भूटान में चीन की बढ़ती दिलचस्पी, भारत की पैनी नजरें

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: August 25, 2018 05:28 IST2018-08-25T05:28:18+5:302018-08-25T05:28:18+5:30

निश्चय ही भूटान के शीर्ष नेता की गमी के इस मौके पर ‘किसी खास अपने’ जैसी मौजूदगी से एक बार फिर भारत-भूटान के प्रगाढ़ रिश्तों की झलक मिलती है।

China interested in Bhutan before election | भूटान में चीन की बढ़ती दिलचस्पी, भारत की पैनी नजरें

भूटान में चीन की बढ़ती दिलचस्पी, भारत की पैनी नजरें

शोभना जैन  

पूर्व प्रधानमंत्नी अटल बिहारी वाजपेयी की अंत्येष्टि में हाल ही में भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक अपने देश की तरफ से संवेदना जताने भारत आए। निश्चय ही भूटान के शीर्ष नेता की गमी के इस मौके पर ‘किसी खास अपने’ जैसी मौजूदगी से एक बार फिर भारत-भूटान के प्रगाढ़ रिश्तों की झलक मिलती है। दरअसल भारत के कुछ पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को लेकर एनडीए सरकार के कार्यकाल की ‘सकारात्मक’ पहल  के अपेक्षित नतीजे नहीं निकलने से जहां इन देशों के साथ रिश्तों को पुन: परिभाषित करने का विचार जोर पकड़ता जा रहा है, ऐसे दौर में कहा जा सकता है कि भूटान भारत के रिश्ते कुल मिला कर समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। लेकिन इस बात पर भी ध्यान देना बेहद जरूरी है कि समय अब बदल रहा है, अब भारत को भूटान के साथ पड़ोसी धर्म थोड़ा संभल कर सतर्क हो कर उठाना होगा। 

चीन दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्न खास तौर पर भारत के आसपड़ोस में अपना दबदबा और गतिविधियां बढ़ा रहा है। भूटान से हालांकि पूरे प्रयासों के बावजूद वह अभी तक उस के साथ राजनयिक संबंध नहीं कायम कर पाया है लेकिन निश्चय ही हिमालय क्षेत्न में बसा एक छोटा-सा देश चीन के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान की बात अगर छोड़ भी दें तो चीन अब नेपाल, मालदीव और श्रीलंका जैसे भारत के पड़ोसी देशों के बाद तेजी से भूटान की तरफ कदम बढ़ा रहा है। भूटान ही एकमात्न भारत का ऐसा पड़ोसी देश है जिसने चीन के तमाम तरकशों को ङोलते हुए भी उसकी महत्वाकांक्षी ओबोर परियोजना (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है। भारत इस परियोजना का विरोध करता रहा है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरने वाली है जो कि सीधे तौर पर भारत की संप्रभुता पर हमला है। ऐसे में इस मुद्दे पर भूटान का साथ आपसी भरोसा बढ़ाता है। 

दस वर्ष पूर्व लोकतंत्न को अपनाने वाले भूटान में बहुत जल्द ही तीसरे आम चुनाव होने जा रहे हैं। आगामी 15 सितंबर को प्राथमिक स्तर का और 18 अक्तूबर को आम चुनाव होने को है, ऐसे में भूटान में चारों प्रमुख राजनैतिक दलों सहित चुनावी पारा गर्म है। इसी क्र म में यह जानना अहम है कि चीन के उप विदेश मंत्नी कॉन्ग शुआंयू पिछले दिनों एकाएक भूटान की राजधानी थिम्पू पहुंचे। उन्होंने भूटान के प्रधानमंत्नी शेरिंग तोबगे से मुलाकात भी की। इसी क्र म में जानना अहम है कि इससे पहले भारत में चीन के राजदूत लुओ शाओहुई भी भूटान की यात्ना कर चुके हैं। 

जाहिर है चीन की भूटान में बढ़ती दिलचस्पी पर भारत की भी नजरें हैं। भूटान के प्रधानमंत्नी शेरिंग तोबगे भारत समर्थक माने जाते हैं। उनका कार्यकाल सफल माना जाता है और उनकी आर्थिक नीतियों का असर भी देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक दिखाई दिया है। इस पृष्ठभूमि में वहां इस वक्त कतिपय भारत विरोधी ताकतें भारत के पड़ोसी धर्म को ‘बिग ब्रदर’ की शक्ल देने पर उतारू दिखाई दे रही हैं। खास तौर पर चुनाव से पूर्व भूटान के राजनैतिक समीकरणों को देखें तो एक प्रमुख प्रतिपक्षी दल  डीपीटी के अध्यक्ष पेमा ग्याम्त्शो भूटान की सुरक्षा और प्रभुसत्ता पर खतरे का हौवा खड़ा कर उसके हितों की रक्षा की बात कर रहे हैं। एक और अहम बात यह है कि चुनाव भारत चीन के बीच हुए चर्चित डोकलाम तनाव के बाद हो रहे हैं जिसे भूटान अपना हिस्सा मानता रहा है। इसके साथ ही पेमा भूटान की ऐसी विदेश नीति पर जोर दे रहे हैं जो स्वतंत्न हो और भारत पर ज्यादा निर्भर नहीं हो।  कुछ और प्रतिपक्षी दल भी ऐसा ही राग अलाप रहे हैं। 

दरअसल चुनाव के बाद जो भी सरकार बने, उसे भारत के साथ संबंधों के स्वरूप पर पूरा ध्यान देना होगा। डोकलाम के बाद भूटान चीन के इस क्षेत्न में विस्तारवादी रवैये को ले कर वैसे काफी सतर्क है। डोकलाम रणनीतिक रूप से भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है और पिछले साल वहां काफी समय तक भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। बहरहाल इस पृष्ठभूमि में भारत को फिलहाल सतर्क हो कर कदम उठाना चाहिए, साथ ही उसे दीर्घकालिक कदम बतौर भी भूटान के लिए अपनी नीतियों का आकलन करना चाहिए। पड़ोसी धर्म तो निभाए लेकिन चीन की गतिविधियों से सतर्क भी रहे। भूटान की आर्थिक मदद, विकास सहायता के साथ ही मौजूदा हालात को देखते हुए विकास योजनाएं इस तरह से लागू करे जिस से भूटान को सीधा और त्वरित लाभ मिले। वहां जल विद्युत परियोजनाएं तेजी से पूरी करनी चाहिए जिस से भूटान पर बेवजह ऋण का बोझ नहीं बढ़े और सीमा व्यापार भी बेहतर हो। 
 

Web Title: China interested in Bhutan before election

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