गुजरात कांग्रेस: रणनीतिविहीन संकल्प नहीं देंगे काम?, ‘इंडिया’ गठबंधन में भी कांग्रेस का नेतृत्व मजबूत नहीं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 17, 2025 05:16 IST2025-04-17T05:16:35+5:302025-04-17T05:16:35+5:30

Gujarat Congress: राहुल गांधी का नेतृत्व विरोधाभासी है. वह भाजपा के बहुसंख्यकवाद, संघ की सांस्कृतिक योजना तथा मोदी के प्रधानमंत्री काल में बढ़ती आर्थिक असमानता पर दृढ़ता से अपनी बात रखते हैं.

Gujarat Congress Resolutions without strategy will not work Congress leadership not strong even 'India' alliance blog Prabhu Chawla | गुजरात कांग्रेस: रणनीतिविहीन संकल्प नहीं देंगे काम?, ‘इंडिया’ गठबंधन में भी कांग्रेस का नेतृत्व मजबूत नहीं

file photo

Highlightsजिला प्रमुखों के बीच शक्ति के विकेंद्रीकरण की बात कही गई, पर संदेह है कि इस पर अमल होगा.अनिच्छा से भी मोदी और उनके विचारों के विकल्प की संभावना को नुकसान पहुंचा है.क्षेत्रीय वर्चस्व जैसे मुद्दों से कांग्रेस और उनके सहयोगियों के बीच का अविश्वास ही सामने आया.

प्रभु चावला

गुजरात की भीषण गर्मी में, दो कद्दावर कांग्रेसियों- महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल के गृह राज्य में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक बार फिर एकत्र हुई. गांधी टोपी और सफेद कुर्ता-पायजामे में करीब 150 वरिष्ठ और मध्यम श्रेणी के पार्टी कार्यकर्ता अहमदाबाद में आयोजित कॉन्क्लेव में बैठे, जो प्रतीकात्मक होने के साथ आत्ममंथन और रणनीतिक पहल का भी अवसर था.

कांग्रेस के अस्तित्व से जुड़ा यह शहर फिर पार्टी द्वारा अपनी जड़ें तलाशने की कोशिश का गवाह बना. यह अवसर सत्तारूढ़ भाजपा का विकल्प बनने के लिए रणनीति पेश करने का नहीं, बल्कि पार्टी की लुप्त होती प्रासंगिकता को वापस लाने और गांधी परिवार की कमजोर होती विरासत को मजबूती देने का था.

जिला इकाइयों को ताकतवर बनाने, धार्मिक ध्रुवीकरण पर अंकुश लगाने और एकता कायम रखने की पटेल की विरासत पर हुई बहस ने बताया कि पार्टी किस तरह विखंडित है. आंतरिक रूप से पार्टी में भारी गुटबंदी है, जमीनी स्तर पर नेतृत्व का अभाव है और नेतृत्व केंद्रीकृत है. सम्मेलन में जिला प्रमुखों के बीच शक्ति के विकेंद्रीकरण की बात कही गई, पर संदेह है कि इस पर अमल होगा.

राहुल गांधी का नेतृत्व विरोधाभासी है. वह भाजपा के बहुसंख्यकवाद, संघ की सांस्कृतिक योजना तथा मोदी के प्रधानमंत्री काल में बढ़ती आर्थिक असमानता पर दृढ़ता से अपनी बात रखते हैं. उनकी भारत जोड़ो तथा भारत जोड़ो न्याय यात्राओं ने कांग्रेस को नई ऊर्जा दी है. पर व्यावहारिक नेतृत्व के मामले में- यानी गठबंधन बनाने, गुटबंदी और विवाद खत्म करने व संगठन का जज्बा बनाए रखने की बात आती है तो उनका रिकॉर्ड विचित्र है. संपूर्ण गैरभाजपाई विपक्ष का नेतृत्व करने की उनकी अनिच्छा से भी मोदी और उनके विचारों के विकल्प की संभावना को नुकसान पहुंचा है.

‘इंडिया’ गठबंधन में भी कांग्रेस का नेतृत्व मजबूत नहीं है. द्रमुक और राजद जैसे दल राहुल को पसंद करते हैं, पर ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश जैसे क्षत्रप कांग्रेस को बहुत तरजीह नहीं देते. बीते साल राहुल गांधी को मिला नेता विपक्ष का दर्जा एक बड़ा अवसर था, पर सीट वितरण विवाद और क्षेत्रीय वर्चस्व जैसे मुद्दों से कांग्रेस और उनके सहयोगियों के बीच का अविश्वास ही सामने आया.

वैचारिक रूप से राहुल गांधी सामाजिक न्याय, बेरोजगारी और कल्याणकारी लोकप्रियतावाद पर जोर दे रहे हैं. जाति जनगणना पर उनका जोर देना और ओबीसी, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातियों को आकर्षित करने के लिए आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से ऊपर ले जाने का वादा करना ऐसे विषय हैं, जिनकी कांग्रेस हमेशा उपेक्षा करती आई है.

राहुल की इस रणनीति के मिश्रित नतीजे आए हैं. कर्नाटक और तेलंगाना में पार्टी को जीत मिली, पर दूसरे राज्यों में वह सफल नहीं हो पाई. वर्ष 2014 से 2024 के बीच इसे सिर्फ नौ राज्यों में जीत मिली, जबकि इस दौरान इसने 25 राज्यों में सत्ता गंवा दी. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली 52 सीटों की तुलना में 2024 में कांग्रेस को 99 सीटें मिलीं, जो बताती है कि पार्टी के लिए सब कुछ खत्म नहीं हुआ है.

कुल 21.2 प्रतिशत राष्ट्रीय वोट शेयर के साथ यह अब भी अखिल भारतीय राजनीतिक पार्टी बनी हुई है. ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियों के विपरीत, हिंदी प्रदेशों, पूर्वोत्तर, दक्षिण भारत और मध्य भारत के हिस्सों में इसकी मौजूदगी है. पर अखिल भारतीय उपस्थिति से चुनाव नहीं जीते जाते. इसके लिए करिश्मा, स्पष्टता और निरंतरता जरूरी है.

कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए नया नेतृत्व मॉडल चाहिए, जहां क्षेत्रीय नेताओं के फलने-फूलने की जगह हो और जहां यह स्वीकारा जाता हो कि गांधी परिवार भारत की विपक्षी राजनीति की धुरी नहीं हैं. राहुल गांधी या तो फुल टाइम नेता की भूमिका निभाएं या नई प्रतिभा को जिम्मेदारी सौंपें. कांग्रेस को एक और इंदिरा गांधी की जरूरत है.  

Web Title: Gujarat Congress Resolutions without strategy will not work Congress leadership not strong even 'India' alliance blog Prabhu Chawla

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे