पंकज चतुव्रेदी का ब्लॉग: दिक्कतें बढ़ाता बोतलबंद पानी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 5, 2019 09:33 AM2019-04-05T09:33:32+5:302019-04-05T09:33:32+5:30
कई बार महसूस होता है कि बोतलबंद पानी आज की मजबूरी हो गया है लेकिन इसी दौर में ही कई ऐसे उदाहरण सामने आ रहे हैं जिनमें स्थानीय समाज ने बोतलबंद पानी पर पाबंदी का संकल्प लिया और उसे लागू भी किया.
हम भूल चुके हैं कि तीन साल पहले मई-2016 में केंद्र सरकार ने आदेश दिया था कि अब सरकारी आयोजनों में टेबल पर बोतलंबद पानी की बोतलें नहीं सजाई जाएंगी, इसके स्थान पर साफ पानी को पारंपरिक तरीके से गिलास में परोसा जाएगा. सरकार का यह शानदार कदम असल में केवल प्लास्टिक बोतलों के बढ़ते कचरे पर नियंत्रण मात्र नहीं था बल्कि साफ पीने का पानी को आम लोगों तक पहुंचाने की एक पहल भी थी. दुखद है कि उस आदेश पर कैबिनेट या सांसदों की बैठकों में भी पूरी तरह पालन नहीं हो पाया.
कई बार महसूस होता है कि बोतलबंद पानी आज की मजबूरी हो गया है लेकिन इसी दौर में ही कई ऐसे उदाहरण सामने आ रहे हैं जिनमें स्थानीय समाज ने बोतलबंद पानी पर पाबंदी का संकल्प लिया और उसे लागू भी किया. कोई दो साल पहले ही सिक्किम राज्य के लाचेन गांव ने किसी भी तरह के बोतलबंद पानी के अपने क्षेत्र में बिकने पर सख्ती से पाबंदी लगा दी. यहां हर दिन सैकड़ों पर्यटक आते हैं लेकिन अब यहां बोतलबंद पानी या प्लास्टिक की पैकिंग का प्रवेश नहीं होता. सिक्किम में ग्लेशियर की तरफ जाने पर पड़ने वाले आखिरी गांव लाचेन की स्थानीय सरकार ‘डीजुमा’ व नागरिकों ने मिलकर सख्ती से लागू किया कि उनके यहां किसी भी किस्म का बोतलबंद पानी नहीं बिकेगा. यही नहीं अमेरिका का सेनफ्रांसिस्को जैसा विशाल और व्यावसायिक नगर भी दो साल से अधिक समय से बोतलबंद पानी पर पाबंदी के अपने निर्णय का सहजता से पालन कर रहा है.
भारत की लोक परंपरा रही है कि जो जल प्रकृति ने उन्हें दिया है उस पर मुनाफाखोरी नहीं होना चाहिए. तभी तो अभी एक सदी पहले तक लोग प्याऊ, कुएं, बावड़ी और तालाब खुदवाते थे. आज हम उस समृद्ध परंपरा को बिसरा कर पानी को स्नेत से शुद्ध करने के उपाय करने की जगह उससे कई गुना महंगे बोतलबंद पानी को बढ़ावा दे रहे हैं. पानी की तिजारत करने वालों की आंख का पानी मर गया है तो प्यासे लोगों से पानी की दूरी बढ़ती जा रही है. घर पर नलों से आने वाले एक हजार लीटर पानी का दाम बमुश्किल चार रुपए होता है. जो पानी बोतल में पैक कर बेचा जाता है वह कम से कम बीस रुपए लीटर होता है यानी सरकारी सप्लाई के पानी से शायद चार हजार गुना ज्यादा होता है.