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वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः इन मौतों का जिम्मेदार कौन?

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: December 10, 2019 09:12 IST

दिल्ली अग्निकांडः आवासी घरों में फैक्टरियां चलने देने के लिए कौन जिम्मेदार है? फायर ब्रिगेड की अनुमति के बिना ज्वलनशील पदार्थ वाले कारखाने कैसे चल रहे हैं? जो भी इन क्षेत्नों के अफसर हों, उन्हें दंडित किया जाए, उनकी पेंशन रोक ली जाए और इन सब कार्रवाइयों का प्रचार किया जाए तो देश के सारे नौकरशाहों का आचरण सुधरेगा.

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दिल्ली की अनाज मंडी के इलाके में लगी आग से 43 लोगों के मरने की भयंकर त्रसदी पर जो राजनीतिक दंगल चल रहा है, वह जले पर नमक के समान है. भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. भाजपा कह रही है कि दिल्ली की इस दुर्घटना के लिए दिल्ली की केजरीवाल सरकार जिम्मेदार है और केजरीवाल कह रहे हैं कि जिस इलाके में यह घटना घटी है, उसके लिए भाजपा का नगर निगम जिम्मेदार है.

यह तो अच्छा हुआ कि दोनों पार्टियों की सरकारों ने हताहत लोगों के लिए इतनी राशि का ऐलान कर दिया है कि मृतकों के परिजन भूखे नहीं मरेंगे. लेकिन दोनों सरकारों और उनके अफसरों की लापरवाही क्या माफी के लायक है? बिल्कुल नहीं. इसका अर्थ यह नहीं कि नेताओं और अफसरों को हत्या के अपराध में पकड़कर जेल में डाल दिया जाए. लेकिन यह जरूरी है कि जनता और अदालतें उन्हें कठघरे में खड़ा करें. 

उनसे पूछा जाए कि आवासी घरों में फैक्टरियां चलने देने के लिए कौन जिम्मेदार है? फायर ब्रिगेड की अनुमति के बिना ज्वलनशील पदार्थ वाले कारखाने कैसे चल रहे हैं? जो भी इन क्षेत्नों के अफसर हों, उन्हें दंडित किया जाए, उनकी पेंशन रोक ली जाए और इन सब कार्रवाइयों का प्रचार किया जाए तो देश के सारे नौकरशाहों का आचरण सुधरेगा.

कारखाने के मालिकों को तो सजा होनी ही चाहिए. इसके अलावा उस मोहल्ले के लोगों पर भी भारी जिम्मेदारी है. उन्हें चाहिए कि ऐसे अवैध कारखानों के बारे में वे खुले-आम शिकायतें करें और अभियान चलाएं. आग थोड़ी फैल जाती तो सैकड़ों लोग मारे जा सकते थे. चार-पांच लोग यहां जलने से मरे और बाकी दम घुटने से. 

मोबाइल फोन पर उनके अंतिम क्षणों की बातचीत रोंगटे खड़े कर देती है. यह कांड दिल्ली में हुआ, इसलिए देश का इस पर इतना ध्यान भी गया. दिल्ली और गुरुग्राम में ऐसे सैकड़ों स्थल और भी हैं. साथ ही देश के कई शहरों और कस्बों में उनकी भरमार है. फायर ब्रिगेड के अधिकारी राजेश शुक्ल और उनके साथियों की बहादुरी को सलाम, जिन्होंने अपनी जान खतरे में डालकर कइयों की जान बचाई.

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