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ब्लॉगः भारत में कोरोना के डेल्टा और अन्य वेरिएंट सक्रिय, प्रभावी अनलॉक से ही रुकेगी कोरोना की तीसरी लहर

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: June 10, 2021 13:27 IST

जर्मनी, ब्रिटेन, इटली समेत कई देश इस बात की नजीर हैं कि संक्रमण के पूर्ण काबू में आने से पहले प्रतिबंध हटाना घातक साबित हुआ है.

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ठळक मुद्देअप्रैल और मई 2021 में स्थानीय स्तर पर उपयुक्तता के अनुरूप लॉकडाउन लगाए गए.प्रदेशों के विभिन्न क्षेत्नों में चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खोला जाना सुनिश्चित किया जा रहा है. अनलॉक की ऐसी रणनीति जरूरी है, जिससे कोरोना को पूरी तरह मात दी जा सके.

हाल ही में सात जून को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि भारत में कोरोना के डेल्टा और अन्य वेरिएंट सक्रिय होने के कारण विभिन्न प्रदेशों में अनलॉक के समय पूरी सावधानी बनाए रखा जाना जरूरी है.

 

प्रभावी अनलॉक से ही भारत में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर रोकी जा सकेगी. इसी तरह इन दिनों वैश्विक स्तर पर दुनिया के विभिन्न देशों में कोरोना संक्रमण के नियंत्नण हेतु लगाए गए लॉकडाउन के बाद अनलॉक किए जाने संबंधी विभिन्न शोध अध्ययन रिपोर्टो में कहा गया है कि अनलॉक की हड़बड़ी और कठोर नियंत्नण की कमी फिर से भारी पड़ सकती है.

जर्मनी, ब्रिटेन, इटली समेत कई देश इस बात की नजीर हैं कि संक्रमण के पूर्ण काबू में आने से पहले प्रतिबंध हटाना घातक साबित हुआ है. गौरतलब है कि देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना की दूसरी घातक लहर के बीच संक्रमण को रोकने के लिए अप्रैल और मई 2021 में स्थानीय स्तर पर उपयुक्तता के अनुरूप लॉकडाउन लगाए गए.

अब विभिन्न प्रदेशों के विभिन्न क्षेत्नों में चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खोला जाना सुनिश्चित किया जा रहा है. ऐसे में अब अनलॉक करने की प्रक्रिया बहुत सावधानी के साथ आगे बढ़ाई जानी होगी. चूंकि अभी कोरोना का खतरा बना हुआ है, अतएव अनलॉक की ऐसी रणनीति जरूरी है, जिससे कोरोना को पूरी तरह मात दी जा सके.

दुनिया में लॉकडाउन के बाद अनलॉक की प्रक्रिया के तहत वैज्ञानिकों और आर्थिक विशेषज्ञों के द्वारा आदर्श माने जा रहे अमेरिकी राज्य न्यू हैम्पशायर सहित विभिन्न देशों में जो रणनीतियां अपनाई हैं, उन्हें देश के विभिन्न राज्यों में अनलॉक करते समय स्थानीय जरूरतों के साथ-साथ ध्यान में रखा जाना लाभप्रद हो सकता है.

अब देश के विभिन्न राज्यों में अनलॉक की प्रक्रिया में उद्योग-कारोबार और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए रणनीतिपूर्वक बाजार खोले जाने होंगे. उद्योग-कारोबार को अनलॉक करने के पहले चरण में जहां एक ओर बंद पड़े कारखानों और निर्माण गतिविधियों को चालू करने की छूट दी जानी होगी, वहीं आगामी दो माह तक दुकानें और कारोबार 6 से 8 घंटे के लिए खोले जाने उपयुक्त रहेंगे.

शनिवार और रविवार को पूर्णतया जनता कफ्यरू रहे. होटल और रेस्टॉरेंट को सिर्फ अग्रिम बुकिंग पर खुली जगह में सीमित संख्या में ग्राहकों को खाना परोसने की इजाजत दी जाए. अभी जिम, सिनेमा और पर्यटन जैसे कारोबारों को अनलॉक नहीं किया जाए. उद्यमियों और कारोबारियों को यह ध्यान रखना होगा कि शहर खुलते ही बाजारों में भीड़ बढ़ेगी,

अतएव दुकानों पर आने वाले ग्राहकों के लिए मास्क पहनने के साथ-साथ दो गज की दूरी बनाकर रखे जाने की अनिवार्यता हो. साथ ही दुकानदार के लिए मास्क पहनने के साथ-साथ वैक्सीन का प्रमाणपत्न अनिवार्य हो. उद्योग-कारोबार संगठनों के द्वारा कर्मचारियों को टीका लगवाने के लिए विशेष प्रबंध सुनिश्चित करने होंगे.

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने 7 जून को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा है कि 21 जून से 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले सभी नागरिकों को देशभर में नि:शुल्क कोरोना वैक्सीन दी जाएगी. ऐसे में टीकाकरण को और अधिक सुनियोजित ढंग से किया जाना होगा.

संक्रमण खत्म करने से आशय शत-प्रतिशत लोगों के टीकाकरण से नहीं है बल्कि एक लक्ष्य के साथ लोगों में प्रतिरोधी क्षमता विकसित करना भी है. टीकाकरण की सफलता के मद्देनजर दुनिया में ब्राजील के सेराना शहर की भी मिसाल दी जा रही है. सेराना में 75 फीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज दिए जाने पर कोविड-19 से होने वाली मौतें 95 फीसदी कम हो गईं.

अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या में 86 फीसदी की कमी आई और मरीजों की संख्या में 80 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई. चूंकि अभी भी देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर आने की आशंका है, अतएव कोरोना प्रभावित राज्यों के साथ-साथ अन्य सभी राज्यों में कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के लिए स्वास्थ्य ढांचे की बुनियादी तैयारियों के साथ-साथ जीवन में योग एवं अच्छी जीवनशैली को आत्मसात किए जाने की रणनीति पर ध्यान देना होगा.

हम उम्मीद करें कि विभिन्न राज्य सरकारों के द्वारा लॉकडाउन को खोलने की प्रक्रिया में स्थानीय जरूरतों के साथ-साथ विभिन्न रणनीतिक सुझावों पर ध्यान दिया जाएगा. इससे जहां अर्थव्यवस्था को बड़ी गिरावट से रोका जा सकेगा, वहीं कोरोना से प्रभावित वर्गो के दुख-दर्द कम किए जा सकेंगे.

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