असंतोष को अराजकता में बदलने से रोकने के उपाय करना जरूरी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: September 26, 2025 07:19 IST2025-09-26T07:19:15+5:302025-09-26T07:19:43+5:30

युवा इस देरी से नाराज थे. शायद उन्हें लग रहा था कि सरकार किसी भी तरह से आंदोलन को ठंडा करना चाहती है.

It is necessary to take measures to prevent Ladakh discontent from turning into anarchy | असंतोष को अराजकता में बदलने से रोकने के उपाय करना जरूरी

असंतोष को अराजकता में बदलने से रोकने के उपाय करना जरूरी

लद्दाख के लेह शहर में बुधवार को लेह एपेक्स बॉडी(एलएबी) के बंद के दौरान युवा प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प में बुधवार को चार लोगों के मारे जाने की घटना बेहद दुखद है. जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल में शामिल सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने भाजपा व हिल काउंसिल के दफ्तर में तोड़फोड़ कर आग लगा दी तथा सुरक्षा बलों की गाड़ियां भी जला दीं. बताया जाता है कि पंद्रह दिनों से जारी सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल में उनके साथ कई और लोग भी शामिल थे.

इन्हीं में से दो बुजुर्गों की तबियत मंगलवार को बिगड़ गई, जिसके बाद स्थानीय लोग बड़ी संख्या में जुटने लगे और आंदोलन उग्र हो गया. हालांकि इस हिंसा के बाद सोनम वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल बुधवार को वापस ले ली. वांगचुक समेत प्रदर्शनकारियों की जो चार मांगें हैं उनमें लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देना, संविधान की छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा, कारगिल-लेह दो अलग लोकसभा सीट बनाना और सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों की भर्ती करना शामिल है.

वांगचुके की हड़ताल शुरू होने के दस दिन बाद यानी 20 सितंबर को केंद्र ने बातचीत का निमंत्रण भी भेजा, लेकिन प्रस्तावित बातचीत की तारीख छह अक्तूबर तय की. युवा इस देरी से नाराज थे. शायद उन्हें लग रहा था कि सरकार किसी भी तरह से आंदोलन को ठंडा करना चाहती है. इसलिए उनका गुस्सा और भड़क गया. सोनम वांगचुक लंबे समय से पर्यावरण के क्षेत्र में सक्रिय हैं और उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए भी काम किया है.

उनके नवाचारों ने भी लोगों का ध्यान खींचा है और आइस स्तूप का निर्माण भारतीय सैनिकों के लिए भी बहुत लाभकारी साबित हुआ है. फिल्म थ्री इडियट्‌स में आमिर खान ने जो किरदार निभाया उसे सोनम वांगचुक से ही प्रेरित माना जाता है. लद्दाख के पर्यावरण को बचाने के लिए वे पहले भी कई बार भूख हड़ताल  कर चुके हैं और एक बार अपने समर्थकों के साथ पैदल चलकर दिल्ली भी आ चुके हैं.

लेकिन उनके ये सारे प्रयास अभी तक व्यर्थ ही गए हैं. हिमालय में पर्यावरण संतुलन जिस तेजी से बिगड़ रहा है और आपदाओं की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए तत्काल बड़े कदम उठाए जाने की जरूरत है. लेकिन विडंबना यह है कि वांगचुक द्वारा उठाए गए मुद्दों का शीघ्र निराकरण करने के बजाय सरकार हिंसा के लिए उन्हें ही दोषी ठहरा रही है.

सरकार को यह समझना होगा कि शांतिपूर्ण तरीके अपनाने वालों की जब बात नहीं सुनी जाती तो व्यवस्था पर से आम लोगों का विश्वास कमजोर होने लगता है और असामाजिक तत्वों के हौसले बुलंद होते हैं. इसलिए हिंसा और असंतोष को बढ़ने से रोकने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि मामले को लंबा न खींचते हुए, मुद्दों का शीघ्र निपटारा किया जाए.

Web Title: It is necessary to take measures to prevent Ladakh discontent from turning into anarchy

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