लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: मध्य एशिया से भारत का गहरा जुड़ाव जरूरी

By शोभना जैन | Updated: December 25, 2021 08:47 IST

इस सप्ताह पांच मध्य एशियाई देशों- कजाकिस्तान, किर्गिज रिपब्लिक, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ हुए भारत-मध्य एशिया संवाद के बाद अब इन सभी पांच देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस वर्ष गणतंत्र समारोह में मुख्य अतिथि बतौर निमंत्रित किए गए हैं.

Open in App
ठळक मुद्देअफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से मध्य एशिया को प्रभाव क्षेत्र बनाए जाने की होड़ चल रही है.भारत इस क्षेत्र के साथ नजदीकियां और बढ़ाने पर विशेष ध्यान दे रहा है.रूस सहित ये मध्य एशियाई देश भी साझी चिंताओं और सरोकारों पर एकमत हैं.

भारत और मध्य एशिया के बीच प्रगाढ़ ऐतिहासिक, सांस्कृतिक रिश्तों की बुनियाद पर आधारित संबंध रहे हैं. इस क्षेत्र में महाशक्तियों की बढ़ती स्पर्धा और दांव पेंचों की पृष्ठभूमि में भारत के लिए इन रिश्तों को और मजबूत व गहरा बनाया जाना अब वक्त की जरूरत व सामरिक रणनीति भी बन गया है.इस सप्ताह पांच मध्य एशियाई देशों- कजाकिस्तान, किर्गिज रिपब्लिक, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ हुए भारत-मध्य एशिया संवाद के बाद अब इन सभी पांच देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस वर्ष गणतंत्र समारोह में मुख्य अतिथि बतौर निमंत्रित किए गए हैं.संकेत है कि तब इन राष्ट्राध्यक्षों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिखर बैठक भी होगी. निश्चय ही बदलते भू राजनीतिक समीकरणों में विशेष तौर पर अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से मध्य एशिया ऐसा क्षेत्र बन गया है जिसकी सामरिक, व्यापारिक अहमियत को देखते हुए बड़ी ताकतों के बीच इसे अपना प्रभाव क्षेत्र बनाए जाने की तगड़ी होड़ चल रही है.अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से भारत, रूस और मध्य एशियाई देशों विशेष तौर पर, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान की सीमा के अफगानिस्तान से जुड़े होने की वजह से इन तीन देशों के लिए साझा तौर पर आतंकवाद के बढ़ते खतरे से आशंकित होना स्वाभाविक है.पाकिस्तान, अफगानिस्तान क्षेत्र में सक्रिय विभिन्न कट्टरपंथी गुटों की हिंसा इस खतरे को और बढ़ा देती है. अब मौजूदा घटनाक्रम के समीकरणों के साथ-साथ इस क्षेत्र की अहमियत देखते हुए यहां बड़ी शक्तियों की दिलचस्पी और इस क्षेत्र को अपना प्रभाव क्षेत्र बनाने की बड़ी ताकतों की बढ़ती स्पर्धा निश्चित ही आसपास के क्षेत्रों के लिए चिंताजनक है.ऐसे में ठीक भी है कि भारत इस क्षेत्र के साथ नजदीकियां और बढ़ाने पर विशेष ध्यान दे रहा है और अच्छी बात है कि रूस सहित ये मध्य एशियाई देश भी साझी चिंताओं और सरोकारों पर एकमत हैं.हालांकि यह भी हकीकत है कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक संबंधों के साझी विरासत से जुड़े होने के बावजूद मध्य एशियाई क्षेत्र हमारी विदेश नीति की प्राथमिकता सूची से थोड़ा दूर सा हो गया था, हालांकि एशिया, पड़ोस सबसे पहले, एक्ट ईस्ट जैसी नीतियों के चलते एशिया के अन्य हिस्सों से हमारी नजदीकियां बढ़ती रहीं.ये सभी देश संप्रभु हैं और इनके साथ भारत के अच्छे द्विपक्षीय संबंध भी हैं, लेकिन अपनी विदेश नीति के तहत हम इन देशों को एक क्षेत्र-विशेष के रूप में देखते हैं. ऐसे में अब निश्चय ही मध्य एशिया से नजदीकियां बढ़ाना भारत के लिए जरूरी है, और भारत इस दिशा में कदम भी उठा रहा है.