनत्व की दृष्टि से कोई विसंगति उभर आई है, तो वह दूर हो जाए और समरसता पेश आए. इसी आधार पर राज्य में 2005 में परिसीमन होना था, लेकिन 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने राज्य संविधान में संशोधन कर 2026 तक इस पर रोक लगा दी थी.

इस हेतु बहाना बनाया कि 2026 के बाद होने वाली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े आने तक परिसीमन नहीं होगा. फिलहाल जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की कुल 111 सीटें हैं. इनमें से 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) क्षेत्र में आती हैं. इस उम्मीद के चलते ये सीटें खाली रहती हैं कि एक न एक दिन पीओके भारत के कब्जे में आ जाएगा. फिलहाल बाकी 87 सीटों पर चुनाव होता है.

इस समय कश्मीर यानी घाटी में 46, जम्मू में 37 और लद्दाख में 4 विधानसभा सीटें हैं. 2011 की जनगणना के आधार पर राज्य में जम्मू संभाग की जनसंख्या 53 लाख 78 हजार 538 है. यह प्रांत की 42.89 प्रतिशत आबादी है. राज्य का 25.93 फीसदी क्षेत्र जम्मू संभाग में आता है. इस क्षेत्र में विधानसभा की 37 सीटें आती हैं. दूसरी तरफ कश्मीर घाटी की आबादी 68 लाख 88 हजार 475 है.

प्रदेश की आबादी का यह 54.93 प्रतिशत भाग है. कश्मीर संभाग का क्षेत्रफल राज्य के क्षेत्रफल का 15.73 प्रतिशत है. यहां से कुल 46 विधायक चुने जाते हैं. इसके अलावा राज्य के 58.33 प्रतिशत वाले भू-भाग लद्दाख में संभाग में महज 4 विधानसभा सीटें थीं, जो अब लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद विलोपित हो जाएंगी.

साफ है, जनसंख्यात्मक घनत्व और संभागबार भौगोलिक अनुपात में बड़ी असमानता है, जनहित में इसे दूर किया जाना, एक जिम्मेवार सरकार की जवाबदेही बनती है. फिलहाल कश्मीर में एक भी सीट पर जातिगत आरक्षण की सुविधा नहीं है, जबकि इस क्षेत्र में 11 प्रतिशत गुर्जर बकरवाल और गद्दी जनजाति समुदायों की बड़ी आबादी निवास करती है.

जम्मू क्षेत्र में सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, लेकिन इनमें आजादी से लेकर अब तक क्षेत्र का बदलाव नहीं किया गया है. बहरहाल अब इन केंद्रशासित प्रदेशों में कई ऐसे बदलाव देखने में आएंगे, जो यहां के निवासियों के लिए समावेशी होने के साथ लाभदायी भी साबित होंगे. 

टॅग्स :जम्मू कश्मीरभारतीय जनता पार्टीभारत सरकारजम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंसजम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टीजम्मू कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टीमहबूबा मुफ़्तीउमर अब्दुल्लाफारूक अब्दुल्लागुलाम नबी आजाद
Open in App

संबंधित खबरें

भारतDrung Waterfall: महीनों बाद खुला द्रुग वाटरफाल, टंगमर्ग राइडर्स की रोजी-रोटी में मदद मिली

भारतJammu-Kashmir Power Shortage: सर्दी बढ़ने के साथ कश्मीर में गहराया बिजली सकंट, करीब 500 मेगावाट बिजली की कमी से परेशान लोग

भारतJammu-Kashmir: कश्मीर के मोर्चे से खुशखबरी, आतंकी हिंसा में गिरावट पर आतंक और दहशत में नहीं

पूजा पाठVaishno Devi Temple: मां वैष्णो देवी की यात्रा में गिरावट, पिछले साल के मुकाबले श्रद्धालुओं की संख्या घटी

भारतदिल्ली लाल किला कार विस्फोटः जम्मू-कश्मीर और लखनऊ में कुल 8 जगहों पर NIA छापेमारी, ‘सफेदपोश’ आतंकी मॉड्यूल पर नजर, पुलवामा, शोपियां और कुलगाम में एक्शन

भारत अधिक खबरें

भारतPutin India Visit: पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो के उड़ानों के रद्द होने पर राहुल गांधी ने किया रिएक्ट, बोले- "सरकार के एकाधिकार मॉडल का नतीजा"

भारतIndiGo Flights Cancelled: इंडिगो ने दिल्ली से सभी फ्लाइट्स आज रात तक की बंद, यात्रियों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी

भारतइंडिगो की 400 से ज्यादा उड़ानें आज हुई रद्द, यात्रियों के लिए मुश्किल हुआ हवाई सफर

भारतPutin Visit India: राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे का दूसरा दिन, राजघाट पर देंगे श्रद्धांजलि; जानें क्या है शेड्यूल