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गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉग: गणतंत्र की अनिवार्यता है नागरिक-गणना

By गिरीश्वर मिश्र | Updated: January 16, 2020 09:20 IST

सीएए को लेकर सेक्युलर दृष्टिकोण के खिलाफ जाकर एक समुदायविशेष के शोषण और भेद-भाव का आरोप लगाया जा रहा है और गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं.

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नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), नागरिक-गणना रजिस्टर और अब राष्ट्रीय जन-गणना को लेकर देश में राजनीतिक घमासान जारी है. अब भारतीय समाज की किसी भी तरह की पैमाइश को लेकर आपत्ति उठाई जा रही है और  विरोध की मुहिम चलाई  जा रही है.  संचार माध्यमों द्वारा तरह-तरह की व्याख्याओं द्वारा भी भ्रम पैदा किया जा रहा है.

सीएए को लेकर सेक्युलर दृष्टिकोण के खिलाफ जाकर एक समुदायविशेष के शोषण और भेद-भाव का आरोप लगाया जा रहा है और गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं. यह तथ्य नजरअंदाज कर दिया जाता है कि  देश-विभाजन के समय से ही पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की दुर्दशा को लेकर लगातार चिंता व्यक्त की जाती रही है. उनके उत्पीड़न की घटनाएं मीडिया में अक्सर आती रही हैं. सरकार की यह सफाई कि नागरिकता संशोधन नागरिकता छीनने की नहीं देने की व्यवस्था है अनसुनी कर उसकी व्याख्याओं को सिरे से खारिज किया जा रहा है. यह करते हुए राजनीतिक लाभ की तलाश में पिछले दिनों हुए प्रदर्शन और उपद्रव ने  देश को हर तरह से क्षति पहुंचाई है.

आधुनिक राष्ट्रों के लिए नागरिक जनों की संख्या जानने की जरूरत और कोशिश को नकारना  समझ से परे है. किसी भी नीति के निर्माण के लिए देशवासियों के बारे में सही जानकारियों का उपयोग करना होता है. यह कोई नई बात भी नहीं है. कभी  गांवों में चौकीदार घर में बच्चे के जन्म की सूचना पटवारी को देता था जो अंतत: शहर के रिकॉर्ड आॅफिस (इंग्लिश आॅफिस ) में दर्ज होती थी. अब अस्पताल और नगरपालिका के जिम्मे जन्म-मृत्यु की सूचना दर्ज करने और उसका हिसाब रखने का काम सुपुर्द है. भारत में जनगणनाएं भी लगातार होती रही हैं.

महत्वाकांक्षी आधार कार्ड की योजना भी बड़े पैमाने पर आरंभ हुई जिसमें बिना किसी जाति, धर्म या समुदाय को ध्यान में रखते हुए यह किया गया. यह सर्वविदित है कि  जनसंख्या की ठीक-ठीक जानकारी स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार आदि महत्वपूर्ण विषयों के बारे में योजनाएं बनाने और सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक होती है.

इसकी उपेक्षा कोई सरकार नहीं कर  सकती. आज के डिजिटल युग में यह जरूरी है कि एक ऐसी प्रणाली विकसित की जाए जिसके अंतर्गत देश के नागरिकों के बारे में सभी जरूरी आंकड़ों को संकलित किया जाए और वह किसी भी विभाग को उपलब्ध रहे. प्रत्येक देशवासी का नागरिकता कार्ड होना ही चाहिए जो भारतीय होने का प्रामाणिक दस्तावेज हो  और जिसका उपयोग पासपोर्ट बनवाने आदि तमाम कार्यों में स्वीकार्य हो. 

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