यहां यह बात भी दिलचस्प है कि यह बैठक ऐसे वक्त में हुई है जबकि पिछले सप्ताह पाकिस्तान में इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी की बैठक हुई उसमें दुनिया के 57 देशों के विदेश मंत्रियों और प्रतिनिधियों के अलावा अफगानिस्तान, रूस, अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों को भी भाग लेना था, लेकिन कम ही देशों ने इसमें भाग लिया.जबकि ठीक उसी वक्त भारत में हुई बैठक में मध्य एशिया के पांचों मुस्लिम गणतंत्रों के विदेश मंत्रियों ने स्वयं हिस्सा लिया और इन देशों ने अपने उप विदेश मंत्रियों के प्रतिनिधिमंडल को ही ओआईसी की बैठक में भेजा.अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में अफगानिस्तान की स्थितियां और उसकी स्थिरता बेहद अहम है. इस बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि मध्य एशियाई देश और भारत मिलकर संबंधित चिंताओं का समाधान करने में सहयोग करेंगे.बैठक में भारत और पांच मध्य एशियाई देशों ने अफगानिस्तान के लोगों को तत्काल मानवीय सहायता मुहैया कराने पर जोर दिया और सभी ने एक मत से इस बात पर भी बल दिया कि अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल आतंकवादियों को पनाह देने, उन्हें प्रशिक्षण देने, आतंकी गतिविधियों की योजना बनाने या उनके वित्त पोषण के लिए नहीं किया जाए.हालांकि यह बात भी अहम है कि भारत के तालिबान प्रशासन के साथ रिश्ते नहीं हैं लेकिन वह अफगान जनता को मानवीय मदद भेज रहा है जबकि अधिकतर मध्य एशियाई देशों के तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान से रिश्ते हैं. अफगानिस्तान में आतंकवाद के खतरे, कट्टरपंथ, नशीले पदार्थों के कारोबार आदि समस्याओं से निपटने को लेकर व्यापक क्षेत्रीय सहमति है.विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इन देशों के विदेश मंत्रियों के साथ चर्चा में साझा सामूहिक प्रयासों से आतंकवाद से निपटने सहित 4- सी यानी चार क्षेत्रों में मिल कर काम करने पर बल दिया- वाणिज्य क्षमता बढ़ाना, विभिन्न मार्गों के जरिये जुड़ना और संपर्क बढ़ाना.निश्चय ही चुनौतियां हैं, लेकिन इस बैठक में विभिन्न मुद्दों पर साझा सरोकारों और सहमति कायम करने की दिशा में जिस तरह से सामूहिक कदम आगे बढ़े हैं, उससे उम्मीद की जानी चाहिए कि साझी विरासत से जुड़े मध्य एशिया और भारत के बीच नजदीकियां एक बार फिर से और गहरी होंगी और न केवल इससे भारत व मध्य एशिया परस्पर विकास में साझीदार बनेंगे बल्कि दोनों क्षेत्रों की जनता भी इन संपर्क मार्गो के जरिये और नजदीक आएगी.

टॅग्स :तालिबानअफगानिस्तानAsiaभारतपाकिस्तानरूस
Open in App

संबंधित खबरें

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

विश्वपाकिस्तान: सिंध प्रांत में स्कूली छात्राओं पर धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप, जांच शुरू

भारतModi-Putin Talks: यूक्रेन के संकट पर बोले पीएम मोदी, बोले- भारत न्यूट्रल नहीं है...

भारतPutin India Visit: एयरपोर्ट पर पीएम मोदी ने गले लगाकर किया रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत, एक ही कार में हुए रवाना, देखें तस्वीरें

बॉलीवुड चुस्कीDhurandhar: फिल्म में दानिश पंडोर निभा रहे हैं उज़ैर बलूच का किरदार, कराची का खूंखार गैंगस्टर जो कटे हुए सिरों से खेलता था फुटबॉल, देखें उसकी हैवानियत

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई