संपादकीय: बार-बार क्यों होते हैं ऐसे हादसे, जवाब चाहिए!

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 16, 2019 04:08 PM2019-03-16T16:08:41+5:302019-03-16T16:08:41+5:30

एक ओर हम देशभर में नगरों और शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं, वहीं ऐसे हादसे इस ओर इंगित करते हैं कि नवनिर्माण के साथ ही हमें रखरखाव को लेकर भी बहुत ज्यादा सजग होने की जरूरत है।

Editorial: Why are frequent such accidents, the answer needs! | संपादकीय: बार-बार क्यों होते हैं ऐसे हादसे, जवाब चाहिए!

संपादकीय: बार-बार क्यों होते हैं ऐसे हादसे, जवाब चाहिए!

मुंबई में गुरुवार को फिर एक बार एक फुट ओवरब्रिज ढह गया, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों अन्य घायल हो गए। मुंबई महानगर में पुल संबंधी हादसों की यह पहली घटना नहीं है। पिछले डेढ़ वर्ष में ऐसे तीन हादसे हो चुके हैं। यह प्रशासनिक स्तर पर घोर लापरवाही को दर्शाता है। 

एक ओर हम देशभर में नगरों और शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं, वहीं ऐसे हादसे इस ओर इंगित करते हैं कि नवनिर्माण के साथ ही हमें रखरखाव को लेकर भी बहुत ज्यादा सजग होने की जरूरत है। देश की आर्थिक राजधानी में यदि ऐसे हालात हों, तो अन्य शहरों और ग्रामीण इलाकों की क्या बात करें?

मुंबई में लगातार बढ़ती जा रही आबादी के मद्देनजर प्रशासनिक अमले को आधारभूत ढांचे के रखरखाव के लिए निरंतर चौकन्ना रहना चाहिए, लेकिन इसमें खामी साफ उजागर हो गई है। सवाल यह उठता है कि प्रशासन के पास इंजीनियरों की जो फौज है, वह क्या कर रही है? ‘जो जैसा चल रहा है, वैसा ही चलने दो’ वाली मानसिकता को बदलना बहुत जरूरी है। यह अक्षम्य लापरवाही है। खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि पुलों की स्ट्रक्चरल ऑडिट संबंधी रिपोर्ट में इस पुल की स्थिति अच्छी बताई गई थी। चंद मरम्मत का सुझाव दिया गया था, जिसे पूरा कर लिया गया था। फिर अचानक व्यस्ततम सड़क पर बने इस पुल पर ऐसा हादसा होना क्या दर्शाता है? 
मुख्यमंत्री ने ही कहा है कि ऑडिट रिपोर्ट पर सवालिया निशान लग गए हैं। यानी सरकार की नाक के नीचे गलत रिपोर्ट फाइल हो रही है। फर्जीवाड़ा और लापरवाही बदस्तूर जारी है। आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है? सीधी बात यह है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और हर दिन भीड़ के भारी दबाव को झेल रहे इन सभी पुलों की नियमित तौर पर पूरी ईमानदारी के साथ जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही दोषियों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई होनी चाहिए कि पूरा सरकारी अमला सबक ले। 

मुंबई महानगर और इसके निवासियों की जिंदादिली सलाम करने योग्य है। कितने ही हादसों, हमलों के बाद महानगर फिर पूरी ताकत से उठा है और उसी जज्बे के साथ अपनी राह पर चल पड़ा है। गुरुवार को हुए इस हादसे को भी बीती बात मानकर मुंबईकर अपने काम पर लग जाएंगे, लेकिन प्रशासन को तत्काल जागने और सजग हो जाने की जरूरत है। 

Web Title: Editorial: Why are frequent such accidents, the answer needs!

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