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भारत-चीन के बीच तनाव खत्म होने के संकेत, 15000 फुट की ऊंचाई पर महीनों तक टिके रहना खतरे से खाली नहीं, वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: November 13, 2020 13:15 IST

तीन दिन में 30-30 प्रतिशत सैनिक हटेंगे. जितने उनके हटेंगे, उतने ही हमारे भी हटेंगे. उन्होंने पिछले चार-छह माह में लद्दाख सीमांत पर हजारों नए सैनिक डटा दिए हैं. चीन ने तोपों, टैंकों और विमानों का भी इंतजाम कर लिया है लेकिन चीनी फौजियों को लद्दाख की ठंड ने परेशान करके रख दिया है.

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ठळक मुद्दे15000 फुट की ऊंचाई पर महीनों तक टिके रहना खतरे से खाली नहीं है. भारतीय फौजी तो पहले से ही अभ्यस्त हैं. आठ बार के लंबे संवाद के बाद दोनों तरफ के जनरलों के बीच यह जो सहमति हुई है, उसके पीछे दो बड़े कारण और भी हैं.चीनी कंपनियों पर लगे भारतीय प्रतिबंधों और व्यापारिक बहिष्कार ने चीनी सरकार पर पीछे हटने के लिए दबाव बनाया है.

भारत-चीन तनाव खत्म होने के संकेत मिलने लगे हैं. अभी दोनों तरफ की सेनाओं ने पीछे हटना शुरू  नहीं किया है लेकिन दोनों इस बात पर सहमत हो गई हैं कि मार्च-अप्रैल में वे जहां थीं, वहीं वापस चली जाएंगी. उनका वापस जाना भी आज-कल में ही शुरू होनेवाला है.

तीन दिन में 30-30 प्रतिशत सैनिक हटेंगे. जितने उनके हटेंगे, उतने ही हमारे भी हटेंगे. उन्होंने पिछले चार-छह माह में लद्दाख सीमांत पर हजारों नए सैनिक डटा दिए हैं. चीन ने तोपों, टैंकों और विमानों का भी इंतजाम कर लिया है लेकिन चीनी फौजियों को लद्दाख की ठंड ने परेशान करके रख दिया है.

15000 फुट की ऊंचाई पर महीनों तक टिके रहना खतरे से खाली नहीं है. भारतीय फौजी तो पहले से ही अभ्यस्त हैं. आठ बार के लंबे संवाद के बाद दोनों तरफ के जनरलों के बीच यह जो सहमति हुई है, उसके पीछे दो बड़े कारण और भी हैं.

एक तो चीनी कंपनियों पर लगे भारतीय प्रतिबंधों और व्यापारिक बहिष्कार ने चीनी सरकार पर पीछे हटने के लिए दबाव बनाया है. दूसरा, ट्रम्प प्रशासन ने चीन से चल रहे अपने झगड़े के कारण उसे भारत पर हमलावर कहकर सारी दुनिया में बदनाम कर दिया है.

अब अमेरिका के नए बाइडेन-प्रशासन से तनाव कम करने में यह तथ्य चीन की मदद करेगा कि भारत से उसका समझौता हो गया है. लद्दाख की एक मुठभेड़ में हमारे 20 जवान और चीन के भी कुछ सैनिक जरूर मारे गए लेकिन यह घटना स्थानीय और तात्कालिक बनकर रह गई.

दोनों सेनाओं में युद्ध-जैसी स्थिति नहीं बनी, हालांकि हमारे कुछ टीवी चैनल और चीन का अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ इसकी बहुत कोशिश करता रहा लेकिन मैं भारत और चीन के नेताओं की इस मामले में सराहना करना चाहता हूं.

उन्होंने एक-दूसरे के खिलाफ नाम लेकर कोई आपत्तिजनक या भड़काऊ बयान नहीं दिए. हमारे प्रधानमंत्नी और रक्षा मंत्नी ने चीनी अतिक्रमण पर अपना क्रोध जरूर व्यक्त किया लेकिन कभी चीन का नाम तक नहीं लिया. चीन के नेताओं ने भी भारत के गुस्से पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की. दोनों देशों के नेताओं के संयम को ही इस समझौते का श्रेय मिलना चाहिए.

टॅग्स :लद्दाखचीननरेंद्र मोदीशी जिनपिंगजम्मू कश्मीर
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