ब्लॉगः मेडिकल की अंग्रेजी किताबों के हिंदी अनुवाद में अर्थ का अनर्थ...ये चूक नहीं होती अगर...

By वेद प्रताप वैदिक | Published: October 19, 2022 09:14 AM2022-10-19T09:14:06+5:302022-10-19T09:15:01+5:30

यह जो अनुवाद हुआ है, उसे म.प्र. के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य-शिक्षा मंत्री यदि हिंदी के कुछ विद्वानों को पहले दिखवा लेते तो ठीक रहता लेकिन यह भी सराहनीय है कि अंग्रेजी की पढ़ाई में डूबे हुए डॉक्टरों ने कुछ न कुछ पहल इतने कम समय में कर ही डाली है।

Hindi books of MBBS course loss of meaning in Hindi translation of medical English books | ब्लॉगः मेडिकल की अंग्रेजी किताबों के हिंदी अनुवाद में अर्थ का अनर्थ...ये चूक नहीं होती अगर...

ब्लॉगः मेडिकल की अंग्रेजी किताबों के हिंदी अनुवाद में अर्थ का अनर्थ...ये चूक नहीं होती अगर...

इधर भोपाल में गृह मंत्री अमित शाह ने मेडिकल की तीन हिंदी किताबों का विमोचन किया, जो कि मेरी राय में बहुत ही महत्वपूर्ण ऐतिहासिक शुभारंभ है लेकिन उसके साथ ही दो विपरीत प्रवृत्तियां भी सामने आई हैं। पहली तो यह कि कुछ लोगों ने हिंदी में प्रकाशित उन पुस्तकों का मजाक उड़ाया है। उन्होंने एकाध पुस्तक के कुछ पृष्ठों को प्रसारित करके बताया कि अनुवादकों ने कैसे हिंदी पर अंग्रेजी शब्दों को थोप रखा है और जो नमूना वे फेसबुक और इंटरनेट पर प्रचारित कर रहे हैं, उसका मूल सार यह है कि वह हिंदी की किताब नहीं है बल्कि हिंदी लिपि में छपी अंग्रेजी की ही किताब है।

वे जिस पृष्ठ को दिखा-दिखाकर यह बात कह रहे हैं, उसे देखकर उनकी बात ठीक भी लगती है। यह जो अनुवाद हुआ है, उसे म.प्र. के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य-शिक्षा मंत्री यदि हिंदी के कुछ विद्वानों को पहले दिखवा लेते तो ठीक रहता लेकिन यह भी सराहनीय है कि अंग्रेजी की पढ़ाई में डूबे हुए डॉक्टरों ने कुछ न कुछ पहल इतने कम समय में कर ही डाली है। यदि म.प्र. सरकार के नेता और अफसर थोड़ी सावधानी बरतते तो उनसे यह चूक नहीं होती।  

जरूरी है कि हिंदी में हम जो भी काम करें, वह अंग्रेजी से बेहतर हो। म.प्र. सरकार ने मेडिकल किताबें हिंदी में बनाने की जो पहल की है, उस पर दूसरी आपत्तियां जोरदार शब्दों में बंगाल और दक्षिण भारत से उठ रही हैं। इन प्रांतों के कई डॉक्टरी और शैक्षणिक संगठनों ने बयान जारी करके कहा है कि अंग्रेजी की किताबों के हिंदी अनुवाद में अर्थ का अनर्थ हो जाता है। डॉक्टरी के धंधे में यह अनर्थ रोगी के लिए जानलेवा सिद्ध हो सकता है। यह तर्क कुछ हद तक ठीक है। इसका हल यह है कि हिंदी के मूलपाठ में या तो अंग्रेजी नामों को ज्यों का त्यों इस्तेमाल कर लिया जाए या कोष्ठकों में रख दिया जाए।

Web Title: Hindi books of MBBS course loss of meaning in Hindi translation of medical English books

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