सुविख्यात गायक कुमार गंधर्व भी थे स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आवाज के प्रशंसक
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 7, 2022 03:56 PM2022-02-07T15:56:32+5:302022-02-07T15:57:19+5:30
शास्त्रीय संगीत की रिकॉर्डिग और लता के गाने की रिकॉर्डिग का विकल्प किसी को दिया जाए तो आज का संगीतप्रेमी निश्चित तौर पर लता के गाने का चयन करेगा। श्रोता को उनके गाने का राग कौन सा है, वह शुद्ध स्वरूप में है क्या, ताल कौनसी, जैसी बातों से कोई भी मतलब नहीं होता।
बहुत वर्ष पहले की बात है। बीमारी के कारण बिस्तर में था। एक दिन यूं ही रेडियो लगाया तो एक अद्वितीय आवाज कानों में पड़ी। सीधे दिल को छू लेने वाली आवाज ने मुझे कुछ वक्त के लिए बेचैन कर दिया। कौन होगी ये गायिका? गाना खत्म हुआ और एनाउंसर ने नाम बताया, लता मंगेशकर! उस नाम का रिश्ता मेरे द्वारा पहले सुनी हुई दीनानाथ मंगेशकर की गायकी से था। शायद वो गाना ‘बरसात’ फिल्म का था। मैं तब से ही लता के गाने सुनता आ रहा हूं।
मेरा सुस्पष्ट मत है कि भारतीय गायिकाओं में लता मंगेशकर की टक्कर की गायिका नहीं हुई। लता की वजह से फिल्मी संगीत बेहद लोकप्रिय हुआ, लेकिन उससे शास्त्रीय संगीत की ओर देखने का सामान्य संगीतप्रेमियों का नजरिया एकदम बदल गया। लता की आवाज निरंतर कानों पर पड़ने से युवा पीढ़ी और सामान्य श्रोताओं को सहज ही पता चला कि सुरीले होने का क्या मतलब है। सामान्य श्रोताओं में संगीत की समझ बढ़ाकर उनकी संगीत में रुचि विकसित करने का श्रेय नि:संदेह लता को ही है!
शास्त्रीय संगीत की रिकॉर्डिग और लता के गाने की रिकॉर्डिग का विकल्प किसी को दिया जाए तो आज का संगीतप्रेमी निश्चित तौर पर लता के गाने का चयन करेगा। श्रोता को उनके गाने का राग कौन सा है, वह शुद्ध स्वरूप में है क्या, ताल कौनसी, जैसी बातों से कोई भी मतलब नहीं होता। उसे तो बस उस मीठी आवाज और सधे हुए गाने से मतलब होता है! लता के हर गाने में यह बात सौ फीसदी होती है। उनकी लोकप्रियता का मूल ही यह मीठी आवाज और सधा हुआ अंदाज है।
शास्त्रीय संगीत में लता का स्थान क्या है? मेरी राय में तो यह सवाल ही गलत है, अनुपयुक्त है। एक तो शास्त्रीय संगीत और फिल्मी संगीत की तुलना ही नहीं की जा सकती। गंभीरता शास्त्रीय संगीत का प्राण है तो तेज लय, चपलता फिल्मी संगीत का स्वभाव! लेकिन फिल्मी संगीत गाने वाले कलाकार को शास्त्रीय संगीत की समझ और जानकारी होनी चाहिए, जो लता मंगेशकर में निश्चित तौर पर है। केवल साढ़े तीन मिनट के फिल्मी गाने और तीन घंटे तक चलने वाली शास्त्रीय संगीत की महफिल, दोनों का कलात्मक और आनंदात्मक मूल्य एक ही है, ऐसा मेरा मानना है।
तीन घंटे की महफिल का आनंद लता के तीन मिनट के गाने में अनुभव किया जा सकता है क्योंकि उनके द्वारा गाया गया हर एक गाना एक संपूर्ण कलाकृति होती है। स्वर, शब्द और लय का त्रिवेणी संगम उनके गाने में देखा जा सकता है और महफिल की खुमारी भी उसमें शामिल होती है। आनंद देने की क्षमता किस गाने में है, उसी पर गाने की कीमत आंकी जाती है। लता का गाना इस मापदंड पर सौ फीसदी खरा उतरता है।
फिल्म संगीत में उसने जो स्थान हासिल किया है, वह न केवल अचंभित कर देने वाला है बल्कि कई मर्तबा ईष्र्या करने जैसा भी है। कई बार मेरे मन में यह सवाल उठता है, एक व्यक्ति, एक दुबली सी महिला अकेले इतना अद्भुत काम कर सकती है? केवल लता ही कर सकती है। सदियों में ऐसा चमत्कार एक बार ही हो सकता है।