CJI के खिलाफ महाभियोग: तो क्या कांग्रेस ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है?

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: April 23, 2018 16:44 IST2018-04-23T16:32:00+5:302018-04-23T16:44:53+5:30

देश के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की नोटिस राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सोमवार को खारिज कर दी। कांग्रेस ने कहा है कि वो नायडू के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी।

CJI Dipak Misra Impeachment Notice is there serious difference among congress leaders? | CJI के खिलाफ महाभियोग: तो क्या कांग्रेस ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है?

rahul gandhi

तो क्या कांग्रेस को भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाना भारी पड़ सकता है? सोमवार (23 अप्रैल) को उप-राष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कांग्रेस समेत सात दलों के महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करते समय कहा कि सीजेआई दीपक मिश्रा पर लगाए आरोप "निराधार" हैं। उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस देने के बाद कांग्रेस द्वारा की गयी पत्रकार वार्ता को भी संसदीय परंपराओं और प्रथाओं का उल्लंघन बताया। उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अपने लिखित जवाब में कहा है कि राज्य सभा की नियमावली के अनुसार जब तक सम्बन्धित सदने के सभापति या अध्यक्ष द्वारा याचिका स्वीकार करने से पहले इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहिए। उप-राष्ट्रपति के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनकी पार्टी नायडू के फैसले सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। 

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उप-राष्ट्रपति का जवाब आने से पहले विभिन्न मीडिया संस्थानों से बातचीत में न्यायविद् फली नरीमन और देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन इत्यादि ने कांग्रेस के महाभियोग प्रस्ताव को "दुर्भाग्यपूर्ण" बताया है। इतना ही नहीं खुद कांग्रेस के नेताओं ने इस महाभियोग प्रस्ताव को समर्थन नहीं दिया है। महाभियोग प्रस्ताव का विरोध करने वाले कोई आम कांग्रेसी नहीं हैं बल्कि देश के कानून मंत्री रह चुके हैं। देश के पूर्व कानून मंत्री और सीनियर एडवोकेट सलमान खुर्शीद ने मीडिया से कहा कि महाभियोग प्रस्ताव लाने से पहले उनसे बातचीत नहीं की गयी थी। खुर्शी ने कहा कि उन्हें दुख है कि ऐसा हुआ। खुर्शी ने आशा जतायी कि इस महाभियोग प्रस्ताव का देश की संस्थाओं पर दूरगामी नकारात्मक असर नहीं होगा।

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वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और देश के पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भी अपनी ही पार्टी के महाभियोग प्रस्ताव को "उलटा नुकसान" पहुँचाने वाला बताया। अश्विनी कुमार ने कहा कि किसी भी बीमारी का इलाज उससे भी खतरनाक दवा को चुनकर नहीं किया जा सकता। खुर्शीद और कुमार ने तो खुलकर महाभियोग प्रस्ताव का विरोध किया है लेकिन मीडिया में दावा किया जा रहा है कि कुछ कांग्रेसी नेता भले ही चुप हैं लेकिन वो सैद्धांतिक रूप से अपनी पार्टी के इस फैसले के खिलाफ हैं। 

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मीडिया में इस बात पर सवाल उठाए गये कि महाभियोग प्रस्ताव पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के हस्ताक्षर नहीं हैं? मनमोहन सिंह और चिदंबरम दोनों के दस्तखत न होने पर कांग्रेस का जवाब एक ही था कि दोनों से महाभियोग प्रस्ताव पर दस्तखत करने के लिए पूछा ही नहीं गया। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री होने के नाते मनमोहन सिंह को इस मामले से अलग रखा गया। वहीं पी चिदंबरम के बारे में सिब्बल ने मीडिया से कहा कि उनके बेटे कार्ति चिदंबरम से जुड़े मुकदमे की सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई चल रही है इसलिए उनसे इस महाभियोग प्रस्ताव पर दस्तखत करने के लिए नहीं पूछा गया।  इन दस्तावेज पर कांग्रेस के इन दो बड़े नेताओं के दस्तखत न होने के पीछे चाहे जो भी वजह रही हो, इतिहास यही याद रखेगा कि इस ऐतिहासिक महाभियोग प्रस्ताव पर पूर्व पीएम सिंह और पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम के हस्ताक्षर नहीं थे।

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कानून और संविधान के जानकारों और उप-राष्ट्रपति के जवाब से प्रतीत होता है कि इस मामले में कांग्रेस की किरकिरी होने की ही ज्यादा संभावना बन रही है। जिस तरह कांग्रेस ने कहा है कि उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के फैसले के खिलाफ वो सुप्रीम कोर्ट  जाएगी वो उलटबांसी प्रतीत होने लगा है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में ही अर्जी? तो क्या कांग्रेस ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है?

Web Title: CJI Dipak Misra Impeachment Notice is there serious difference among congress leaders?

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