जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने और केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद पहली बार वहां विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. चुनाव आयोग द्वारा की गई घोषणा के अनुसार जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में- 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्तूबर को मतदान होगा. इसके अलावा हरियाणाविधानसभा चुनाव की भी घोषणा की गई है, जहां एक अक्तूबर को मतदान होगा.
दोनों राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों की घोषणा 4 अक्तूबर को की जाएगी. जहां तक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का सवाल है, वहां दस साल में पहली बार मतदान होने जा रहा है. इसके पहले वहां 2014 में चुनाव हुए थे, जिसमें किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था और गठबंधन सरकार बनी थी. 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया था.
हालांकि इसके बाद कई लोगों ने वहां अशांति बढ़ने की आशंका जताई थी लेकिन वहां के लोगों ने शांति बनाए रखते हुए साबित कर दिया कि वे पाकिस्तान पोषित आतंकवाद से तंग आ चुके हैं और अब शांति के साथ विकास की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं. लेकिन पाक परस्त आतंकवादियों को वहां की यह शांति रास नहीं आई और पिछले कुछ महीनों से उन्होंने सक्रियता फिर बढ़ा दी है.
खासकर जम्मू सेक्टर में पिछले कुछ दिनों से आतंकी हमलों में काफी तेजी आई है और आतंकियों ने कठुआ, भद्रवाह, डोडा, रियासी तथा उधमपुर जिलों को टारगेट किया है. इसके बावजूद चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनावों की घोषणा दिखाती है कि सरकार वहां लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करने के लिए कटिबद्ध है.
पाकिस्तान द्वारा कश्मीर को लेकर दुनिया में किए जाने वाले दुष्प्रचार का भी वहां होने वाले चुनावों की सफलता के जरिये करारा जवाब दिया जा सकेगा. पाकिस्तान अपने यहां तो लोकतंत्र को मजबूत कर नहीं पा रहा है और सरकार फौज की कठपुतली बनी रहती है, फिर भी वह जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने से बाज नहीं आता.
आगामी चुनावों के दौरान भी वह घाटी में आतंकी वारदातों में तेजी लाने की पूरी कोशिश करेगा, इसमें संदेह नहीं है. लेकिन हमारे सैनिक उसकी नापाक हरकतों का करारा जवाब देने में पूरी तरह सक्षम हैं और जम्मू-कश्मीर में चुनाव सुचारु रूप से संपन्न होकर भारत की लोकतांत्रिक मजबूती को दुनिया में और भी मजबूती से दिखाएंगे, इसमें भी संदेह नहीं है.